हिंडनबर्ग रिपोर्ट, राहुल के 3 सवाल ?
हिंडनबर्ग रिपोर्ट, राहुल के 3 सवाल …
SEBI चीफ ने इस्तीफा क्यों नहीं दिया, निवेशकों ने पैसा गंवाया तो जिम्मेदारी किसकी, क्या सुप्रीम कोर्ट संज्ञान लेगा
इससे पहले, कांग्रेस ने X पर लिखा, “अडाणी महाघोटाले की जांच SEBI को दी गई। अब खबर है कि SEBI की चीफ माधवी बुच भी अडानी महाघोटाले में शामिल हैं। मतलब घोटाले की जांच करने वाला ही घोटाले में शामिल है। है ना कमाल की बात! इस महाघोटाले की सही जांच सिर्फ जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) से हो सकती है। हालांकि मोदी सरकार JPC बनाने को तैयार नहीं है। PM मोदी कब तक अडाणी को बचा पाएंगे, एक न एक दिन तो पकड़े जाएंगे।”
राहुल ने कहा- स्टॉक मार्केट में पैसा लगाने में रिस्क, ये बताना मेरी जिम्मेदारी राहुल ने X पर पोस्ट वीडियो में कहा- कल्पना कीजिए, आप भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच इंटरनेशनल क्रिकेट मैच देख रहे हैं। एक आदमी जो मैच देख रहा है और जो खिलाड़ी मैच खेल रहे हैं। अगर अंपायर ने कॉम्प्रोमाइज किया तो मैच में क्या होगा। जो मैच खेल रहे हैं, उन्हें कैसा महसूस होगा? ऐसा ही कुछ भारत के स्टॉक मार्केट में हो रहा है। बीते कुछ सालों में स्टॉक मार्केट में बड़ी संख्या में लोगों ने निवेश किया है। स्टॉक मार्केट में लोगों ने मेहनत से कमाई पूंजी इन्वेस्ट की। विपक्ष का नेता होने के नाते ये आपको बताना मेरी जिम्मेदारी बनती है कि भारतीय स्टॉक मार्केट में पैसा लगाने में रिस्क है।
छोटे खुदरा निवेशकों की संपत्ति की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले सिक्योरिटी रेगुलेटर SEBI की चेयरपर्सन माधबी बुच पर गंभीर आरोप लगे हैं। देशभर के ईमानदार निवेशक सवाल पूछ रहे हैं। अब यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया है कि प्रधानमंत्री मोदी JPC जांच से इतना डरे हुए क्यों हैं और इससे क्या खुलासा हो सकता है।
जयराम बोले- SEBI चीफ ने पद संभालते ही अडाणी से मीटिंग्स की
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर SEBI चीफ माधबी पुरी बुच पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने X पर लिखा- 2022 में SEBI चीफ बनने के तुरंत बाद माधबी पुरी बुच ने गौतम अडाणी के साथ दो मीटिंग्स की। जबकि उस समय SEBI कथित तौर पर अडाणी के लेन-देन की जांच कर रहा था।
जयराम ने कहा कि संसद का मानसून सत्र 12 अगस्त तक चलने वाला था। हालांकि इसे 9 अगस्त को अचानक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। अब हमें इसका कारण पता चला।
जयराम का आरोप- हिस्सेदारी हासिल करने के लिए नियमों का उल्लंघन हुआ
कांग्रेस महासचिव ने बयान में लिखा- हिंडनबर्ग रिपोर्ट से पता चलता है कि माधबी और उनके पति ने बरमूडा और मॉरीशस स्थित ऑफशोर फंड में निवेश किया था। इसी फंड में अडाणी के भाई विनोद अडाणी और उनके करीबी सहयोगियों चांग चुंग-लिंग और नासिर अली शाहबान अहली ने बिजली उपकरणों के ओवर-इनवॉइसिंग से कमाए रुपए इन्वेस्ट किए थे।
जयराम ने लिखा- SEBI के नियमों का उल्लंघन करके इन फंड्स का इस्तेमाल अडाणी ग्रुप की कंपनियों में हिस्सेदारी हासिल करने के लिए किया गया। यह बेहद चौंकाने वाली बात है कि बुच की इन्हीं फंड्स में वित्तीय हिस्सेदारी थी।
कांग्रेस महासचिव ने आगे बताया कि अडाणी से जुड़े घोटाले की जांच करने में SEBI की अनिच्छा लंबे समय से सबके सामने है। सुप्रीम कोर्ट की एक्सपर्ट कमेटी ने इसका संज्ञान भी लिया था।
हिंडनबर्ग का दावा- अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में SEBI चीफ की हिस्सेदारी
अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार (19 अगस्त) की रात 9:57 बजे एक रिपोर्ट जारी की। इसमें दावा किया गया है कि SEBI चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी है।
व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों के आधार पर हिंडनबर्ग ने दावा किया कि बुच और उनके पति की मॉरीशस की ऑफशोर कंपनी ‘ग्लोबल डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में हिस्सेदारी है।
हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि ‘ग्लोबल डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में कथित तौर पर अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ने अरबों डॉलर निवेश किए हैं। इस पैसे का इस्तेमाल अडाणी ग्रुप के शेयरों के दामों में तेजी लाने के लिए किया गया था।
माधबी बुच ने आरोपों से इनकार किया
माधवी बुच ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अपने ऊपर लगे आरोपों को “निराधार” और “चरित्र हनन” का प्रयास बताया। SEBI चेयरपर्सन ने सभी फाइनेंशियल रिकॉर्ड डिक्लेयर करने की इच्छा व्यक्त की है। अपने पति धवल बुच के साथ एक जॉइंट स्टेटमेंट में उन्होंने कहा, ‘हमारा जीवन और फाइनेंसेस एक खुली किताब है।’
व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों के आधार पर हिंडनबर्ग ने दावा किया है कि बुच और उनके पति की मॉरीशस की ऑफशोर कंपनी ‘ग्लोबल डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में हिस्सेदारी है।हिंडनबर्ग रिसर्च पिछले साल अडाणी ग्रुप पर वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाकर चर्चा में आई थी।
इस बार हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि ‘ग्लोबल डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में कथित तौर पर अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ने अरबों डॉलर निवेश किए हैं। इस पैसे का इस्तेमाल अडाणी ग्रुप के शेयरों के दामों में तेजी लाने के लिए किया गया था।
अडाणी ग्रुप बोला- हिंडनबर्ग ने अपने फायदे के लिए ऐसा किया
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट का अडाणी ग्रुप ने भी खंडन किया है। ग्रुप ने कहा- हिंडनबर्ग ने अपने फायदे के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी का गलत इस्तेमाल किया। अडाणी ग्रुप पर लगाए आरोप पहले ही निराधार साबित हो चुके हैं। गहन जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2024 में हिंडनबर्ग के आरोपों को खारिज कर दिया था।
जानिए SEBI और हिंडनबर्ग रिपोर्ट में इससे जुड़ा विवाद
SEBI यानी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया, भारत सरकार की संस्था है। शेयर मार्केट के निवेशकों की सुरक्षा के लिए साल 1992 में इसकी स्थापना हुई थी।
जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग ने गौतन अडाणी पर अपने ग्रुप के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए ऑफशोर फंड का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। अडाणी ने आरोपों से इनकार किया, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। SEBI को मामले की जांच सौंपी गई थी।
बैकग्राउंड: रिपोर्ट को लगभग 18 महीने हो गए, SEBI ने कार्रवाई नहीं की
- हिंडनबर्ग का आरोप है कि अडाणी ग्रुप पर हमारी रिपोर्ट के लगभग 18 महीने हो चुके हैं। रिपोर्ट में इस बात के पुख्ता सबूत थे कि अडाणी ग्रुप कॉर्पोरेट इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला कर रहा था। स्वतंत्र मीडिया पड़ताल में यह बात साबित होने के बावजूद SEBI ने कार्रवाई नहीं की।
- हमारी रिपोर्ट ने ऑफशोर, मुख्य रूप से मॉरीशस बेस्ड शेल एंटिटीज के एक जाल को उजागर किया था। जिनका इस्तेमाल संदिग्ध अरबों डॉलर के अनडिस्क्लोज्ड रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन, अनडिस्क्लोज्ड इन्वेस्टमेंट और स्टॉक मैनिपुलेशन के लिए किया गया था।
- ‘IPE प्लस फंड’ एक छोटा ऑफशोर मॉरीशस फंड है, जिसे अडाणी डायरेक्टर ने इंडिया इंफोलाइन (IIFL) के जरिए स्थापित किया है। अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ने इस स्ट्रक्चर का यूज इंडियन मार्केट्स में निवेश के लिए किया।
- एक कॉम्प्लेक्स स्ट्रक्चर में, विनोद अडाणी नियंत्रित कंपनी ने टैक्स हेवन बरमूडा में “ग्लोबल डायनेमिक अपॉर्चुनिटीज फंड” में निवेश किया था, जिसने बाद में मॉरीशस में रजिस्टर्ड एक फंड, आईपीई प्लस फंड 1 में निवेश किया था।
- इन आरोपों की पड़ताल का जिम्मा SEBI प्रमुख पर ही था, लेकिन इसके उलट SEBI ने 27 जून 2024 को उसे ही नोटिस दे दिया। इसके जवाब में हिंडनबर्ग ने कहा था- ‘SEBI की अडाणी को गुप्त सहायता हमारी रिपोर्ट के पब्लिश होने के लगभग तुरंत बाद शुरू हो गई थी।’
हिंडनबर्ग का दावा: SEBI चेयरपर्सन और उनके पति की ऑफशोर फंडों में हिस्सेदारी
- व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों से पता चलता है कि SEBI की वर्तमान चेयरपर्सन माधबी बुच और उनके पति की अडाणी मनी साइफनिंग घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों ऑफशोर फंडों (बरमूडा और मॉरीशस) में हिस्सेदारी थी, जिसका इस्तेमाल विनोद अडाणी ने किया था।
- ऐसा लगता है कि माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने पहली बार 5 जून, 2015 को सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड 1 के साथ अपना अकाउंट खोला था। निवेश का सोर्स “सैलरी” है और कपल की नेटवर्थ $10 मिलियन आंकी गई है।
- माधबी बुच को अप्रैल 2017 में SEBI का “होलटाइम मेंबर” नियुक्त किया गया था। इस नियुक्ति से कुछ हफ्ते पहले, माधबी के पति, धवल बुच ने मॉरीशस फंड एडमिनिस्ट्रेटर ट्राइडेंट ट्रस्ट ग्लोबल डायनेमिक अपॉर्चुनिटीज फंड में निवेश के संबंध में ईमेल लिखा था।
- ईमेल में, धवल बुच ने “खातों को संचालित करने के लिए अधिकृत एकमात्र व्यक्ति होने” का अनुरोध किया था। हिंडनबर्ग ने कहा- ऐसा लगता है कि राजनीतिक रूप से संवेदनशील नियुक्ति से पहले संपत्ति को अपनी पत्नी के नाम से हटा दिया गया है।
- 26 फरवरी, 2018 को माधबी बुच के निजी ईमेल को संबोधित एक बाद के अकाउंट स्टेटमेंट में, स्ट्रक्चर की पूरी डिटेल्स सामने आई है: GDOF Cell 90 (IPEplus Fund 1)। उस समय बुच की हिस्सेदारी की वैल्यू 8.72 लाख डॉलर थी।
- अप्रैल 2017 से मार्च 2022 तक, माधबी का एगोरा पार्टनर्स नाम की सिंगापुर ऑफशोर कंसल्टिंग फर्म अगोरा पार्टनर्स में 100% इंटरेस्ट था। 16 मार्च, 2022 को, SEBI चेयरपर्सन के रूप में नियुक्ति के बाद, उन्होंने चुपचाप शेयर अपने पति को ट्रांसफर कर दिए।
अडाणी ग्रुप पर लगाए थे मनी लॉन्ड्रिंग, शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप
24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। रिपोर्ट के बाद ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी। हालांकि, बाद में इसमें रिकवरी आई। इस रिपोर्ट को लेकर भारतीय शेयर बाजार रेगुलेटर सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने हिंडनबर्ग को 46 पेज का कारण बताओ नोटिस भी भेजा था।
1 जुलाई 2024 को पब्लिश किए अपने एक ब्लॉग पोस्ट में हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि नोटिस में बताया गया है कि उसने नियमों उल्लंघन किया है। कंपनी ने कहा, SEBI ने आरोप लगाया है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में पाठकों को गुमराह करने के लिए कुछ गलत बयान शामिल हैं। इसका जवाब देते हुए हिंडनबर्ग ने SEBI पर ही कई तरह के आरोप लगाए थे।
हिंडनबर्ग का आरोप- SEBI धोखेबाजों को बचा रहा
- हिंडनबर्ग ने कहा, ‘हमारे विचार में, SEBI ने अपनी जिम्मेदारी की उपेक्षा की है, ऐसा प्रतीत होता है कि वह धोखाधड़ी करने वालों से निवेशकों की रक्षा करने के बजाय धोखाधड़ी करने वालों की रक्षा करने के लिए अधिक प्रयास कर रहा है।’
- हिंडनबर्ग ने कहा- ‘भारतीय बाजार के सूत्रों के साथ चर्चा से हमारी समझ यह है कि सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया की अडाणी को गुप्त सहायता हमारी जनवरी 2023 की रिपोर्ट के पब्लिश होने के लगभग तुरंत बाद शुरू हो गई थी।’
- ‘हमारी रिपोर्ट के बाद हमें बताया गया कि SEBI ने पर्दे के पीछे ब्रोकर्स पर अडाणी के शेयरों में शॉर्ट पोजीशन्स को क्लोज करने का दबाव डाला। इससे खरीदारी का दबाव बना और महत्वपूर्ण समय में अडाणी ग्रुप के शेयरों को मदद मिली।’
- हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने ब्लॉग में कहा- ‘जब जनता और सुप्रीम कोर्ट पर इस मामले की जांच करने के लिए दबाव डाला गया, तो SEBI लड़खड़ाता हुआ दिखाई दिया। शुरुआत में, यह हमारी रिपोर्ट के कई प्रमुख निष्कर्षों से सहमत प्रतीत हुआ।’
- इसका एक उदाहरण देते हुए रिसर्च फर्म ने कहा- सुप्रीम कोर्ट केस रिकॉर्ड के अनुसार: SEBI खुद को संतुष्ट करने में असमर्थ है कि FPIs को फंड देने वाले अडाणी से जुड़े नहीं हैं। बाद में SEBI ने आगे जांच करने में असमर्थ होने का दावा किया।
SEBI ने कारण बताओ नोटिस में 4 बड़ी बाते कहीं थीं
- हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पब्लिकेशन से ठीक पहले और बाद में अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयर में कुछ संस्थाओं की ट्रेडिंग एक्टिविटी के मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने से पहले, अडाणी एंटरप्राइजेज के डेरिवेटिव में शॉर्ट-सेलिंग एक्टिविटी में कंसन्ट्रेशन देखा गया था।
- रिपोर्ट जारी होने के बाद, 24 जनवरी, 2023 से 22 फरवरी, 2023 की अवधि के दौरान अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयरों की कीमत में लगभग 59% की गिरावट आई। 24 जनवरी 2023 से 22 फरवरी 2023 की इस अवधि के दौरान शेयरों में किस तरह बदलाव आया उसे भी SEBI ने अपने नोटिस में बताया है।
- के इंडिया अपॉर्चुनिटीज फंड लिमिटेड ने एक ट्रेडिंग अकाउंट खोला और रिपोर्ट के पब्लिश होने से कुछ दिन पहले ही अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयर में ट्रेडिंग करना शुरू किया, और फिर हिंडनबर्ग रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद अपनी शॉर्ट पोजीशन को स्क्वायर ऑफ कर लिया। इससे183.24 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ।
- हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने “स्कैंडल” जैसी कैची हेडलाइन के उपयोग के माध्यम से जानबूझकर कुछ तथ्यों को सनसनीखेज और डिस्टॉर्ट किया। SEBI ने नोटिस में कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने बिना किसी साक्ष्य के अपनी रिपोर्ट में गलत बयानी की।
रिपोर्ट के बाद शेयर अडाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 59% गिरा था
24 जनवरी 2023 (भारतीय समय के अनुसार 25 जनवरी) को अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयर का प्राइस 3442 रुपए था। 25 जनवरी को ये 1.54% गिरकर 3388 रुपए पर बंद हुआ था। 27 जनवरी को शेयर के भाव 18% गिरकर 2761 रुपए पर आ गए थे। 22 फरवरी तक ये 59% गिरकर 1404 रुपए तक पहुंच गए थे। हालांकि, बाद में शेयर में रिकवरी देखने को मिली।
शॉर्ट सेलिंग यानी, पहले शेयरों को बेचना और बाद में खरीदना
शॉर्ट सेलिंग का मतलब उन शेयरों को बेचने से है जो ट्रेड के समय ट्रेडर के पास होते ही नहीं हैं। इन शेयरों को बाद में खरीद कर पोजीशन को स्क्वायर ऑफ किया जाता है। शॉर्ट सेलिंग से पहले शेयरों को उधार लेने या उधार लेने की व्यवस्था जरूरी होती है।
आसान भाषा में कहे तो जिस तरह आप पहले शेयर खरीदते हैं और फिर उसे बेचते हैं, उसी तरह शॉर्ट सेलिंग में पहले शेयर बेचे जाते हैं और फिर उन्हें खरीदा जाता है। इस तरह बीच का जो भी अंतर आता है, वही आपका प्रॉफिट या लॉस होता है।