‘बाबा बुलडोजर’ पर सुप्रीम कोर्ट का ब्रेक ?

‘बाबा बुलडोजर’ पर सुप्रीम कोर्ट का ब्रेक, जब तक कानून से दोषी नहीं, कार्रवाई का हक सरकार को नहीं

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनका प्रशासन अक्सर चर्चा में रहता है. खासकर बुलडोजर वाले फैसले से योगी आदित्यनाथ काफी पॉपुलर हुए. योगी आदित्यनाथ जब दूसरे राज्यों में चुनाव के समय गए तो उनका स्वागत बुलडोजर के माध्यम से किया गया. बुलडोजर की नीति यूपी से निकलकर असम, राजस्थान और मध्य प्रदेश तक जा चुकी है. बिहार में भी एक बार बुलडोजर का एक्शन देखने को मिला था. हाल में ही सुप्रीम कोर्ट ने एक टिप्पणी की और कहा कि अगर कोई अभियुक्त हो या फिर दोषी हो, फिर भी उसका घर नहीं गिराया जा सकता. इस कदम पर कोर्ट ने सरकारों से रिपोर्ट भी मांगी है. 

अपराधियों के घरों पर क्यों एक्शन 

यूपी में योगी आदित्यनाथ जब सीएम बने तो पुलिस को खूब छूट दिए गए. नीतजन राज्य में अपराधियों का खूब एनकाउंटर हुआ. दूसरी बातें उन्होंने कही थी कि अपराधियों के घर गिराये जाएंगे. उसके बाद से बुलडोजर सक्रिय हुआ. उस समय भी एक समाज इस बात को लेकर चिंतित था कि मात्र अगर किसी पर आरोप लग जाए और उसकी गिरफ्तारी भर मात्र उसके घर पर एक्शन ले लिया जाए, ये कहां तक ठीक है. कानून में भी ये कहा गया है कि अगर किसी पर आरोप लग जाता है और उसकी गिरफ्तारी हो जाती है तो उसके आरोपित से लेकर आरोपी होने तक का काम न्यायालय में होता है.

अगर किसी तरह वो व्यक्ति दोषमुक्त हो जाता है और वो बरी हो जाता है तो फिर बुलडोजर पर एक्शन का क्या होगा? साथ ही, क्या जिसके घर गिरा दिए गए, उसकी वापसी को लेकर सरकार क्या करेगी या फिर उसको मुआवजा का प्रावधान किया जाएगा? इस बात को भी सामने नहीं किया गया. समाज में इस फैसले को तालीबानी सजा के तौर पर देखा जाने लगा, क्योंकि मात्र आरोप लगने के बाद संबंधित व्यक्ति का घर गिरा देना कहां से न्याय होगा. 

घर पर कार्रवाई कहीं से ठीक नहीं 

अगर किसी का आरोप सिद्ध भी हो जाता है, तो उसका घर गिरा देना क्या ठीक है? क्योंकि उस घर में वो अकेले तो नहीं रह रहा होगा, बल्कि उसके साथ पूरा परिवार रहता होगा. घर पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई तभी हो सकता है, जब उसका घर किसी अतिक्रमण हो या फिर वो अवैध निर्माण की श्रेणी में आता हो. हालांकि समाज में ये बात फैली की अपराधियों में भय व्याप्त करने के लिए घरों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है. सवाल तो ये भी उठने लगा की यूपी में क्या भय का शासन होगा या फिर न्याय का शासन होगा.

इसको लेकर लोगों के अलग-अलग राय आते रहे हैं. हालांकि, शुरुआती दौर में इसको लेकर ख्याति खूब बढ़ी, इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है. ये प्रक्रिया आगे भी चलता रहा. समय बीतने के साथ ही सरकार पर ये भी आरोप लगने लगे कि कुछ सलेक्टिव समुदाय पर ही ये कार्रवाई हो रही है. किसी एक समुदाय के मामले में जल्द बुलडोजर का पहुंच जाना और फिर घर गिराने की कार्रवाई कर देना और दूसरे समुदाय पर ये कार्रवाई का ना होने की घटनाएं भी काफी हद तक सामने आईं. बावजूद इन सबके योगी आदित्यनाथ की ब्रांडिंग बुलडोजर बाबा के नाम से खूब हुई.  

सभा तक में रहते थे बुलडोजर 

पिछले बार के विधानसभा चुनाव के दौरान योगी आदित्यनाथ जब भी प्रचार के लिए निकलते थे तो उनकी सभा में लोग बुलडोजर लेकर आते थे. प्लास्टिक से बने बुलडोजर की टोपी अपने सिर पर पहनकर उनकी सभा में पहुंचते थे. इससे जमकर उनकी ख्याति और ब्रांडिंग हुई. इन्हीं चीजों से प्रेरित होकर राजस्थान, मध्य प्रदेश और असम तक की सरकारों ने इस तरह की पद्धति को अपनाया. हालांकि, इस मामले को लेकर जब लोग सुप्रीम कोर्ट में गए तो कोर्ट ने कहा कि अगर कोई दोषी हो या ना हो तो उसमें घर गिराने की कार्रवाई तो नहीं किया जा सकता है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन के मामले में राज्य सरकारों से इसके लिए रिपोर्ट मांगी है. लेकिन सुनवाई के दौरान सालिसिटर ने ये कहा कि जिन लोगों पर कार्रवाई की गई है, वो पहले के ही अतिक्रमण के मामले में नोटिस दिया गया था.

उस मामले में ये कार्रवाई किया गया है, तत्कालिक अपराध में घर गिराने की कार्रवाई नहीं की गई है. दरअसल उत्तर प्रदेश में अतिक्रमण बड़ी सच्चाई के साथ समस्या भी है. ये कार्रवाई अतिक्रमण के खिलाफ भले किया गया हो, लेकिन इसकी ख्याति किसी और रुप में ही समाज में गई.

अगर अपराधिक तौर पर कार्रवाई करते हुए घर गिराया जाता है, तो फिर सही नहीं है क्योंकि घर में सिर्फ कोई अकेला व्यक्ति नहीं रहता है, बल्कि उसके साथ घर के सदस्य भी रहते हैं. घर में रहने वाली महिलाओं और बच्चों के मानवाधिकार का क्या इसे हनन नहीं माना जाएगा? बुलडोजर एक्शन ने काफी ख्याति बटोरी लेकिन एक समय आया जब इसको विरोध का सामना करना पड़ा.  

योगी के हाथ से एक अस्त्र गायब 

पहले कोई चीज आती है, तो समाज के लिए वो नया होता है. उसके साथ ही उसकी ख्याति खूब होती है. लोगों को वो कदम अच्छा होता है. लेकिन जिस तरह से वो चीजें पुरानी होती जाती है, उसकी बुराईयां और विरोध दोनों होने लगती हैं. अपराधियों पर कार्रवाई करना सरकार का काम जरुर है, लेकिन कानून का उलंघन कहीं से भी ठीक नहीं है. योगी आदित्यनाथ के बुलडोजर वाले कदम से उन्होंने काफी ख्याति पाई, लेकिन बाद में इसका विरोध शुरु होने लगा.

अब तो ये लग रहा है कि योगी के हाथ से बड़ा एक हथियार छीन गया है. अपराधियों के पैर के टखना पर गोली मारने की घटना में यूपी पुलिस ने एक रिकॉर्ड बना दिया है. हालांकि कई बार ये भी देखा गया है कि पुलिस लाउन में ट्रेनिंग के दौरान सिपाहियों से बंदुक की नली ही नहीं खुल पाती है. इसलिए ये बाते थोड़ी सोचने पर मजबूर करती है. राजनीतिक रुप से योगी इन दिनों संकट से गुजर रहे हैं. इसी बीच में अपराधियों पर नकेल कसने के लिए घर पर बुलडोजर की कार्रवाई करने का अस्त्र भी योगी आदित्यनाथ के हाथ से छिन गई है. 
 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं.यह ज़रूरी नहीं है कि …न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]

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