आजकल हर कोई बताना चाहता है कि उसका धर्म-ईश्वर सर्वोच्च’ ?
‘आजकल हर कोई बताना चाहता है कि उसका धर्म-ईश्वर सर्वोच्च’, बॉम्बे HC ने क्यों कही ये बात?
Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट ने धार्मिक भावना आहत करने को लेकर 2 लोगों के खिलाफ दर्ज मामले को खारिज किया है. वहीं कोर्ट ने कहा कि लोग अपने धर्म के प्रति पहले की तुलना में संवेदनशील हो गए हैं.
‘शांति व्यवस्था को भंग करने की सोची समझी मंशा’
पीठ ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश है, जहां सभी को दूसरों के धर्म और जाति का सम्मान करना चाहिए, लेकिन साथ ही लोगों को किसी भी प्रकार की जल्दबाजी में प्रतिक्रिया करने से बचना चाहिए. न्यायमूर्ति विभा कांकणवाड़ी और न्यायमूर्ति वृषाली जोशी की खंडपीठ ने धार्मिक भावना आहत करने, शांति व्यवस्था को भंग करने की सोची समझी मंशा और धमकी देने को लेकर 2017 में एक सैन्य अधिकारी के साथ ही एक चिकित्सक के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी खारिज कर दी.
‘हर कोई यह बताना चाहता है कि कैसे उसका धर्म-ईश्वर सर्वोच्च है’
शिकायतकर्ता शाहबाज सिद्दीकी ने सैन्यकर्मी प्रमोद शेंद्रे और चिकित्सक सुभाष वाघे पर एक व्हाट्सऐप ग्रुप में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ अपमानजनक संदेश पोस्ट करने का आरोप लगाया था. शिकायतकर्ता भी उस ग्रुप का हिस्सा था. सिद्दीकी ने शिकायत की थी कि आरोपियों ने पैगंबर मोहम्मद के बारे में सवाल खड़े किए थे और कहा था कि जो ‘वंदे मातरम’ नहीं बोलते हैं, उन्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिए. हाई कोर्ट ने कहा, ‘‘हम यह देखने के लिए बाध्य हैं कि आजकल लोग अपने धर्मों के प्रति पहले की तुलना में अधिक संवेदनशील हो गए हैं और हर कोई यह बताना चाहता है कि कैसे उसका धर्म/ईश्वर सर्वोच्च है.