अब सैटेलाइट से कटेगा टोल टैक्स ?

अब सैटेलाइट से कटेगा टोल टैक्स …
GNSS सिस्टम फास्टैग से कितना बेहतर, कैसे करेगा काम, लोगों को क्या फायदा होगा

GNSS सिस्टम आने से वाहन चालकों और सरकार दोनों के लिए टोल टैक्स देने व वसूलने की प्रक्रिया बहुत आसान हो जाएगी। अब टोल देने के लिए वाहन चालकों को टोल प्लाजा पर गाड़ी रोककर फास्टैग के जरिए या मैन्युअली पैसे देने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

 GNSS क्या है? साथ ही जानेंगे कि-

  • यह सिस्टम कैसे काम करेगा?
  • इससे वाहन चालकों को क्या फायदा होगा?

एक्सपर्ट: ,,,,ऑटो एक्सपर्ट (नई दिल्ली)

सवाल- GNSS क्या है?

जवाब- GNSS एक सैटेलाइट बेस्ड यूनिट है, जिसे वाहनों में लगाया जाएगा। अब तक टोल बूथों पर मैन्युअली या फास्टैग के जरिए टोल टैक्स का भुगतान किया जाता है। इससे कई बार वाहन चालकों को टोल प्लाजा पर लंबी लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है, लेकिन GNSS सिस्टम आने से वाहन चालकों को टोल टैक्स पर रुकने की कोई जरूरत नहीं है। सैटेलाइट से ऑटोमैटिक आपका टोल टैक्स कट जाएगा। इससे वाहनों चालकों के समय की बचत होगी। अब टोल प्लाजा में अलग से डेडिकेटेड GNSS लेन बनाई जाएगी।

सवाल- GNSS टोल सिस्‍टम कैसे काम करता है?

जवाब- GNSS सिस्टम लागू करने के लिए वाहनों में ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) या ट्रैकिंग डिवाइस लगाई जाएगी। फास्टैग की तरह सरकारी पोर्टल पर OBU भी उपलब्ध होगा। इससे वाहन से रोज तय की जाने वाली दूरी के हिसाब से टैक्‍स वसूला जाएगा। खास बात यह है कि GNSS से लैस प्राइवेट कार मालिकों के लिए हर दिन नेशनल हाईवे या एक्‍सप्रेस-वे पर 20 किलोमीटर तक का सफर टैक्‍स फ्री रहेगा। इसके लिए उनसे कोई टोल टैक्स नहीं वसूला जाएगा। 21वें किलोमीटर से टोल काउंटिंग शुरू हो जाएगी। GNSS सिस्टम के तहत भुगतान मौजूदा फास्टैग की तरह ही किया जाएगा, जो सीधे आपके बैंक अकाउंट से लिंक होगा।

नीचे दिए ग्राफिक से समझिए कि GNSS सिस्टम कैसे काम करता है।

सवाल- फास्टैग और GNSS में क्या अंतर है?

जवाब- फास्टैग और GNSS सिस्टम दोनों का काम टोल टैक्स का भुगतान करने में मदद करना है, लेकिन इसमें कुछ मुख्य अंतर है। नीचे दिए ग्राफिक से इसे समझिए।

सवाल- क्या पूरे देश में GNSS सिस्टम लागू हो चुका है?

जवाब- GNSS सिस्टम का ट्रायल पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कर्नाटक में नेशनल हाइवे 275 के बेंगलुरु-मैसूर खंड और हरियाणा में नेशनल हाइवे 709 के पानीपत-हिसार खंड पर किया गया था। इसके अलावा अभी देश में कहीं भी GNSS के लिए डेडिकेटेड लेन नहीं है। एक बार जब सभी गाड़ियों में GNSS यूनिट लग जाएगी और सभी लेन GNSS इक्विप्ड होंगी तो सड़कों से सभी टोल बूथ हट जाएंगे।

सवाल- क्या अब फास्टैग खत्म हो जाएगा?

जवाब- नहीं, अभी फास्टैग और कैश के जरिए टोल टैक्स वसूलने का काम हाइब्रिड मोड में जारी रहेगा। शुरुआत में टोल प्लाजा में डेडिकेटेड GNSS लेन बनाई जाएगी। जिससे GNSS सिस्टम वाले वाहन बिना रुके गुजर सकें। धीरे-धीरे इस प्रणाली के तहत और ज्यादा लेन बनाई जाएंगी।

सवाल- GNSS टोल सिस्टम से क्या कोई नुकसान भी है?

जवाब- ऑटो एक्सपर्ट टूटू धवन बताते हैं कि GNSS सिस्टम पूरी तरह से सैटेलाइट पर आधारित है। इसलिए इसमें कुछ परेशानियां देखने को मिल सकती हैं। जैसेकि-

  • इसमें वाहन के टनल में होने पर सिग्नल की समस्या आ सकती है।
  • बारिश या कोहरे की वजह से खराब मौसम होने पर इसमें नेटवर्क की दिक्कत आ सकती है।
  • GNSS सिस्टम वाहन के मूवमेंट को ट्रैक करेगा, जिससे वाहन चालकों को प्राइवेसी की समस्या हो सकती है।

सवाल- GNSS टोल से राजस्व पर क्या असर पड़ सकता है?

जवाब- वर्तमान में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) सालाना लगभग 40,000 करोड़ रुपए का टोल रेवेन्यू कलेक्ट करता है। GNSS के पूरी तरह से लागू होने के बाद आने वाले दो से तीन सालों में इसके बढ़कर 1.4 खरब होने की उम्मीद है।

NHAI का लक्ष्य हाइब्रिड मॉडल का इस्तेमाल करके इस प्रणाली को मौजूदा फास्टैग सेटअप के साथ इंटीग्रेट करना है। जहां रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन और ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम दोनों लागू होंगे। GNSS से लैस वाहनों को बिना रुके गुजरने की अनुमति देने के लिए टोल प्लाजा पर GNSS लेन होंगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *