5 नदियों को जोड़ने दो प्रोजेक्ट की शुरुआत इसी महीने ?

5 नदियों को जोड़ने दो प्रोजेक्ट की शुरुआत इसी महीने
एमपी में बुंदेलखंड और चंबल से मालवा तक पानी मिलेगा; 22 जिले कवर होंगे

नदियों को जोड़ने वाले दो बड़े प्रोजेक्ट्स की शुरुआत इसी महीने से होने जा रही है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में फैले बुंदेलखंड में केन और बेतवा को जोड़ा जाएगा। इस प्रोजेक्ट से एमपी में बुंदेलखंड हिस्से के 10 जिलों को पानी मिलेगा।

दूसरा पार्वती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी) लिंक प्रोजेक्ट है। इन तीन नदियों को जोड़ने से एमपी के चंबल से लेकर मालवा तक फायदा होगा। पीकेसी प्रोजेक्ट से प्रदेश के 12 जिलों में सिंचाई और पीने के लिए पानी मिलेगा। दोनों ही प्रोजेक्ट का भूमिपूजन इसी महीने होने की संभावना है।

पीकेसी परियोजना का भूमिपूजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 दिसंबर को जयपुर से करेंगे। कार्यक्रम में राजस्थान के सीएम भजन लाल शर्मा, एमपी के सीएम डॉ. मोहन यादव, दोनों राज्यों के जल संसाधन विभागों के मंत्री, केंद्र और राज्य सरकारों के अफसर मौजूद रहेंगे।

इन परियोजनाओं की खास बात यह है कि केन-बेतवा लिंक देश का इस तरह का पहला तो पीकेसी दूसरा प्रोजेक्ट है।

पहले बात केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट की

22 साल बाद पूरा होगा पूर्व पीएम वाजपेयी का सपना केन और बेतवा बुंदेलखंड की दो सबसे बड़ी नदियां हैं। दोनों अलग-अलग छोरों पर बहती हैं। यमुना की इन दो सहायक नदियों को एक लिंक कैनाल से जोड़ने की योजना है।

बुंदेलखंड लगभग 23733 स्क्वायर किलोमीटर एरिया में फैला है। केन और बेतवा नदी यहां की लाइफलाइन हैं। इसके बावजूद इस क्षेत्र में जल संकट बड़ी चुनौती है। साल 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने केन और बेतवा नदियों को आपस में जोड़कर बर्बाद होते पानी को रोकने के प्रयास शुरू किए थे। 2003 में एमपी की तत्कालीन सीएम उमा भारती ने भी इस परियोजना को अमल में लाने का प्रयास किया था।

अब 22 साल बाद पूर्व पीएम वाजपेयी का सपना साकार होने जा रहा है। सीएम डॉ. मोहन यादव ने वाजपेयी के जन्मदिन के मौके पर 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस परियोजना के भूमिपूजन के लिए समय मांगा है। अगर मंजूरी मिली तो 25 दिसंबर से इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हो सकती है। छतरपुर जिले में दौधन बांध पर निर्माण का भूमिपूजन किया जाएगा।

 

कहां से कहां जुडे़ंगी केन और बेतवा नदियां छतरपुर और पन्ना जिले के बॉर्डर पर खजुराहो के करीब केन नदी पर दौधन बांध बनाया जाएगा। इस बांध से 230 किलोमीटर लंबी नहर के जरिए केन नदी का पानी निवाड़ी और उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के बॉर्डर पर ओरछा के करीब बेतवा नदी में जोड़ा जाएगा।

बुंदेलखंड में एमपी-यूपी के 14 जिले आते हैं

बुंदेलखंड में मध्यप्रदेश के 10 जिले- पन्ना, टीकमगढ़, निवाड़ी, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन जबकि उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिले आते हैं। केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट से इन सभी जिलों के 9.5 लाख किसानों को फायदा पहुंचेगा। 10 लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई हो सकेगी।

62 लाख लोगों को पीने का साफ पानी मिल सकेगा। इस प्रोजेक्ट के तहत 103 मेगावाट हाइड्रो पावर और 27 मेगावाट की क्षमता वाला सोलर प्लांट भी बनाया जाएगा।

2023 में हुआ यूपी-एमपी और केंद्र के बीच एमओयू

केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के लिए विवादों का निपटारा करते हुए 22 मार्च 2023 को केंद्रीय जलशक्ति मंत्री के साथ एमपी और यूपी के मुख्यमंत्रियों के बीच त्रिपक्षीय एमओयू हुआ। इस परियोजना का 90% खर्च केंद्र सरकार और 10% राज्य सरकारें उठाएंगी।

कुल 44 हजार 605 करोड़ रुपए की राशि में से एमपी सरकार 24334 करोड़ और यूपी सरकार 5710 करोड़ रुपए देगी। केन-बेतवा लिंक प्राधिकरण 14560 करोड़ रुपए खर्च करेगा।

एमपी-राजस्थान को पानी देने वाली पीकेसी परियोजना

चंबल से मालवा तक मिलेगा पानी

पार्वती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी) लिंक प्रोजेक्ट ​​​​में मध्य प्रदेश में 21 बांध और बैराज बनाए जाएंगे। इस योजना के जरिए प्रदेश में 36 हजार 800 करोड़ रुपए के काम कराए जाएंगे। पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना से प्रदेश के चंबल से मालवा तक सिंचाई और पीने के लिए पानी मिलेगा।

इस प्रोजेक्ट में मध्यप्रदेश की 17 परियोजनाएं और राजस्थान की पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) शामिल हैं।

21 बांध और बैराज बनाए जाएंगे

पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना में मध्य प्रदेश से शुरू होने वाली पार्वती, कूनो, कालीसिंध, चंबल, शिप्रा और सहायक नदियों के पानी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जाएगा। कुल 21 बांध और बैराज बनाए जाएंगे।

श्रीमंत माधवराव सिंधिया सिंचाई कॉम्पलेक्स में 4 बांध (कटीला, सोनपुर, पावा और धनवाड़ी), 2 बैराज (श्यामपुर, नैनागढ़), कुम्भराज कॉम्पलेक्स में 2 बांध (कुम्भराज-1 और कुम्भराज-2), रणजीत सागर, लखुंदर बैराज और ऊपरी चंबल कछार में 7 बांध (सोनचिरी, रामवासा, बचेरा, पदुनिया, सेवरखेडी, चितावद, सीकरी सुल्तानपुरा) बनेंगे। ​​​इसके अलावा गांधी सागर बांध की अपस्ट्रीम में चंबल, क्षिप्रा और गंभीर नदियों पर छोटे-छोटे बांधों का निर्माण भी प्रस्तावित है।

केंद्र सरकार के सहयोग से बनने वाली इस परियोजना का काम अगले 5 साल में पूरा कर लिया जाएगा। 75 हजार करोड़ के खर्च में से 90% केंद्र जबकि 10% एमपी और राजस्थान सरकार देंगी। इसमें बैलेंसिंग रिजर्वायर का निर्माण प्रस्तावित है।

इसके साथ ही परियोजना में मध्य प्रदेश, राजस्थान के बीच मौजूदा चंबल दाईं मुख्य नहर (CRMC) और मध्य प्रदेश क्षेत्र में CRMC सिस्टम के अंतिम छोर तक मॉर्डनाइजेशन और रीन्यूअल के लिए प्रावधान किया गया है। इससे एमपी के श्योपुर, मुरैना, भिंड जिलों को सिंचाई और पीने के लिए पानी मिलेगा।

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