ट्रेन की टक्कर रोकने वाला ‘कवच’ किन-किन मार्गों पर लगा ?

Railway Kavach: ट्रेन की टक्कर रोकने वाला ‘कवच’ किन-किन मार्गों पर लगा, इस तकनीक पर सरकार कितना खर्च कर रही?
 ट्रेन की टक्कर रोकने के लिए देश में ‘कवच’ तकनीक विकसित की गई है। अमर उजाला की एक आरटीआई के जवाब में सरकार ने बताया है कि कवच को अब तक दक्षिण मध्य रेलवे पर 1465 रूट किलोमीटर और 144 इंजनों पर तैनात किया गया है। वहीं दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर (लगभग 3000 रूट किमी) में कवच का काम चल रहा है। 

Indian Railway and Kavach installation progress news in hindi

साल-दर-साल रेल दुर्घटनाएं  …

इन दिनों रेलवे की सुरक्षा देश में चर्चा का विषय बनी हुई है। हाल ही में हुई घटनाओं के बाद टक्कर रोधी तकनीक ‘कवच’ को लेकर बहस शुरु हो गई। विपक्ष ने मांग उठाई कि सभी रेल मार्गों पर यह तकनीक लगाई जानी चाहिए। 

अमर उजाला ने कवच को लेकर एक आरटीआई आवेदन दाखिल किया था जिसके जवाब में कई जानकरियां सामने आई हैं। यह आवेदन पश्चिम बंगाल में कंचनजंगा एक्सप्रेस और मालगाड़ी की टक्कर की घटना के बाद दायर किया गया था। इस ट्रेन हादसे में नौ लोगों की मौत हो गई थी और 50 से अधिक घायल हुए थे। आइये जानते हैं कि कवच क्या है? यह तकनीक कहां-कहां लगी है? इस पर सरकार कितना खर्च कर रही है? ट्रेन दुर्घटनाओं के आंकड़े क्या कहते हैं?

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कवच – 
कवच क्या है और इसका इस्तेमाल कहां होता है? 
कवच भारत में बनाई गई स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली है। ऐसे मामलों में जहां ट्रेन चला रहा लोको पायलट खुद ब्रेक लगाने में असमर्थ है, ‘कवच’ स्वचालित रूप से ब्रेक लगाने और ट्रेन को निर्धारित गति सीमा के भीतर चलाने में मदद करता है। इसके अलावा यह प्रणाली प्रतिकूल मौसम की स्थिति में ट्रेन को सुरक्षित रूप से चलाने में भी मददगार है।रेल मंत्रालय के अनुसार, यह प्रणाली ब्लॉक खंडों और पटरियों पर ट्रेनों के एक-दूसरे से टकराने की आशंका को कम करती है। 

कवच तकनीक अभी कहां लागू है?
रेलवे बोर्ड के अनुसार, कवच को अब तक दक्षिण मध्य रेलवे पर 1465 रूट किलोमीटर पर और 144 इंजनों पर तैनात किया गया है। वर्तमान में दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर (लगभग 3000 रूट किमी) में कवच का काम जारी है। इस तकनीक को क्रमिक रूप से तैनात किया जा रहा है। वहीं संसद में दिए एक जवाब में रेल मंत्रालय ने बताया कि कवच के कार्यान्वयन में कई गतिविधियों शामिल होती हैं। इनमें हर स्टेशन पर स्टेशन कवच लगाना, पूरे ट्रैक की लंबाई में आरएफआईडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) टैग लगाना, पूरे सेक्शन में टेलीकॉम टावर लगाना, ट्रैक के साथ ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाना और भारतीय रेलवे पर चलने वाले प्रत्येक लोकोमोटिव पर लोको कवच का प्रावधान शामिल है।
इसके अलावा, 6000 रूट किलोमीटर के विस्तृत अनुमान के साथ भारतीय रेलवे की विस्तार परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को मंजूरी दे दी गई है। 

रेलवे रेल कवच पर कितना खर्च करता है? 
रेवले बोर्ड ने सवाल के जवाब में बताया कि 31 मार्च 2024 तक कवच से जुड़े कार्यों पर 1216.77 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके थे। वहीं 2024-25 के बजट में 1112.57 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। 
क्या पश्चिम बंगाल में कंचनजंगा एक्सप्रेस और मालगाड़ी की टक्कर में रेल कवच का इस्तेमाल किया गया था? अगर इस्तेमाल किया गया था, तो गलती कहां हुई? 
इस सवाल के जवाब में रेलवे बोर्ड ने बताया कि कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना न्यू जलपाईगुड़ी बारसोई मालदा टाउन सेक्शन में हुई। कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटना के मामले में रेलवे सुरक्षा आयोग (सीआरएस) जांच के आदेश दिए गए हैं और अंतिम रिपोर्ट का इंतजार है।
रेल दुर्घटनाओं से जुड़े आंकड़े क्या कहते हैं?
संसद में रेल मंत्रालय ने बताया है कि पिछले कुछ वर्षों में उठाए गए कई सुरक्षा उपायों के चलते दुर्घटनाओं की संख्या में काफी कमी आई है। परिणामी रेल दुर्घटनाओं (कॉन्सिक्वेश्नल ट्रेन एक्सिडेंट) की संख्या 2000-01 में 473 थी जो 2023-24 में घटकर 40 पर आ गई है।मंत्रालय ने बताया कि 2004-14 के बीच परिणामी रेल दुर्घटनाएं 1711 (औसत 171 हर वर्ष) थीं। वहीं, 2014-24 में ये घटकर 678 (औसत 68 हर वर्ष) हो गई हैं। ट्रेन संचालन में बेहतर सुरक्षा को दर्शाने वाला एक अन्य अहम सूचकांक प्रति मिलियन ट्रेन किलोमीटर दुर्घटनाएं (APMTKM) है। यह सूचकांक 2000-01 में 0.65 था जो 2023-24 में घटकर 0.03 हो गया है। यह आंकड़ा 2000-24 के दौरान 95 फीसदी से अधिक सुधार दर्शाता है।  

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