नोएडा एक्सप्रेस-वे पर 24 पोल होंगे शिफ्ट …. 3 लाख वाहन रोजाना गुजरते हैं
नोएडा एक्सप्रेस-वे पर 24 पोल होंगे शिफ्ट:वाहनों को मिलेगी सुरक्षा, कमेटी देगी रिपोर्ट; 3 लाख वाहन रोजाना गुजरते हैं
ये सभी क्रैश बैरियर के अंदर है। ट्रैफिक विभाग से बातचीत करके इन पोल को शिफ्ट किया जा सकता है। ऐसे स्ट्रक्चर जो क्रैश बैरियर के बाहर नहीं किए जा सकते। इसको लेकर एक बैठक ट्रैफिक विभाग के साथ होगी।
पड़ताल के लिए बनी कमेटी
प्राधिकरण के एसीईओ संजय खत्री ने बताया कि बतौर एक्सप्रेस वे की पड़ताल के लिए एक कमेटी बनाई है। ये कमेटी अपना काम कर रही है। इप पोल्स को शिफ्ट किया जाए या कोई और मेजर सेफ्टी के पाइंट शामिल किए जाए इसकी रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट सब्मिट होते ही आगे की प्रक्रिया की जाएगी।
सर्विलांस पर है एक्सप्रेस
24.5 किमी लंबे नोएडा एक्सप्रेस वे सिटी सर्विलांस सिस्टम के अंडर आता है। इस एक्सप्रेस की निगरानी के लिए यहां आईएसटीएमएस के तहत कैमरे लगाए है। इन कैमरों को पोल पर लगाया गया है। पोल क्रैश बैरियर के अंदर यानी एक्सप्रेस वे की ओर लगे है। इसका कुछ हिस्सा ग्रेटरनोएडा प्राधिकरण के पास भी है।
सेफ्टी पाइंट को लेकर बना रहे योजना
ऐसे में नोएडा वाहन चालकों के लिए इस एक्सप्रेस वे को सुरक्षित बनाता चाहता है। प्राधिकरण डीजीएम राजेश कुमार ने बताया कि पोल को क्रैश बैरियर के पीछे शिफ्ट करना एक लंबा प्रोसेस है। सेफ्टी पाइंट को लेकर मंथन किया जा रहा है। ट्रैफिक विभाग के साथ बैठक कर मेजर पाइंट पर चर्चा की जाएगी। सर्वे किया जाएगा इसके बाद फाइनल रिपोर्ट सब्मिट की जाएगी।
14 अगस्त को हुआ था हादसा
14 अगस्त को इसी एक्सप्रेस वे पर प्राधिकरण के जूनियर इंजीनियर के दो बेटे और बरौला निवासी उनके दोस्त की मौत सड़क हादसे में हो गई थी। एक्सप्रेस-वे पर चल रही तेज रफ्तार कार बेकाबू होकर सड़क से उतरी और क्रैश बैरियर से पहले लगे ISTMS के पोल के कन्क्रीट स्ट्रक्चर से टकराई।
यहां पर दो खंभे लगाकर उनके बीच निगरानी के लिए प्राधिकरण की एजेंसी ने कैमरे और पावर बैकअप के लिए सोलर सिस्टम लगवाया है। इस स्ट्रक्चर का एक पोल जो डिवाइडर की तरफ है वह क्रैश बैरियर के बाहर है।
रोजाना चलते है 3 लाख वाहन
ये एक्सप्रेस वे दिल्ली को नोएडा और ग्रेटर नोएडा से जोड़ता है। यही आगरा एक्सप्रेस वे को भी जीरो पाइंट पर जोड़ता है। सामरिक दृष्टि से ये काफी महत्वपूर्ण है। रोजाना इस एक्सप्रेस वे से 3 लाख से ज्यादा वाहन निकलते है। ऐसे में सुरक्षा के लिहाज से ये सेफ्टी प्रोजेक्ट काफी अहम हो जाएगा।