विदेश व्यापार : निर्यात बढ़ाने के लिए नई कवायद का वक्त, क्या रंग लाएगी बिम्सटेक की कोशिश
नई गठबंधन सरकार निर्यात बढ़ाने और व्यापार घाटे को कम करने के लक्ष्य को लेकर मिशन मोड पर आगे बढ़ रही है।
नई गठबंधन सरकार वैश्विक व्यापार की चुनौतियों के बीच भारत से निर्यात बढ़ाने और व्यापार घाटे को कम करने के लक्ष्य को सामने रखकर मिशन मोड पर आगे बढ़ रही है। हाल ही में नई दिल्ली में बिम्सटेक (बंगाल की खाड़ी के आसपास स्थित देशों का संगठन) में भारत ने नई जान फूंकने की कोशिश की।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत के लिए बिम्सटेक के देशों बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार और थाईलैंड के साथ द्विपक्षीय व्यापार और आपसी सहयोग बढ़ाने की पहल नेबरहुड फर्स्ट और एक्ट ईस्ट तथा सागर नीति का ही हिस्सा है। इसी तरह भारत ने रूस सहित मित्र देशों और विभिन्न विकसित देशों के साथ द्विपक्षीय वार्ताओं से कारोबार बढ़ाने की नई कवायद शुरू की है। इसी परिप्रेक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस और ऑस्ट्रिया के दौरे के दौरान द्विपक्षीय वार्ताओं से विदेश व्यापार की नई संभावनाएं आगे बढ़ाई हैं। प्रधानमंत्री मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच वार्ता के बाद जारी हुए संयुक्त बयान में कहा गया है कि भारत और रूस ने द्विपक्षीय कारोबार को 2030 तक 100 अरब डॉलर तक बढ़ाने, व्यापार में संतुलन लाने, गैर-शुल्क व्यापार बाधाओं को दूर करने और यूरेशियन आर्थिक संघ (ईएईयू)-भारत मुक्त व्यापार क्षेत्र की संभावनाएं तलाशने का लक्ष्य रखा है।दोनों देशों ने राष्ट्रीय मुद्रा का इस्तेमाल कर एक द्विपक्षीय निपटान प्रणाली स्थापित करने और पारस्परिक निपटान प्रक्रिया में डिजिटल वित्तीय उपकरणों को लाने की योजना बनाने की बात कही है। ऑस्ट्रिया के चांसलर नेहमर के साथ द्विपक्षीय वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोनों देशों के आपसी सहयोग को मजबूत करने के लिए संबंधों को रणनीतिक दिशा प्रदान की जाएगी। इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास, इनोवेशन, नवीकरणीय ऊर्जा, हाइड्रोजन, जल एवं अपशिष्ट प्रबंधन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम जैसे क्षेत्रों में एक दूसरे के सामर्थ्य को जोड़ने का काम किया जाएगा। ज्ञातव्य है कि 2023 में दोनों देशों के बीच लगभग 2.93 अरब रुपये का द्विपक्षीय व्यापार हुआ है। ऑस्ट्रिया के लिए भारत यूरोपीय संघ के बाहर इसके सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदारों में से एक है।
पड़ोसी प्रथम नीति के तहत नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में पड़ोसी देशों के राष्ट्रप्रमुखों को बुलाया गया था। हाल में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के बीच द्विपक्षीय वार्ता के बाद तीस्ता नदी के जल प्रबंधन, समुद्री अर्थव्यवस्था और डिजिटल सेक्टर सहित 10 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं। इसी तरह श्रीलंका के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के मद्देनजर कोलंबो में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने श्रीलंका के शीर्ष नेतृत्व के साथ बातचीत की और भारत से दिए गए 60 लाख अमेरिकी डॉलर के अनुदान से निर्मित समुद्री बचाव समन्वय केंद्र का उद्घाटन किया। श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि वर्ष 2022 में जब श्रीलंका सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा था, तब भारत ने 3.5 अरब डॉलर की मदद देकर हमें आर्थिक संकट से उबारा। यह भी महत्वपूर्ण है कि हाल में जी-7 के शिखर सम्मेलन में विशेष आमंत्रित देश भारत की अहमियत दिखाई दी। भारत के लिए सबसे ठोस लाभ जी-7 की उस प्रतिबद्धता से उपजा, जिसमें कहा गया कि भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) को बढ़ावा दिया जाएगा। इस गलियारे के निर्माण की घोषणा गत वर्ष भारत में जी 20 शिखर बैठक के समय की गई थी।
सरकार को आसियान देशों में निर्यात की नई रणनीति अपनानी होगी। साथ ही भारत को ओमान, ब्रिटेन, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, इस्राइल, गल्फ कंट्रीज काउंसिल और यूरोपीय संघ के साथ भी एफटीए को शीघ्र अंतिम रूप देने की डगर पर आगे बढ़ना होगा। इस पर भी काम करना होगा कि पिछले वर्ष जी-20 में जिस 55 देशों वाले अफ्रीकी संगठन को जी-20 की स्थायी सदस्यता दिलाने में भारत ने अहम भूमिका निभाई है, उन देशों में निर्यात बढ़ाने होंगे। उम्मीद है कि पिछले दिनों रूस, ऑस्ट्रिया, बांग्लादेश, श्रीलंका और विभिन्न देशों के साथ की गई द्विपक्षीय वार्ताएं लाभप्रद सिद्ध होंगी। ऐसे में निश्चित रूप से भारत विदेश व्यापार बढ़ाने के रणनीतिक प्रयासों से वर्ष 2030 तक माल एवं सेवाओं के दो लाख करोड़ डॉलर के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ते हुए दिखाई दे सकेगा।