ग्रेटर नोएडा। यमुना एक्सप्रेस वे पर नियमों को दरकिनार कर ट्रैक्टर-ट्रॉली के संचालन को अनुमति देना अब यमुना प्राधिकरण के लिए गले की फांस बन गया है। कृषि कार्य के लिए पंजीकृत होने वाले ट्रैक्टर-ट्रॉली तेज गति वाहनों के लिए बने प्रदेश के पहले यमुना एक्सप्रेस वे पर धड़ल्ले से दौड़ते हैं।

वहीं, कामर्शियल कार्यों में उपयोग होने वाले यमुना एक्सप्रेस वे पर ट्रैक्टर-ट्रॉली की वजह से बढ़ते हादसों को देखते हुए यमुना प्राधिकरण ने अब कामर्शियल उपयोग के लिए संचालित हो रहे ट्रैक्टर-ट्रॉली को प्रतिबंधित करने का फैसला किया है।

सफर को आरामदेह और यात्रा समय को कम करने के लिए देश-प्रदेश में हाईवे व एक्सप्रेस वे पर निर्माण हो रहा है। हादसे की आशंका काे समाप्त करने के लिए इन पर ट्रैक्टर-ट्रॉली, दो पहिया जैसे धीमी गति से चलने वाले वाहनों का संचालन प्रतिबंधित है।

अधिकतम गति सीमा सौ किमी प्रति घंटा निर्धारित की गई

प्रदेश के पहले एक्सिस कंट्रोल एक्सप्रेस वे (यमुना एक्सप्रेस वे) के लिए भी अधिकतम गति सीमा सौ किमी प्रति घंटा निर्धारित की गई थी, लेकिन वाहनों का संचालन शुरू होते समय किसानों की मांग पर एक्सप्रेस वे पर ट्रैक्टर-ट्रॉली को भी अनुमति दे दी गई। एक्सप्रेस वे पर वाहनों के बढ़ते दबाव के बीच ट्रैक्टर-ट्रॉली एक्सप्रेस वे पर वाहन चालकों के लिए मौत की वजह बन रहे हैं। पिछले दिनों लखनऊ में हुई बैठक में भी एक्सप्रेस वे पर होने वाले हादसों की रोकथाम के लिए उपाय करने का फैसला किया गया था।

सुझावों पर खर्च हो चुके करोड़ों रुपये

यमुना एक्सप्रेस वे के सफर को सुरक्षित बनाने के लिए यमुना प्राधिकरण आईआईटी दिल्ली के सुझावों पर करोड़ों रुपये खर्च कर चुका है, लेकिन एक्सप्रेस वे पर दुर्घटनाओं पर अंकुश नहीं लग रहा है। हादसों का बड़ा कारण ट्रैक्टर-ट्रॉली हैं, जो बेहद धीमी गति से चलती हैं और तेज रफ्तार वाहनों के लिए सबसे बड़ी बाधा हैं।

वहीं, एक्सप्रेस वे पर गुरुवार तड़के हुए हादसे की वजह भी ट्रैक्टर-ट्रॉली बनी। धीमी रफ्तार से गौतमबुद्ध नगर की ओर दौड़ रही ट्रैक्टर-ट्रॉली में बस की टक्कर होने से 13 यात्री घायल हो गए। बस एक्सप्रेस वे की रेलिंग को तोड़ते हुए ढलान पर झाड़ियों में अटक कर रुक गईं।

एक्सप्रेस वे पर 100 किमी प्रति घंटा निर्धारित है रफ्तार

एक्सप्रेस वे पर हल्के वाहनों के लिए अधिकतम गति सीमा 100 किमी प्रति घंटा निर्धारित है, वहीं भारी वाहनों के लिए 80 किमी प्रति घंटा है। लेकिन ट्रैक्टर-ट्रॉली की रफ्तार इसके सापेक्ष कम होती है और तेज रफ्तार वाहन इनके चपेट में आकर हादसा ग्रस्त होते हैं।

मथुरा और अलीगढ़ से रात में गौतमबुद्ध नगर के लिए रवाना होते हैं ट्रैक्टर-ट्रॉली

गौतमबुद्ध नगर में निर्माण कार्य में ईंट की जबरदस्त मांग है। इस मांग को मथुरा व अलीगढ़ जिले में संचालित हो रहे ईंट भट्टों से पूरा किया जा रहा है। रात में मथुरा और अलीगढ़ से ईंट लेकर ट्रैक्टर-ट्रॉली यमुना एक्सप्रेस वे के रास्ते गौतमबुद्ध नगर की ओर रवाना होते हैं। वहीं रात भर का सफर कर दिल्ली की ओर आने वाले वाहनों के लिए यह ट्रैक्टर-ट्रॉली बेहद खतरा बनते हैं। अधिकतर ट्रैक्टर-ट्रॉली ओवर लोड होते हैं। प्रतिदिन 200 से 250 ट्रैक्टर-ट्रॉली गुजरते हैं। वाहनों के चालक रात भर जाग कर सफर करते हैं। उनकी थोड़ी सी लापरवाही होने पर हादसा हो जाता है।

शाम से पहले ही एंट्री कर जाते हैं ट्रैक्टर-ट्रॉली

यमुना एक्सप्रेस वे पर छह बजे के बाद ट्रैक्टर-ट्रॉली का प्रवेश रोक दिया जाता है, लेकिन इससे पहले ही ट्रैक्टर-ट्रॉली एक्सप्रेस वे प्रवेश कर जाते हैं। रात भर यह ट्रैक्टर-ट्रॉली एक्सप्रेस वे पर रास्ते में खड़े रहते हैं और दिन निकलते ही गौतमबुद्ध नगर की ओर रवाना होने लगते हैं।

शाम होने के बाद एक्सप्रेस वे पर ट्रैक्टर-ट्रॉली को रोक दिया जाता है। इससे पहले ही ट्रैक्टर-ट्रॉली एक्सप्रेस वे पर प्रवेश कर जाते हैं। रात में चालक ट्रैक्टर-ट्रॉली को किनारे खड़ा कर गायब हो जाते हैं। इसलिए ट्रैक्टर-ट्रॉली को हटवाना मुश्किल होता है। सड़क सुरक्षा को लेकर होने वाली बैठक में जिला प्रशासन के सामने इस समस्या को कई बार रखा जा चुका है। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।  जेवर टोल प्लाजा प्रबंधक यमुना एक्सप्रेस वे

कामर्शियल कार्यों में लगे हुए का संचालन यमुना एक्सप्रेस वे पर प्रतिबंधित किया जाएगा। एक्सप्रेसवे की संचालक कंपनी को इसके लिए आदेश जारी किया जाएगा। – सीईओ यमुना प्राधिकरण