सेक्स एडिक्ट … ड्रग्स-शराब जैसा ही है ये एडिक्शन
हीरामंडी के एक्टर जेसन शाह थे सेक्स एडिक्ट
ड्रग्स-शराब जैसा ही है ये एडिक्शन, क्यों होता है, किसे है इस लत का ज्यादा रिस्क
बॉलीवुड डायरेक्टर संजय लीला भंसाली की सीरीज ‘हीरामंडी’ फेम एक्टर जेसन शाह ने अपने व्यक्तिगत जीवन को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने एक यूट्यूब चैनल के साथ बातचीत में स्वीकार किया कि वह एक समय सेक्स की लत से जूझ रहे थे। उन्हें स्मोकिंग और शराब की भी लत थी, लेकिन उन्होंने बताया कि सेक्स एडिक्शन से बाहर आना सबसे मुश्किल काम था।
सेक्स एडिक्शन का अर्थ है कि किसी व्यक्ति के दिमाग में हर वक्त सेक्शुअल फैंटेसी, सेक्स से जुड़ी एक्टिविटी के ख्याल आते रहते हैं। बार-बार सेक्स की इच्छा जागृत होती है, जिसे नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है। इससे उस शख्स के स्वास्थ्य, रिश्ते, करियर और जीवन के अन्य पहलुओं पर नकारात्मक असर पड़ता है।
हमें सेक्स लाइफ के सामान्य पहलुओं जैसे मास्टरबेशन, इरोटिक लिटरेचर, फोन सेक्स, साइबरसेक्स, मल्टिपल पार्टनर्स आदि को सेक्स एडिक्शन के साथ कन्फ्यूज नहीं करना चाहिए। लेकिन अगर इनकी अति हो जाए तो ये सारी चीजें एडिक्शन में तब्दील हो सकती हैं। जब सेक्स के कारण हमारी जिंदगी नकारात्मक रूप से प्रभावित होने लगे तो इसे लेकर सावधान होने की जरूरत है।
सेक्स एडिक्शन की ….
- सेक्स एडिक्शन के लक्षण क्या हैं?
- इसका सबसे अधिक खतरा किसे है?
- क्या यह दूसरे एडिक्शन जैसा ही है?
- इसका इलाज क्या है?
सेक्स एडिक्शन अक्सर बहुत तीव्र होता है। इसमें शख्स सेक्स की चाहत के आगे सब कुछ भूल जाता है। उसे न इस बात की परवाह होती है कि वह किसके साथ संबंध बना रहा है और न ही उसके बाद के परिणाम की फिक्र होती है। कई बार यह यौन अपराध की वजह भी बनता है।
सेक्स एडिक्शन के क्या लक्षण हैं
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, सेक्स एडिक्शन एक मेंटल हेल्थ कंडीशन है। हालांकि, इसे डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैनुअल ऑफ मेंटल डिसऑर्डर्स (DSM-5) के अंतर्गत नहीं गिना जाता है। इसे इंपल्सिव कंट्रोल डिसऑर्डर माना जाता है। यानी जब हम किसी काम को करने के लिए अत्यधिक उत्तेजित हो जाएं और उससे होने वाले परिणामों के बारे में न सोचने का विवेक न रहे।
हालांकि, दुनिया भर के बहुत सारे ट्रॉमा और एडिक्शन एक्सपर्ट्स डॉक्टरों ने सेक्स एडिक्शन को दूसरे एडिक्शन के बराबर ही रखा है। विश्व प्रसिद्ध ट्रॉमा एक्सपर्ट डॉ. गाबोर माते अपनी किताब ‘इन द रेल्म ऑफ हंगरी घोस्ट: क्लोज इनकाउंटर विद एडिक्शन’ में एडिक्शन या लत को कुछ इस तरह परिभाषित करते हैं-
हर तरह के एडिक्शन की बुनियाद में एक ही तरह की मेंटल वायरिंग काम कर रही होती है, लेकिन सेक्स एडिक्शन के लक्षण बाकी एडिक्शन से अलग होते हैं। सेक्स एडिक्शन थेरेपिस्ट डॉ. स्टासी एल. स्प्रॉट की एक किताब है- ‘नेकेड इन पब्लिक: ए मेमॉयर ऑफ रिकवरी फ्रॉम सेक्स एडिक्शन।’ इसमें ऐसे बहुत सारे लोगों की कहानियां हैं, जो सेक्स एडिक्शन का शिकार रहे। डॉ. स्टासी इस किताब में सेक्स एडिक्शन के लक्षणों के बारे में बताते हैं। नीचे ग्राफिक में देखिए-
क्या सेक्स की लत अन्य लतों की तरह है
हां, सेक्स एडिक्शन और दूसरी लतों में बुनियादी समानता एडिक्शन फीलिंग है। इसका मतलब है कि सेक्स की क्रेविंग भी ठीक उसी तरह महसूस होती है, जैसी शराब, स्मोकिंग या नशीली दवाओं की होती है। हालांकि, यह लत कई बार दूसरी लतों से ज्यादा पावरफुल हो सकती है।
डॉ. गाबोर माते के मुताबिक कोई भी एडिक्शन हमारे सेंट्रल नर्वस सिस्टम और ब्रेन की केमिकल वायरिंग को प्रभावित करता है। इसलिए जब तलब उठती है (जो कि ड्रग्स से लेकर सेक्स तक किसी भी चीज की हो सकती है) तो नर्वस सिस्टम स्लो हो जाता है। ब्रेन केमिकल्स के असंतुलन के कारण दिमाग ठीक से काम नहीं करता। एडिक्शन की हालत में हार्ट रेट, ब्रीथिंग, ब्लड प्रेशर और स्ट्रेस हॉर्मोन कॉर्टिसोल अपना संतुलन खोने लगते हैं।
किसी भी लत में कभी भी संतुष्टि का बोध नहीं होता है। इसका बड़ा पहलू ये है कि बार-बार नकारात्मक परिणामों के बावजूद हम उन्हीं बिहेवियर्स को दोहराते रहते हैं।
सेक्स एडिक्शन कितना कॉमन है और कौन इससे अधिक प्रभावित होता है
क्लीवलैंड क्लिनिक के मुताबिक, अमेरिका की लगभग 3% से 10% आबादी हाइपरसेक्शुएलिटी से प्रभावित है। इसे लेकर पूरी दुनिया के आंकड़े भी 3% से 6% के बीच हैं।
यह लत महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को अधिक प्रभावित करती है। ज्यादातर सेक्स एडिक्शन 18 साल की उम्र में शुरू होते है। इनमें से ज्यादातर लोग प्रोफेशनल हेल्प लेने से झिझकते हैं। इसलिए यह कंडीशन लंबी उम्र तक परेशान करती रहती है।
सेक्स एडिक्शन के मामलों में देखा गया है कि इससे प्रभावित ज्यादातर लोग (88%) किसी-न-किसी मेंटल हेल्थ कंडीशन का सामना कर रहे होते हैं।
सेक्स एडिक्शन के क्या नुकसान हैं
सेक्स एडिक्शन का सीधा असर हमारे दैनिक कामकाज, करियर और रिश्तों पर पड़ता है। इसका हमारी शारीरिक और मानसिक सेहत पर भी नकारात्मक असर होता है। इसके कारण HIV, हेपेटाइटिस जैसे गंभीर इन्फेक्शन का खतरा हो सकता है। ग्राफिक में देखिए।
सेक्स एडिक्शन या हाइपरसेक्शुएलिटी के क्या कारण हैं
वैज्ञानिक और डॉक्टर्स अभी तक हाइपरसेक्शुएलिटी के निश्चित कारण नहीं पता कर पाए हैं। हालांकि कुछ संभावित कारण जरूर हैं। जैसेकि-
ब्रेन केमिकल्स में असंतुलन
अगर हमारे मस्तिष्क में कुछ न्यूरोट्रांसमिटर्स जैसे डोपामाइन, नॉरपेनेफ्रिन और टेस्टेस्टेरॉन जैसे केमिकल अति सक्रिय हो जाएं तो इसके परिणामस्वरूप यौन इच्छा और व्यवहार में वृद्धि हो सकती है। इस कंडीशन में उत्पन्न हुई उत्तेजना में हम परिणाम के बारे में सोचने की स्थिति में नहीं रहते हैं।
प्री फ्रंटल कॉर्टेक्स में गड़बड़ी
अगर किसी चोट या मेंटल हेल्थ कंडीशन के कारण हमारे दिमाग का वह हिस्सा प्रभावित हो जाए, जिससे हमारे यौन व्यवहार नियंत्रित होते हैं तो यह सेक्स एडिक्शन की खतरनाक स्थिति बन सकती है। डिमेंशिया, मिर्गी, बाइपोलर डिसऑर्डर होने पर और मस्तिष्क के फ्रंटल लोब, एमिग्डला या प्री फ्रंटल कॉर्टेक्स एरिया को नुकसान होने पर हाइपरसेक्शुएलिटी बढ़ सकती है।
ब्रेन फंक्शन में बदलाव
ब्रेन फंक्शन में अगर कोई ऐसा परिवर्तन आ जाए, जिससे हमारे एडिक्टिव बिहेवियर के लिए नया तंत्रिका मार्ग बन जाता है तो प्रभावित शख्स शराब, स्मोकिंग और ड्रग्स का लती हो जाता है। इस मेंटल हेल्थ कंडीशन के कारण सेक्स की लत भी लग सकती है।
दवा का प्रतिकूल प्रभाव
कई बार कुछ दवाओं का साइड इफेक्ट हमारे मस्तिष्क के कामकाज को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। खासतौर पर पार्किंसंस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं से ऐसा असर देखने को मिल सकता है।
इसका इलाज क्या है
- सेक्स एडिक्शन या हाइपरसेक्शुएलिटी के इलाज में दवा, साइकोथेरेपी और सेल्फ हेल्प ग्रुप्स तीनों के संयोजन से ट्रीटमेंट किया जाता है।
- इसके इलाज के लिए अभी तक कोई विशेष दवा नहीं बनी है, लेकिन हमारे दिमाग में आवेग और व्यवहार को कंट्रोल करने वाले हॉर्मोन और केमिकल्स को नियंत्रित करने के लिए दवाएं दी जाती हैं।
- इसके साथ ही कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी, एक्सेप्टेंस और कमिटमेंट थेरेपी और मोटिवेशन इंटरव्यूइंग जैसी थेरेपीज का सहारा लिया जा सकता है।
- इसमें सेल्फ हेल्प ग्रुप्स से भी बहुत मदद मिलती है। यहां हमें एहसास होता है कि हम ऐसे अकेले शख्स नहीं हैं और यह भी एहसास होता है कि हम इससे उबर सकते हैं।