इंदौर : कैसे बरी हुए पूर्व विधायक ?

श्मदीद थे, VIDEO था..फिर भी कैसे बरी हुए पूर्व विधायक ….
बल्लाकांड का फरियादी बोला- फोन पर बात कर रहा था; किसने मारा, पता नहीं

इंदौर नगर निगम के अफसर को बल्ला मारने के आरोप में पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय सहित सभी 10 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है। देशभर में चर्चित इस मामले में कोर्ट में ऐसा क्या हुआ कि कहानी पूरी उलट गई। चश्मदीद गवाह, पुलिस वाले सब पलट गए। यहां तक कि जो वीडियो था, वह भी सच है या फर्जी, अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया।

दैनिक भास्कर ने 60 से ज्यादा पन्ने के इस अदालती आदेश को देखा तो पता चला कि न तो गवाह अपनी पुरानी बातों पर टिके रह पाए, न ही अभियोजन पलटते गवाहों को ठीक से क्रॉस कर पाया। यह ऐसा मामला था कि सरकारी वकील को अपने ही गवाहों से सवाल पूछना पड़े कि पहले तो उन्होंने कुछ कहा था, अब ये क्या कह रहे हैं? इनमें खुद फरियादी के अलावा नगर निगम के 4 अन्य अधिकारी और दो पुलिसकर्मी शामिल हैं।

पढ़िए, पूर्व विधायक के खिलाफ गवाह कोर्ट में कैसे पलटे…

1. सुनील तायड़े (नगर निगम के बेलदार और घटना के चश्मदीद)

पुलिस से कहा- टीम के साथ मौके पर गया था। तायड़े को सबसे महत्वपूर्ण मानते हुए अदालत में पहला चश्मदीद गवाह बनाकर पेश किया गया।

कोर्ट में कहा- घटना स्थल पर मौजूद नहीं था। घटना नहीं देखी है। वायरल वीडियो को देखने पर घटना का पता चला। खुद को अनुश्रुत गवाह यानी दूसरे से सुनी-सुनाई बात कहने वाला बताया।

2. धीरेंद्र बायस (फरियादी, जिन्होंने केस किया था)

पुलिस से कहा- आकाश विजयवर्गीय ने समर्थकों के साथ बल्ले से पिटाई की। धमकी भी दी।

कोर्ट में कहा- मैं फोन पर बात कर रहा था। पीछे से बल्ला किसने मारा, पता नहीं।

3. राज ठाकुर (प्रभारी उप यंत्री और चश्मदीद के साथ मारपीट, तोड़फोड़ के वीडियो देने वाले)

पुलिस से कहा- नगर निगम अधिकारी के साथ विजयवर्गीय ने मारपीट की है। वीडियो के लिए दो पेन ड्राइव भी उपलब्ध कराए।

कोर्ट में कहा- मौके पर अचानक भीड़ आई तो मैं परिचित की दुकान पर चला गया। एमजी रोड थाना पुलिस धीरेंद्र बायस को गाड़ी में बैठाकर ले गई। सोशल मीडिया पर देखा कि बायस को चोट लगी है। किसने उन्हें मारा, मुझे नहीं पता। पेन ड्राइव कहां से आई, नहीं पता। पुलिस ने पता नहीं कैसे मेरे बयान लिख लिए।

(जब सरकारी वकील ने पूछा था कि आकाश विजयवर्गीय ने मारने की धमकी दी थी तो हां किया। फिर कुछ ही सेकेंड में कोर्ट के सामने इसी बात को मना कर गए। कोर्ट ने इसे परस्पर विरोधी बयान कहकर खारिज कर दिया।)

4. वीरेंद्र कुमार उपाध्याय (सहायक रिमूवल अधिकारी और बल्ला जब्त कराने वाले)

पुलिस से कहा- रात को 10 बजे एमजी रोड थाने से फोन आया तो मैं थाने गया। पुलिस घटना स्थल ले गई। सुलभ शौचालय के पास टूटा हुआ बल्ला पड़ा था। जिसे जब्त किया।

कोर्ट में कहा- जब्त बल्ला किसी भी क्रिकेट खेलने वाले व्यक्ति के पास हो सकता है। जब्ती के पहले बल्ला नहीं देखा था। यह नहीं कह सकता कि पुलिस ने मेरे साथ जब्ती कराने से पहले बल्ला ले जाकर सुनसान गली में रखा था या नहीं।

5. असित खरे (भवन अधिकारी, घटनास्थल पर मौजूद थे)

पुलिस से कहा- रिपोर्ट करने वाले अधिकारी का समर्थन करता हूं।

कोर्ट में कहा- भीड़ देखकर मौके से चला गया था। पता चला कि मौके पर मारपीट हुई है तो मैं थाने की ओर चला गया। भीड़ के कारण आरोपियों को पहचान नहीं सकता।

6. लालसिंह जामोद (प्रत्यक्षदर्शी और सबसे पहले मौके पर पहुंचे पुलिस ASI)

पुलिस से कहा- सूचना पर मौके पर पहुंचा। भीड़ को तितर-बितर किया। आकाश विजयवर्गीय और कार्यकर्ता खड़े थे। अचानक भीड़ ने मारपीट शुरू कर दी। भीड़ को नियंत्रित करने में लग गया।

कोर्ट में कहा- मेरे मौके पर पहुंचने के पहले घटना हो चुकी थी, इसलिए इस बारे में जानकारी नहीं।

7. अश्विन कल्याणे (प्रभारी सहायक रिमूवल अधिकारी और प्रत्यक्षदर्शी)

पुलिस से कहा- मौके पर बहुत भीड़ थी। बाथरूम करने चला गया था। भगदड़ मची तो वहां से चला गया।

कोर्ट में कहा- मुझे यह पता नहीं है कि आकाश विजयवर्गीय समर्थकों के साथ मौके पर पहुंचे और बल्ले से मारपीट की।

8. प्रहलाद सिंह खंडाते (उपनिरीक्षक एमजी रोड थाना और जांच अधिकारी)

पुलिस से कहा- फरियादी की पहचान पर ही पंचनामा बनाया था। राज ठाकुर से दो पेन ड्राइव जब्त की गई। पूरे मामले की जांच की है।

कोर्ट में कहा– घटना के दो घंटे बाद मौके पर पहुंचा था। किसी व्यक्ति से बल्ला जब्त नहीं किया। वीडियो किसने बनाया या पेन ड्राइव किसने तैयार की है, यह प्रमाणित नहीं कर सकता।

 

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