निवेशकों को हर घंटे 6.84 करोड़ का नुकसान !
निवेशकों को हर घंटे 6.84 करोड़ का नुकसान, कैसे तबाही मचा रहा शेयर बाजार?
सेबी की एक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, 90 फीसदी डील घाटे में रहे. पूंजी बाजार नियामक ने मंगलवार को एक परामर्श पत्र भी जारी किया, जिसमें इस गतिविधि को सीमित करने के तरीके सुझाए गए हैं. बुच ने कहा कि भले ही शेयर बाजारों को एफएंडओ कम होने पर शुल्क कम मिल सकता है.
शेयर मार्केट रेगुलेटर सेबी ने एक ऐसा चौकाने वाला आंकड़ा पेश किया है, जिसकी वजह से शेयर बाजार के निवेशकों की रातों की नींद उड़ सकती है. सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने मंगलवार को कहा कि शेयर बाजार के फ्यूचर एवं ऑप्शन (एफएंडओ) सेग्मेंट में शिरकत करने से देश के परिवारों को हर रोज 6.84 करोड़ रुपए यानी हर साल 60,000 करोड़ रुपए तक का नुकसान उठाना पड़ रहा है. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की मुखिया ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में इस बात पर आश्चर्य जताया कि डेरिवेटिव बाजारों में इस तरह के दांव को व्यापक मुद्दा क्यों नहीं कहा जाना चाहिए.
बुच ने कहा कि अगर एफएंडओ सेग्मेंट में हर साल 50,000-60,000 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है तो यह व्यापक मुद्दा क्यों नहीं है? यह राशि आने वाले आईपीओ, म्यूचुअल फंड या अन्य उत्पादक उद्देश्यों के लिए लगाई जा सकती थी. सेबी की एक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, 90 फीसदी डील घाटे में रहे. पूंजी बाजार नियामक ने मंगलवार को एक परामर्श पत्र भी जारी किया, जिसमें इस गतिविधि को सीमित करने के तरीके सुझाए गए हैं. बुच ने कहा कि भले ही शेयर बाजारों को एफएंडओ कम होने पर शुल्क कम मिल सकता है लेकिन लंबी अवधि में यह सभी हितधारकों के लिए फायदेमंद ही होगा.
इस संभावना को किया खारिज
उन्होंने यह भी कहा कि एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) निवेशकों के लिए जोखिम से भरी डेरिवेटिव गतिविधि का विकल्प नहीं हो सकते हैं क्योंकि इनकी तरलता और लाभ बहुत अलग है. इस बीच, सेबी प्रमुख ने म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए बैंक ग्राहकों के समान केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) सत्यापन का उपयोग करने की संभावना को खारिज करते हुए कहा कि सेबी प्रतिभूति बाजार में पेटीएम जैसी गड़बड़ी की अनुमति नहीं देगा.