लैंडस्लाइड क्या है, क्यों होती है !
लैंडस्लाइड क्या है, क्यों होती है
केरल और हिमाचल में भूस्खलन की असली वजहें, जिनमें सैकड़ों लोग जिंदा दफन हो गए
केरल के वायनाड में 29 जुलाई की देर रात अचानक तेज आवाज के साथ चट्टानें और जमीन धंसने लगी और मलबा गिरने लगा। इसकी चपेट में मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांव आ गए। इसमें घर, पुल, सड़कें और गाड़ियां बह गईं। 267 लोगों की मौत हो गई और कई लापता हैं।
हिमाचल के कुल्लू और मंडी तेज बारिश के बाद बादल फटने से लैंडस्लाइड हुआ। कई घर तबाह हो गए। खबर लिखे जाने तक 2 की मौत हो चुकी है और 51 लोग लापता है।
लैंडस्लाइड होती क्या है, वायनाड और कुल्लू की भयानक तबाही के पीछे कौन-सी वजहें हैं; भास्कर एक्सप्लेनर में इससे जुड़े 7 जरूरी सवालों के जवाब जानेंगे…
सवाल-1: लैंडस्लाइड क्या है, जिसने केरल के वायनाड और हिमाचल के कुल्लू और मंडी में तबाही मचाई?
जवाब: साधारण शब्दों में किसी ढलान वाली जगह से जमीन या चट्टान का नीचे सरकना भूस्खलन या लैंडस्लाइड कहलाता है। इसे वैज्ञानिकों की भाषा में डाउन-स्लोप मूवमेंट कहा जाता है।
ग्रेविटी के कारण जमीन या चट्टान अपना वजन नहीं ढो पाती है। इससे वह गिर, फिसल या बह जाती है। यह फैलाव आमतौर पर कीचड़ के रूप में होता है, जिसे मलबा कहा जाता है।
केरल में भी यही हुआ है। यहां ज्यादा बारिश के कारण पहाड़ों से पानी और मलबा बहकर आया है।
सवाल-2: आमतौर पर लैंडस्लाइड किन वजहों से होती है? क्या हिमाचल और केरल में हुआ भूस्खलन अलग-अलग है?
जवाब: लैंडस्लाइड सतह के नीचे जमीन की परतों में हलचल के कारण होती है। आमतौर पर इसके चार कारण वजन, एंगल, भौगोलिक स्थिति, बाहरी फोर्स होते हैं। ये सभी कारण मिट्टी की आंतरिक ताकत पर दबाव डालते हैं। इससे मिट्टी अपनी पकड़ छोड़ देती है और लैंडस्लाइड होती है।
भले ही हिमाचल देश के ऊपरी हिस्से में हो और केरल निचले हिस्से में, दोनों जगह एक ही प्रकार का भूस्खलन हुआ है। हिमाचल और केरल दोनों में पहाड़ी एरिया में भूस्खलन हुआ है, जिसका कारण ज्यादा और लगातार बारिश है। हिमाचल के कुल्लू और मंडी में पहाड़ी वन वाला एरिया है। ठीक उसी तरह केरल का वायनाड जिला भी पहाड़ी वन वाला है। बस अंतर इतना है कि हिमाचल केरल के मुकाबले ज्यादा घना वन वाला क्षेत्र है। दोनों जगह पानी के कारण मिट्टी पर प्रेशर बन रहा है, जिससे वह अपनी पकड़ छोड़ रही है। वायनाड में लगातार बारिश हो रही है। कुल्लू और मंडी में बारिश के साथ बादल भी फटा है, जिससे मिट्टी पर प्रेशर बना और तेजी से भूस्खलन हुआ।
सवाल-3: लैंडस्लाइड में पानी का कितना रोल होता है, क्या वायनाड भूस्खलन में भी अत्यधिक बारिश ही प्रमुख कारण है?
जवाब: ज्यादातर लैंडस्लाइड में पानी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पानी ही वो वजन बढ़ाने वाला तत्व है, जो लैंडस्लाइड का प्रोसेस एक्टिवेट करता है। मिट्टी पर पानी के कारण हाइड्रोस्टेटिक प्रेशर बढ़ता है, जिससे उसकी पकड़ कमजोर हो जाती है।
अत्यधिक पानी की वजह प्राकृतिक और मानवीय दोनों हो सकती है। जैसे- बारिश, बर्फ का पिघलना, नदी में कटाव या डैम टूटना, पानी की पाइपलाइंस फटना।
वायनाड की मौजूदा आपदा के पीछे भारी बारिश एक बड़ा तात्कालिक फैक्टर है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार सोमवार और मंगलवार की सुबह के बीच 24 घंटे के बीच वायनाड जिले में साढ़े 5 इंच बारिश हुई, जो जिले में सामान्य से पांच गुना अधिक है। वायनाड जिले के कई इलाकों में 24 घंटे में 11 इंच से अधिक बारिश दर्ज की गई।
सवाल-4: लैंडस्लाइड में मिट्टी की ताकत और स्लोप एंगल का कितना रोल होता है?
जवाब: अलग-अलग प्रकार की मिट्टी अलग-अलग टाइप के स्लोप एंगल को सहन करने की क्षमता रखती है। ज्यादातर स्लोप की पकड़ मिट्टी की अंदरूनी ताकत पर डिपेंड करती है। आपने देखा होगा कि कई मिट्टी के स्लोप सालों से पहाड़ों के रूप में खड़े हैं, उनमें कोई बदलाव नहीं होता। कई बार सालों पुराने स्लोप की मिट्टी जब पकड़ छोड़ देती है तो लैंडस्लाइड होती है।
सवाल-5: क्या लैंडस्लाइड हमेशा अचानक होती है या वायनाड के संकेत पहले से मिलने शुरू हो गए थे?
जवाब: लैंडस्लाइड अचानक हो, ये जरूरी नहीं। कई बार पहाड़ धीरे-धीरे सरकता है। हो सकता है यह साल में एक सेंटीमीटर ही सरकता हो। कई बार मिट्टी अचानक पकड़ छोड़ देती है तो लैंडस्लाइड पलभर में तबाही मचा देती है। जैसे- केदारनाथ में हुआ। इसकी रफ्तार 160 किलोमीटर प्रतिघंटा तक हो सकती है।
वायनाड में लैंडस्लाइड अचानक हुई, लेकिन इसके संकेत पहले से मिलने लगे थे। अनुमान है कि इसकी रफ्तार 100 किलोमीटर प्रतिघंटा से ज्यादा रही होगी। आधी रात के बाद हुई लैंडस्लाइड के कारण लोगों को संभलने का मौका नहीं मिला और उनकी जान चली गई।
गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को संसद में बताया- 23-24 जुलाई को ही केरल सरकार को अलर्ट किया गया था, सरकार समय रहते लोगों को हटाती तो इतना नुकसान नहीं होता।
सवाल-6: लैंडस्लाइड को कैसे रोका जा सकता है?
जवाब: इसे रोकने का सबसे आसान तरीका उन क्षेत्रों में निर्माण से बचना है जो लैंडस्लाइड प्रभावी हैं। फिर भी निर्माण होता है तो ऐसे एरिया में सतही जल को ढलान वाले एरिया से अलग निकाला जाना चाहिए। हैवी रेनफॉल वाले एरिया में स्लोप एंगल के लोड को कम किया जाना चाहिए। वहां निर्माण न हो और ज्यादातर पौधरोपण हो तो इसे रोका जा सकता है।
सवाल-7: लैंडस्लाइड ने भारत में कब-कब बड़ी तबाही मचाई?
जवाबः भारत की 5 सबसे बड़ी लैंडस्लाइड की घटनाएं…
- केदारनाथ, उत्तराखंड (2013) – यह भूस्खलन हिमालयी राज्य में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश और बाढ़ के कारण हुआ था। इसमें 5,700 से अधिक लोग मारे गए थे। 4,200 से अधिक गांव बह गए थे।
- दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल (1968) – 4 अक्टूबर को बाढ़ के कारण भूस्खलन हुआ था। इससे 60 किलोमीटर लंबा नेशनल हाईवे-91 दो भागों में कट गया था। इस आपदा में 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे। संपत्ति, बुनियादी ढांचे और चाय बागानों को भारी नुकसान हुआ था।
- गुवाहाटी, असम (1948) – सितम्बर में भारी बारिश के कारण बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुआ था। इसमें पूरा का पूरा एक गांव दफन हो गया था, जिसमें 500 से अधिक लोग मारे गए थे।
- मापला गांव, अविभाजित उत्तर प्रदेश (1998) – अगस्त 1998 में सात दिन तक लगातार बारिश हुई थी, जिससे लैंडस्लाइड हुई थी। इसमें 380 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और एक गांव नष्ट हो गया था।
- मालिन गांव, महाराष्ट्र (2014) – 30 जुलाई को भारी वर्षा के कारण भूस्खलन हुआ, जिससे 151 लोगों की मौत हो गई थी। 100 से अधिक लोग लापता हो गए थे।