ग्वालियर…. आयुक्त AC कक्ष में बैठे हैं, सड़क का हाल पता नहीं है ?
निगम अफसरों पर नाराज हुए जस्टिस फड़के बोले
आयुक्त AC कक्ष में बैठे हैं, सड़क का हाल पता नहीं है; हमने आपका जवाब देखा अब आप हमारा आदेश पढ़िएगा
ग्वालियर में नगर निगम के अफसरों की लापरवाही व अनदेखी के चलते निगम आयुक्त को हाई कोर्ट की नाराजगी का सामना करना पड़ा। जस्टिस मिलिंद रमेश फड़के ने निगम अफसरों के रवैये पर नाराजगी जाहिर करते हुए जमकर फटकारा।
ग्वालियर के सिथौली रोड स्थित जीएलआर रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड की टाउनशिप से जुड़े बाहरी विकास कार्य में हो रही देरी पर जस्टिस ने कहा, निगम ने अगस्त 2021 में शुल्क वसूला, ये कहते हुए कि सड़क पानी-सीवर लाइन का काम वे कराएंगे।
इतना समय बीत गया, लेकिन कुछ भी नहीं किया गया। निगम आयुक्त एसी कक्ष में बैठे हुए हैं, सड़क पर क्या हो रहा है, पता नहीं है। जगह-जगह कचरे का ढेर लगा हुआ है। चलना भी मुश्किल हो गया है। आपका जवाब हमने देख लिया, ये केवल दिखावा है। अब आप हमारा आदेश पढ़ लीजिएगा।
निगम को 67 लाख रुपए विकास कार्य के लिए दिए दरअसल, शहर के एक बिल्डर ने वार्ड-66 स्थित सिथौली रोड पर टाउनशिप विकसित की है। इसमें एक दर्जन से अधिक परिवार वर्तमान में निवासरत हैं। हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए बताया गया कि अगस्त 2021 में निगम को लगभग 67 लाख रुपए बाहरी विकास कार्य के लिए दिए गए।
इसमें निगम को सीवर-पानी-सड़क संबंधी कार्य करवाना था। 3 साल बीतने के बाद भी निगम वहां पर एक भी काम नहीं कर पाया। कोर्ट ने कहा कि जब आपके पास संसाधन नहीं थे, तो फिर शुल्क क्यों वसूला? मामले की सुनवाई अब 15 सितंबर को होगी।
कोर्ट ने दी चेतावनी- यदि मुख्य सचिव को पत्र लिख दिया तो… इस मामले में नगर निगम ने जवाब पेश करते हुए बताया कि अमृत प्रोजेक्ट के अंतर्गत उक्त क्षेत्र में विकास कार्य कराए जाएंगे। प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर एमआईटीएस भेज दी है। कोर्ट ने दस्तावेज देखे तो पता लगा कि रिपोर्ट 24 अगस्त 2024 को भेजी गई है।
इस तथ्य को भी कोर्ट ने अनदेखा किया। फिर कोर्ट को बताया कि एमआईटीएस के बाद रिपोर्ट को एमआईसी से हरी झंडी मिलने के बाद राज्य शासन के पास भेजा जाएगा। तब जाकर फंड स्वीकृत होगा। इस पर कोर्ट ने कहा कि ऐसा तो आप लोग तीन साल में भी काम पूरा नहीं कर पाएंगे। कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि मुख्य सचिव को पत्र लिख दिया तो आगे आप समझना।