हादसों-मौतों का बनता जा रहा शहर …. केजरीवाल सरकार का निकम्मापन जिम्मेदार
दिल्ली सिर्फ समस्याओं का ही नहीं हादसों-मौतों का बनता जा रहा शहर, केजरीवाल सरकार का निकम्मापन जिम्मेदार
दिल्ली अभी तक सिर्फ समस्याओं का शहर था, लेकिन अब हादसों और मौत का शहर भी बनता जा रहा है. पिछले एक साल में कई ऐसी घटनायें या हादसा दिल्ली के अलग-अलग जगहों पर हुए, जिन्हें रोका जा सकता था. ये सारे हादसे दिल्ली की केजरीवाल सरकार की लापरवाही का नतीजा रहा. पिछले साल मुखर्जी नगर के एक कॉमर्शियल बिल्डिंग, जिसमें कोचिंग सेंटर चलता था उसकी सीढ़ी पर गलत तरीके से लगे बिजली मीटर से लगने वाली आग की घटना हो, विवेक विहार में एक अवैध तरीके से चल रहे चाइल्ड केयर सेंटर में भीषण आग की घटना हो, किरारी में जल-भराव से दो लोगों की मौत हो, अभी तत्काल पटेल नगर में कॉलनी के गेट से एक युवक को करंट लगने से हुई मौत की घटना हो या फिर राजेंद्र नगर में बेसमेंट में चल रही लाइब्रेरी में 2 मिनट के अंदर 12 फुट नाले का पानी भरने की घटना हो.

एमसीडी में भी आम आदमी पार्टी
इन सब घटनाओं में नवजात बच्चों से लेकर होनहार युवाओं तक की जान गई और भारी जान-माल का नुकसान हुआ. दिल्ली के बिल्डिंग्स की देखभाल, उसकी सुरक्षा, बिजली, पानी, लाइसेंस सभी संबन्धित एजेंसिया या तो दिल्ली सरकार या एमसीडी के पास है. यहां दिल्ली सरकार में पिछले दस साल से केजरीवाल की आम आदमी पार्टी कि सत्ता है और अब तो एमसीडी में भी आप पार्टी है सत्ता में है.
सवाल ये है कि आखिर इन एजेंसियों की बिना लापरवाही, भ्रष्टाचार, निकम्मेपन के कोई भी हॉस्पिटल, इंस्टिट्यूट, या कोई भी कार्यालय अवैध तरीके से कैसे चल रहे हैं? समय रहते ये एजेंसिया अगर ईमानदारी से अपने कार्य को अंजाम दी होतीं तो ये सारे हादसे और इससे होने वाली मौतों को रोका जा सकता था. आज पूरी दिल्ली में बिजली के खम्बे पर तारों का ऐसा संजाल फैला रहता है कि देखकर डर लगता है, यही हाल जल बोर्ड, पीडब्लूडी और एमसीडी के नालों का है, जिसकी सफाई मॉनसून आने से पहले हर हाल में हो जानी चाहिए लेकिन नहीं होता.
फायर ब्रिगेड का ये हाल है कि एक ही अधिकारी पिछले 9 वर्षो से दिल्ली फायर सर्विस का प्रमुख बना बैठा है. कभी भी कोई हादसा होने पर समय पर सुविधा नहीं पहुंचती. एमसीडी के बारे में तो क्या कहना. उनका तो पेशा बन गया है पैसे खा कर अवैध निर्माण करवाना. लेकिन सवाल ये है कि इन सब एजेंसियों के ऊपर केजरीवाल और उनके मंत्रियों का नियंत्रण है, लेकिन उनके तरफ से कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता.
बहाने नहीं, काम की जरूरत
अब तो ये एक नया रोना रोने लगे है कि अधिकारी हमारी बात नहीं मानते, सोचिये ये कितनी दुःखद और हास्यास्पद बात है. सच्चाई ये है कि केजरीवाल सरकार जिसके मुख्यमंत्री और दो अहम् मंत्री खुद भ्रष्टाचार के केस में सालों, महीनों से जेल में बंद हों उनसे दिल्ली के बेहतरी की क्या उम्मीद की जाय.
ज़ब भी कोई बड़ी दुर्घटना होती है संबन्धित संस्थान या कार्यालय के ऊपर तो कानूनी कार्रवाई हो जाती है, लेकिन उन सरकारी एजेंसियों या उसके अधिकारीयों के खिलाफ कोई कठोर कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं होतीं जिनके लापरवाही या भ्रष्टाचार के कारण इसी समस्या उतपन्न होती है? जितने भी कोचिंग संस्थान हो, प्राइवेट अस्पताल हो या कोई और बिजनेस का स्वरूप उससे टैक्स के रूप में मोटी रकम सरकार को जाती है, बावजूद इसके सरकार का कोई ध्यान नहीं होता की कैसे इन सब जगहों पर बेहतर और सुरक्षित महौल तैयार किया जाय.
अब महज ये कहने मात्र से काम नहीं चलेगा की दिल्ली सरकार निकम्मी है, कुछ नहीं कर पा रही, दिल्ली देश कि राजधानी है. यहां की व्यवस्था को बेहतर करने कि जिम्मेदारी राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र कि भी है. ऐसे में अगर राज्य सरकार हर फ्रंट पर नाकाम है तो LG, केंद्र सरकार को सीधा हस्ताक्षेप कर के दिल्ली को दुरुस्त करना पड़ेगा. ऐसा नहीं हुआ तो दिल्ली उजड़ने की कगार पर पहुंच गई है.
[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि …..न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]