नया बजट अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक लेकर जाए, यही चाहते हैं देशवासी

नीति: बैंक अपनी भूमिका निभा रहे हैं… नया बजट अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक लेकर जाए, यही चाहते हैं देशवासी
भारतीय बैंकों का प्रदर्शन एशियाई बैंकों की तुलना में काफी अच्छा रहा है। विकसित भारत की कहानी में वे अपना योगदान दे रहे हैं।

नरेंद्र मोदी के लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद देशवासियों की विकास के मोर्चे पर और भी बेहतरी आने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। पिछले दो कार्यकाल में उनकी सरकार ने स्वास्थ्य, शिक्षा, आधारभूत संरचना, ऊर्जा, सेवा आदि क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किए। सबसे कारगर कदम आर्थिक और बैंकिंग क्षेत्र में उठाए गए। 2014 से 2023 के दौरान भारत आर्थिक रूप से विश्व में मजबूत देश बनकर उभरा है।

उम्मीद है कि भारत 2027 में पचास खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था, 2030 में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और 2047 में एक विकसित देश बन सकता है। 1947 से 2007 तक भारत की जीडीपी 10 खरब डॉलर की हुई और 2014 में बढ़कर 20 खरब डॉलर की हो गई और 2019 में 30 खरब डॉलर की। 2014 में भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई थी, जबकि 2019 में यानी सिर्फ पांच वर्षों के अंदर यह दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई।

वित्त वर्ष 2023-24 की मार्च तिमाही में 7.8 फीसदी की दर से जीडीपी में वृद्धि हुई। समग्र रूप से 2023-24 में विकास दर 8.2 फीसदी रही। ‘द इंडियन इकनॉमी : ए रिव्यू’ रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 में लगातार चौथे साल भारत की जीडीपी वृद्धि दर सात प्रतिशत से अधिक रह सकती है, जबकि अभी दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की विकास दर करीब तीन फीसदी है। 2023 में भारत में बेरोजगारी दर 8.7 प्रतिशत रही थी। चूंकि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती से आगे बढ़ रही है, इसलिए 2027 तक बेरोजगारी दर के आठ प्रतिशत से कम रहने का अनुमान है। भारत में मुद्रास्फीति दर 2023 में 5.5 प्रतिशत रही है, जबकि 2022 में यह 6.7 प्रतिशत रही थी। मई 2024 में खुदरा महंगाई दर 4.75 प्रतिशत रही। वहीं, 2024 से 2027 के दौरान इसके क्रमशः 4.6, 4.1, 4.1 और 4.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इस आधार पर कहा जा सकता है, भारतीय अर्थव्यवस्था आसानी से 2027 तक 50 खरब डॉलर की बन सकती है।

‘द इंडियन इकनॉमी : ए रिव्यू’ रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के आर्थिक सुधारों की वजह से ही भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकी है। भारत की जीडीपी 2030 तक सात प्रतिशत की दर से आगे बढ़ सकती है। वैश्विक रेटिंग एजेंसी एसएेंडपी ग्लोबल ने भी भारत के वित्तीय क्षेत्र में आई मजबूती की पुष्टि की है। एसएंडपी ग्लोबल ने अपनी ग्लोबल क्रेडिट आउटलुक 2024 की रिपोर्ट ‘न्यू रिस्क, न्यू प्लेबुक’ में कहा कि भारत की नॉमिनल जीडीपी 2022 में 35 खरब डॉलर से बढ़कर 2030 तक 73 खरब डॉलर हो जाएगी। हाल के महीनों में भारतीय बैंकों का प्रदर्शन एशिया में अपने समकक्ष बैंकों की तुलना में सबसे अच्छा रहा है। देश के तीन बड़े बैंकों, भारतीय स्टेट बैंक, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक ने 2023 में दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों की सूची में अपनी जगह बनाई है। एसएंडपी ग्लोबल की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में बैंकों की संपत्ति 50.50 प्रतिशत बढ़कर 1.51 लाख करोड़ डॉलर हो गई है। एसएेंडपी ग्लोबल के मुताबिक, हाल के महीनों में भारतीय बैंकों द्वारा दिए जा रहे कर्ज में तेज वृद्धि हुई है। 29 दिसंबर, 2023 तक यह 15.6 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई थी, जो एक साल पहले 14.9 प्रतिशत थी। 31 मार्च, 2024 को सरकारी बैंकों का संचयी लाभ 1.4 लाख करोड़ रुपये के स्तर को पार कर गया, जोकि पिछले साल की तुलना में 35 प्रतिशत अधिक है। 2023-24 में सभी बैंकों का शुद्ध फंसा कर्ज (एनपीए) भी घटकर 1.70 प्रतिशत के स्तर से भी नीचे आ गया।

विकसित देश बनने के कुछ मानक हैं। इस क्रम में भारत में औद्योगीकरण, शिक्षा, आधारभूत संरचना, यंत्रीकरण, डिजिटलाइजेशन, स्वास्थ्य आदि के क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। वित्त मंत्रालय का कामकाज फिर से निर्मला सीतारमण के हाथों में है। इसलिए, सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक की नीतियां और उठाए जाने वाले कदम आगामी समय में भी भारतीय अर्थव्यवस्था और भारतीय बैंकों के अनुकूल रहेंगे। लिहाजा, देशवासी चाहते हैं कि नया बजट अर्थव्यवस्था और बैंकिंग क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक लेकर जाए। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *