अयोध्या में सेना की जमीन बिल्डरों को कैसे मिली ??
अयोध्या में सेना की जमीन बिल्डरों को कैसे मिली
गांववाले बोले- हम यहां घर नहीं बना सकते, सरकार ने प्लॉट कटवा दिए
5 अगस्त 2024 को UP के अखबारों में अयोध्या से जुड़ा एक सरकारी विज्ञापन छपा। इसमें बड़े अक्षरों में लिखा गया- अयोध्या में सेना के प्रशिक्षण के लिए ‘बफर जोन’ के रूप में चुनी गई 2,211 एकड़ जमीन को डि-नोटिफाई कर दिया गया है।
अयोध्या विकास प्राधिकरण, यानी ADA अब इस एरिया में मैपिंग की इजाजत देगा। इसका मतलब हुआ कि अब इन जमीनों को अयोध्या महायोजना और भवन निर्माण के लिए खोल दिया जाएगा। सेना यहां फायरिंग की प्रैक्टिस करती है, इसलिए यहां कंस्ट्रक्शन की इजाजत नहीं थी।
ये जमीन माझा जमथरा गांव में आती है। यहां रहने वाले लोग कह रहे हैं कि हम यहां पक्के मकान नहीं बना सकते, लेकिन बिल्डर प्लॉट काट रहे हैं।

UP सरकार ने 2047 तक नव्य अयोध्या बनाने का टारगेट रखा है। लगभग 30 हजार करोड़ रुपए की लागत से शहर में नई टाउनशिप बन रही हैं। कई डेवलपमेंट प्रोजेक्ट चल रहे हैं।
सरकारी प्रेस नोट जारी होने के बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं। आखिर सेना के इस्तेमाल वाली जमीनों पर प्लॉटिंग की इजाजत कैसे मिली, जिन इलाकों में फायरिंग रेंज है, सेना हथियारों का ट्रायल करती है, वहां शासन ने कैसे प्राइवेट कंस्ट्रक्शन को मंजूरी दे दी, आगे इन जमीनों का क्या होगा, इस फैसले पर सेना का क्या कहना है, सभी सवालों का जवाब जानने दैनिक भास्कर अयोध्या पहुंचा।

14 गांवों की 13 हजार एकड़ जमीन सेना के पास, जिस पर बिल्डरों की नजरें
25 लाख की आबादी वाली अयोध्या में कुल 1272 गांव आते हैं। ज्यादातर गांव सरयू नदी के किनारे बसे हैं। सेना की छावनी भी नदी के छोर पर है। बड़ा कैंट एरिया होने के कारण नदी से सटे 14 गांव सेना के ‘बफर-जोन’ में आते हैं।
इन गांवों की कुल 13,391 एकड़ जमीन को अगस्त 2020 से जुलाई 2025 तक सेना की फील्ड फायरिंग और आर्टिलरी प्रैक्टिस एक्ट 1938 के तहत नोटिफाई किया गया था। सेना के बफर-जोन में आने वाले अयोध्या के 14 गांवों में से एक माझा जमथरा भी है। यहां की 2,211 एकड़ जमीन को अब शासन ने डी-नोटिफाई कर दिया है।
सेना के बफर-जोन के तौर पर नोटिफाई की गई जमीन को बेचा और खरीदा जा सकता है। इसमें जमीन को खरीदने वाले का मालिकाना हक बना रहता है, लेकिन ऐसी जमीन पर खेती के अलावा कुछ नहीं किया जा सकता, क्योंकि ये जगह सेना की जमीन के ठीक बगल में होती है।


इस जमीन पर आर्मी समय-समय पर फील्ड फायरिंग और बॉम्बिंग का अभ्यास करती है। ऐसे में लोगों और जानवरों को चोट लगने और प्रॉपर्टी को नुकसान होने का डर रहता है। इसलिए बफर-जोन में आने वाले गांवों को अतिसंवेदनशील माना जाता है।
आर्मी के कंट्रोल में आने वाले जिस माझा जमथरा गांव को डी-नोटिफाई किया गया, हम वहां पहुंचे। यहां हमें 70 साल के फतेह बहादुर मिले।
फतेह बहादुर कहते हैं, ‘जमथरा गांव के एक तरफ सेना की छावनी है और दूसरी तरफ सरयू नदी। यहां सेना फायरिंग और बमबाजी करती रहती है। हमें पहले ही बता दिया जाता है कि अगले 2 से 3 दिन कोई खेत में नहीं जाएगा, न ही कोई जानवर ले जाएगा।’
‘कई बार तो हमें खेत में गोला-बारूद बिखरे मिलते थे। इसलिए माझा जमथरा में पक्के मकान बनाने पर रोक है, यहां हम लोग झुग्गी बनाकर रहते हैं।’
जिस जमीन को डी-नोटिफाई किया गया, वहां पहले से अडाणी ग्रुप-रामदेव के प्लॉट
5 अगस्त, 2024 को जारी प्रेस नोट में अयोध्या डेवलपमेंट अथॉरिटी ने साफ कहा है कि वो माझा जमथरा गांव में घर या कोई बिल्डिंग बनाने के लिए नक्शा स्वीकार करेगा। राम मंदिर से माझा जमथरा की दूरी 2 से 3 किमी है।
सेना के बफर-जोन में आने वाले बनबीरपुर गांव के उपेंद्र प्रताप सिंह बिल्डरों की मनमानी से नाराज हैं। वे कहते हैं, ‘राममंदिर के उद्घाटन के बाद से ही सरयू किनारे बसे गांवों में अवैध प्लॉटिंग शुरू हो गई थी। यहां प्रॉपर्टी डीलर्स ने किसानों से कम रेट पर जमीन खरीदकर ऊंचे दाम पर बेच दीं।’
2020 में राम मंदिर के भूमिपूजन के बाद से अयोध्या में जमीन के रेट 12 से 20 गुना बढ़ गए थे। अयोध्या के स्टांप और रजिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट के मुताबिक, चौदह कोसी परिक्रमा मार्ग के आसपास 1,350 स्क्वायर फीट जमीन की कीमत 4 लाख रुपए से बढ़कर 65 लाख रुपए के करीब पहुंच गई है। ये वही जमीनें हैं, जो माझा जमथरा गांव में आती हैं।
ये वही एरिया है, जहां जनवरी में मंदिर उद्घाटन से ठीक पहले अडाणी ग्रुप की कंपनी होमक्वेस्ट इंफ्रास्पेस, धार्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के आर्ट ऑफ लिविंग ग्रुप और योग गुरु रामदेव के भारत स्वाभिमान ट्रस्ट से जुड़े लोगों ने प्लॉटिंग करवाई थी। इनकी बाउंड्री वॉल अब भी खिंची हुई हैं।

हाईकोर्ट की फटकार के बावजूद प्लॉट काटे
जनवरी 2023 में राम मंदिर निर्माण का काम चरम पर था। इसी बीच खबर आई कि लोकसभा चुनाव से पहले राममंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम होगा। इस घोषणा के बाद से ही यहां जमीनों के रेट बढ़ने लगा। बिल्डरों ने राम मंदिर के पास बसे गांवों की जमीनें किसानों से खरीद लीं और बेचने लगे।
इस बीच अयोध्या के वकील प्रवीण कुमार दुबे ने 11 फरवरी 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में बिल्डरों के खिलाफ जनहित याचिका दायर की। याचिका में सेना के बफर जोन में अवैध कब्जे का आरोप लगाया गया। वकील प्रवीण कुमार दुबे से मिलने हम अयोध्या के डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन कोर्ट पहुंचे।

6 साल से वकालत कर रहे प्रवीण ने हमें बताया, ‘मेरी याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ADA से कहा कि रक्षा मंत्रालय को सौंपी गई राज्य की जमीन पर कानून का उल्लंघन कर अतिक्रमण या उसे नष्ट करने की परमिशन नहीं दी जा सकती है। इसलिए सेना के बफर जोन में हुए निर्माण जल्द से जल्द हटाए जाएं।’
‘हाईकोर्ट की फटकार के बाद ADA के अधिकारी एक्टिव हुए। नवंबर 2023 में अपने जवाब में अथॉरिटी ने कहा कि वो 14 गांवों में सेना के इस्तेमाल के लिए नोटिफाई की गई 13,391 एकड़ जमीन पर किसी भी तरह के डेवलपमेंट या कंस्ट्रक्शन के लिए कोई मैपिंग स्वीकार नहीं करेगा।’
‘हालांकि, अब 5 अगस्त को प्रेस नोट जारी कर ADA ने माझा जमथरा ग्रामसभा की जमीन को हाईकोर्ट के आदेश से बाहर कर दिया और वहां मैपिंग की इजाजत दे दी है।’
सरकार ने 2 महीने तक डी-नोटिफिकेशन की बात छिपाकर रखी
एडवोकेट प्रवीण आगे कहते हैं, ‘शासन ने बफर-जोन में आने वाली 2,211 एकड़ जमीन चुपचाप 30 मई को ही डी-नोटिफाई कर दी थी, लेकिन उसने ये जानकारी 2 महीने तक छिपाकर रखी। 5 अगस्त 2024, को ADA ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि वो उस संवेदनशील जमीन पर विकास के लिए मैपिंग पर विचार करेगा और उन्हें स्वीकार करेगा। यहां सवाल उठता है कि सरकार ने ये बात मई से अगस्त तक सार्वजनिक क्यों नहीं की।’
अयोध्या में बेतरतीब और अवैध प्लॉटिंग का दावा करते हुए प्रवीण कहते हैं, ‘सिर्फ माझा जमथरा में ही नहीं, बफर-जोन में आने वाले सभी 14 गांवों में अवैध रूप से प्लॉटिंग हो रही है। बनबीरपुर, हाजीसिंहपुर, मुमताजनगर और घाटमपुर में बिल्डरों ने सेना के A1 कैटेगरी लैंड के करीब बड़े-बड़े स्कूल खड़े कर दिए हैं।
एडवोकेट प्रवीण बताते हैं कि मैंने कई बार अयोध्या के कमिश्नर गौरव दयाल, छावनी के ब्रिगेडियर और ADA से इस मसले पर लिखित जवाब मांगा, लेकिन अब तक जवाब नहीं मिला है।
अधिकारी बोले- 1980 के बाद जमथरा में आर्मी प्रैक्टिस नहीं हुई
अयोध्या में सेना के बफर-जोन को डी-नोटिफाई किए जाने पर ADA और प्रशासन का क्या कहना है, ये जानने के लिए हम अयोध्या के डिविजनल कमिश्नर गौरव दयाल से मिले। पढ़िए उनसे बातचीत।
सवाल: सेना के बफर जोन में अतिक्रमण का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है, फिर माझा जमथरा को डी-नोटिफाई कैसे किया गया?
जवाब: माझा जमथरा गांव श्री राम जन्मभूमि मंदिर से सटा हुआ है। यहां पर जिस जमीन को डी-नोटिफाई किया गया, वहां पहले से नजूल की जमीनें और प्राइवेट लैंड हैं। ये सही बात है कि ये जमीन पहले सेना को फायरिंग प्रैक्टिस के लिए दी जाती थी, लेकिन 1980 के बाद माझा जमथरा में आर्मी प्रैक्टिस जैसी कोई एक्टिविटी नहीं हुई है।
राममंदिर के उद्घाटन के बाद से ही अयोध्या में लोगों का आना लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में हमें मंदिर के नजदीक वाला एरिया यात्रियों की सुविधाओं के लिए डेवलप करना है।’
सवाल: बफर जोन की जमीनें अडाणी ग्रुप और बाबा रामदेव के ट्रस्ट ने कैसे खरीदीं, भविष्य में वे कॉमर्शियल कंस्ट्रक्शन करते हैं, तब क्या कार्रवाई होगी?
जवाब: अगर आप घर बनवाते हैं, तो पहले आपको अथॉरिटी से नक्शा पास करवाना पड़ता है। ये नियम सबके लिए है। माझा जमथरा गांव की जमीन पर सिर्फ ओपन स्पेस या पार्क बनाने की इजाजत मिलेगी। इसके अलावा वहां कोई कंस्ट्रक्शन नहीं हो सकेगा।
ये अफवाह फैलाई जा रही है कि शासन और प्रशासन ने सेना की जमीन कुछ उद्योगपतियों को दे दी है। ये सब बेबुनियाद है।
माझा जमथरा की जमीन पर भारतीय मंदिर संग्रहालय बनाने की तैयारी
इसके बाद हम अयोध्या डेवलपमेंट अथॉरिटी के उपाध्यक्ष अश्वनी कुमार पांडे से मिले। उनसे पूछा कि माझा जमथरा की जमीन पर क्या कोई सरकारी प्रोजेक्ट शुरू होगा? अश्वनी जवाब देते हैं, ‘माझा जमथरा गांव गुप्तार घाट और चौदह-कोसी परिक्रमा मार्ग से जुड़ा हुआ है। यात्री यहां से मिनटों में राम मंदिर पहुंच सकते हैं। ADA इस इलाके को आध्यात्मिक और पर्यटन के लिहाज से डेवलप करने में जुटा है।’
‘यहां भारतीय मंदिर संग्रहालय बनाने का प्लान है। जल्द ही इस पर काम शुरू होगा। इस म्यूजियम के लिए माझा जमथरा की 55 एकड़ नजूल भूमि पर्यटन विभाग को दी गई है।’

अयोध्या छावनी ब्रिगेडियर बोले- ये मंत्रालय से जुड़ा मामला, इस पर कुछ कहना ठीक नहीं
माझा जमथरा में सेना की फायरिंग प्रैक्टिस वाली जमीन डी-नोटिफाई किए जाने के बाद कुछ सवाल खड़े होते हैं। क्या अयोध्या कैंट बोर्ड को इसकी जानकारी है, क्या रक्षा मंत्रालय से राज्यपाल को संबंधित क्षेत्र को डी-नोटिफाई करने की अनुमति मिली है?
इस पर हमने अयोध्या छावनी के ब्रिगेडियर के. रंजीव सिंह से फोन पर बात की। उन्होंने बताया, ‘इस मामले के बारे में जानकारी मिली है, लेकिन इस पर रक्षा मंत्रालय ही कोई जवाब दे पाएगा। मैं भी यहां कुछ समय पहले आया हूं। इसलिए इस विषय पर ज्यादा जानकारी नहीं है।’
हमने रक्षा मंत्रालय का पक्ष जानने के लिए मंत्रालय के जॉइंट सेक्रेटरी को ईमेल किया है। अब तक उनकी ओर से जवाब नहीं मिला है। जवाब मिलते ही स्टोरी में उनका पक्ष भी शामिल किया जाएगा।