कर्मचारियों को वफादार-उत्पादक बनाना है तो एजुकेशन में मदद करें

कर्मचारियों को वफादार-उत्पादक बनाना है तो एजुकेशन में मदद करें

अपनी हालिया अमेरिका यात्रा में एक उबर ड्राइवर लिली (परिवर्तित नाम) ने मुझे वहां घुमाया। वह एक स्थानीय कॉलेज से नर्सिंग ग्रेजुएशन के अंतिम वर्ष में है, जिसकी फीस टैक्सी चलाने वाले के लिए थोड़ी ज्यादा है।

उसने ये कहते हुए मेरी जिज्ञासा शांत की, ‘उबर मेरी पूरी ट्यूशन फीस, पढ़ाई की सामग्री का खर्च उठाती है।’ मुझे ये पुरानी बातचीत तब याद आई, जब मैंने उबर के यूएस-कनाडा ड्राइवर ऑपरेशन डिवीजन की निदेशक लिजा विनशिप को कहते सुना, ‘हम ड्राइवर्स को बाकी चीजों से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

हमें वाकई लगता है कि कंपनी को फ्लेक्सिबल रोजगार के सर्वश्रेष्ठ विकल्प बनाने के लिए ये एक निवेश है। हम ये जरूरी नहीं मानते कि उबर ही किसी का आखिरी गंतव्य हो।’ तब मुझे समझ आया कि उबर दुनियाभर में पार्ट-टाइम ड्राइवर्स चाहती है।

वे ऐसे ड्राइवर्स नहीं चाहते, जो पूरा जीवन ड्राइविंग से होने वाली कमाई पर निकाल दें। वे अब तक अमेरिका में एक हजार से ज्यादा ड्राइवर्स की- नर्सिंग से लेकर पॉलिटिकल साइंस तक में ग्रेजुएशन कोर्स करने के लिए- वित्तीय मदद कर चुके हैं।

महंगी उच्च शिक्षा वाले देश में सिर्फ उबर ही इकलौती कंपनी नहीं है, जो कर्मचारियों को डिग्री के लिए बढ़ावा दे रही है। डिज्नी रिजॉर्ट्स जैसी कंपनी लें, जहां ऐसे प्रोग्राम हैं और हाउसकीपिंग स्टाफ तक को ग्रेजुएट करा चुकी हैं। 2018 में शुरू हुए प्रोग्राम के जरिए कंपनी 4800 कर्मचारियों को 14 कॉलेज से विभिन्न संकाय में ग्रेजुएशन करा चुकी है।

ऐसे कार्यक्रमों में एचआर क्या करते हैं? ः नियोक्ता द्वारा वित्त पोषित कार्यक्रम महंगी शिक्षा प्रणाली के सामने उन लोगों के लिए एक ताकतवर और अच्छी शुरुआत है, जो अन्यथा दरकिनार कर दिए जाते।

ऐसे कार्यक्रम उन मेहनती लोगों को खींचते हैं, जो अपना काम करने तैयार हैं और जिनके अंदर खुद को शिक्षित करने और करिअर में आगे बढ़ने की भूख है। जितना वो ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन में समय बिताते हैं, उस दौरान एचआर को उनके नौकरी छोड़ने की भी चिंता नहीं करनी पड़ती।

ऐसे कार्यक्रमों से कर्मचारियों की गुणवत्ता में कितना फर्क आता है?: व्हार्टन बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर, पीटर कैपेली ने इस तरह की सुविधा पर स्टडी में कहा कि ऐसी सुविधा लेने वाले कर्मचारी दूसरों की तुलना में अधिक वफादार होते हैं।

स्टारबक्स (जहां ऐसा प्रोग्राम है) का कहना है कि उनकी मदद से स्नातक होने वाले कर्मचारियों को, मदद नहीं पाने वाले कर्मचारियों की तुलना में तीन पदोन्नति अधिक मिलीं। वे उन कर्मियों की तुलना में 50% उनके साथ ज्यादा रहे, जिन्हें शिक्षा सहायता नहीं मिली। पर पीटर ने स्पष्ट रूप से कहा कि ऐसी एजुकेशन में ऑनलाइन हमेशा काम नहीं आती।

कंपनियां निवेश के लिए क्यों तैयार हैं?: अमेरिका में डिज्नी, वॉलमार्ट, कई रेस्तरां चेन ने कर्मचारी बनाए रखने के लिए सबसे पहले ऐसा किया। जैसे-जैसे जरूरत बढ़ती गई, उन्होंने ये भी समझा कि मौजूदा कर्मियों में विशिष्ट कौशल विकसित करना, उन्हें करियर की गतिशीलता देना, नए कर्मचारी को रिक्रूट करने से कहीं ज्यादा सस्ता है।

भारत में किसे इसे अपनाना चाहिए?: ग्राहकों से संपर्क में आने वाले टच पॉइंट एरिया में, जहां उपभोक्ता अनुभवों पर कंपनियां फलती-फूलती हैं, उन्हें कर्मचारियों को उच्च शिक्षित बनाना चाहिए, क्योंकि वही मुस्कराकर, अभिवादन से, बोलकर अनुभव देते हैं और ये सुनिश्चित करके समस्याएं हल करते हैं कि वे उत्पादों से खुश हैं।

 ….अगर आप वाकई चाहते हैं कि आपके कर्मचारी ग्राहकों को संतुष्ट करें, तो उन्हें उच्च शिक्षा हासिल करने का मौका दें।

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