.राज्यपाल बोले …. डॉक्टर्स मरीज को जेनरिक दवाएं लिखें ?

राज्यपाल बोले- डॉक्टर्स मरीज को जेनरिक दवाएं लिखें
सीएम ने कहा- बबूल के कांटे से मवाद निकालकर बनाई थी चेचक की एंटीबॉडी

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने चेचक की बीमारी का टीका ईजाद होने का तरीका बताया। सीएम ने कहा, ‘जब भारत में अंग्रेजों का शासन था। दुनिया भर में चेचक की बीमारी फैली। तब किसी को चेचक का फोड़ा हुआ, तो बबूल के कांटे से मवाद निकाल लेते थे। यही मवाद चेचक से पीड़ित दूसरे शख्स को लगाते थे। इससे बीमारी की एंटीबॉडी तैयार हो जाती थी। इसके बाद उस शख्स को चेचक नहीं होता था।

सीएम डॉ. मोहन यादव मंगलवार को भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में बोल रहे थे। वे यहां ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान का शुभारंभ कार्यक्रम में पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि चेचक के एंटीबॉडी फॉर्मूले को अंग्रेजी शासकों ने लंदन भेजा। फिर चेचक के टीके का आविष्कार हुआ।’ राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने कहा, ‘प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर्स जेनरिक दवाएं लिखें। सरकारी अस्पतालों के पास जेनरिक दवा की दुकान खुलें।

सीएम ने प्रदेश के 50 जिला अस्पतालों में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों का उद्घाटन किया। इनका संचालन रेडक्रॉस के जरिए किया जाएगा। इसके अलावा, भोपाल को स्वच्छता सर्वेक्षण में 5 स्टार रेटिंग मिलने पर नगर निगम के 8,117 सफाई मित्रों को 5-5 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी गई। राज्यपाल मंगू भाई पटेल और सीएम ने सिंगल क्लिक से राशि खातों में ट्रांसफर की।

कार्यक्रम में राज्यपाल मंगू भाई पटेल और सीएम डॉ. मोहन यादव ने सिंगल क्लिक पर भोपाल नगर निगम के सफाई मित्रों के खाते में प्रोत्साहन राशि के 5-5 हजार रुपए ट्रांसफर किए।
कार्यक्रम में राज्यपाल मंगू भाई पटेल और सीएम डॉ. मोहन यादव ने सिंगल क्लिक पर भोपाल नगर निगम के सफाई मित्रों के खाते में प्रोत्साहन राशि के 5-5 हजार रुपए ट्रांसफर किए।

सीएम बोले- सफाई में जितने स्टार, उतने रुपए मिलेंगे

सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि कचरा मुक्त शहर के मामले में स्टार मिलने के आधार पर सफाई मित्रों को प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। जिस निकाय को जितने स्टार मिलेंगे, उसमें कार्यरत उतने हजार रुपए की राशि दी जाएगी यानी एक स्टार हासिल करने वाले निकाय को एक-एक हजार, दो, तीन स्टार से लेकर 5 स्तर और 7 स्टार तक प्राप्त कर सकते हैं। 7 स्टार वालों को 7 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।

विजयवर्गीय बोले- रहवासी संघ बनाने की जरूरत

कार्यक्रम में नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, प्रदेशभर में रहवासी संघ बनाने की जरूरत है, ताकि जन भागीदारी के जरिए जनपदों को सुझाव और समस्याएं पता चल सके। इंदौर में भागीदारी से 200 करोड़ के काम किए गए थे। सरकार के भरोसे विकास नहीं कर सकते। जनता की जन भागीदारी जरूरी है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि भविष्य में मध्य प्रदेश स्वच्छता में देश में एक नंबर पर होगा।

कार्यक्रम में डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल, नगरीय विकास एवं आवास कैलाश विजयवर्गीय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा राज्य मंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल, नगरीय विकास एवं आवास राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी, पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री राधा सिंह विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे।

कार्यक्रम में नगर निगम के सफाई मित्र भी मौजूद हैं।
कार्यक्रम में नगर निगम के सफाई मित्र भी मौजूद हैं।

2008 में हुई थी जन औषधि केन्द्रों की शुरुआत

सस्ती और गुणवत्तापूर्ण जेनरिक दवाइयां उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र परियोजना की शुरुआत 2008 में की गई थी। साल 2015 के बाद से योजना में और तेजी आई। वर्तमान में योजना के तहत देश में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र खोले जा रहे हैं।

मध्यप्रदेश में 500 जन औषधि केंद्र संचालित

वर्तमान में मध्य प्रदेश के जिलों में 500 से अधिक जन औषधि केंद्र संचालित हैं। ये केंद्र शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में स्थापित किए गए हैं। इनके माध्यम से प्रतिदिन हजारों लोग सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाइयां खरीद रहे हैं। उनके मासिक चिकित्सा खर्चो में बचत हो रही है। अब सभी जिला अस्पतालों में भी प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र खोले जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के फायदे

  • अच्छी क्वालिटी की जेनरिक दवाइयां मिलेंगी। मरीजों को ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 50% से 90% तक कम दाम पर दवाइयां मिल पाएंगी।
  • आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होगी।
  • सस्ती और अच्छी क्वालिटी की दवाओं से लोग इलाज जारी रख सकेंगे। खास तौर पर शुगर, ब्लड प्रेशर और हार्ट की बीमारियों में यह केंद्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
  • जेनरिक दवाओं की क्वालिटी और उसके असर को लेकर जागरूकता बढ़ेगी, जिससे लोग ब्रांडेड दवाओं पर डिपेंड नहीं रहेंगे।
  • स्थानीय स्तर पर रोजगार भी मिलेगा। हर केंद्र को चलाने के लिए फार्मासिस्ट और अन्य कर्मचारियों की जरूरत होगी।

अब जेनरिक दवाओं के बारे में जानिए

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