दुबई और पाकिस्तान में बैठे साइबर ठगों को एजेंट बेच रहे बैंक खाते !

दुबई और पाकिस्तान में बैठे साइबर ठगों को एजेंट बेच रहे बैंक खाते
सभी आरोपितों ने ठगों को उनके बैंक खातों का पूरा एक्सेस ठगों को दिया था। इनमें न सिर्फ देश में बैठे साइबर ठग शामिल थे, बल्कि विदेश में भी हमारे लोगों के बैंक खाते बेचे गए हैं। सबसे अधिक खाते पाकिस्तान, यूएई, थाइलैंड और कंबोडिया में बेचने के मामले आए हैं।
भोपाल। साइबर ठगी की वारदातें जितनी तेजी से बढ़ रही हैं, उतनी ही तेजी से इसके तरीके भी बदले हैं। अभी तक लोगों से ठगी गई राशि बैंक खातों से होकर विदेश में बैठे बदमाशों तक पहुंचती थी। जब शिकायत होती है तो पुलिस की जांच भी इसके इर्द-गिर्द घूमती है। ऐसे में पुलिस से बचने और उनकी जांच को अधिक जटिल बनाने के लिए ठगों ने नया रास्ता निकाला है। अब वे एक साथ कई बैंक खातों का उपयोग करने लगे हैं। यह खाते किसी और के नहीं, बल्कि आम जनता के होते हैं, जो यहां सक्रिय एजेंटों द्वारा लालच देकर खुलवाए जाते हैं।

ठगों को बड़ी संख्या में बैंक खाते उपलब्ध कराने वाले ऐसे एजेंट देशभर में सक्रिय हैं। ठग इन्हीं बैंक खातों का उपयोग करते हैं और फिर रुपये अपने देश के बैंक खातों में ट्रांसफर कर लेते हैं। मालूम हो कि साइबर ठगों को बैंक खाते बेचने वाले ऐसे 100 से अधिक एजेंट और खाताधारकों को पुलिस ने इस वर्ष गिरफ्तार किया है।

इनमें से करीब 20 गिरफ्तारियां मध्य प्रदेश से हुई हैं। इन सभी आरोपितों ने ठगों को उनके बैंक खातों का पूरा एक्सेस ठगों को दिया था। इनमें न सिर्फ देश में बैठे साइबर ठग शामिल थे, बल्कि विदेश में भी हमारे लोगों के बैंक खाते बेचे गए हैं। सबसे अधिक खाते पाकिस्तान, यूएई, थाइलैंड और कंबोडिया में बेचने के मामले आए हैं। हालांकि केरल, हरियाणा और राजस्थान समेत देश के विभिन्न राज्यों में सक्रिय साइबर गिरोह का तरीका बिल्कुल अलग है।

वे ठगी की राशि अलग-अलग बैंक खातों में डालकर एटीएम के माध्यम से निकाल लेते हैं। इससे पुलिस जांच में पेंच फंसते हैं। गरीब-मजदूर एजेंटों के निशाने पर साइबर ठगों को खाते उपलब्ध कराने वाले एजेंट गरीब और मजदूर परिवारों को निशाना बनाते हैं।

भोपाल साइबर क्राइम सेल प्रभारी तरुण कुरील ने बताया कि ये एजेंट झुग्गी बस्ती में जाते हैं और लोगों से बातचीत कर पैसों का लालच देकर उनके बैंक खाते खुलवाते हैं, पर खाते का पूरा एक्सेस अपने पास रखते हैं। कई बार वे सरकारी योजनाओं के माध्यम से कम-पढ़े लिखे और बुजुर्ग लोगों को गुमराह कर उनसे दस्तावेज इकट्ठा कर लेते हैं और उनके खाते खुलवा देते हैं।

ऐसे में पुलिस जांच के दौरान खातों के जरिये गरीब-मजदूरों तक पहुंच जाती हैं, जिन्हें स्वयं अपने बैंक खातों की जानकारी नहीं होती है। इस पूरे मामले में बैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत भी सामने आई है। इन्हीं मामलों के चलते पुलिस ने बीते दिनों एक बैंक के रिलेशनशिप मैनेजर को गिरफ्तार किया था। इसके साथ ही पूर्व में महाराष्ट्र में भी एक सेल्समैन को पकड़ा था।

लेन-देन की निगरानी की जाए

साइबर ठग पुलिस की जांच को जटिल बनाने के उद्देश्य से कई सारे बैंक खातों का उपयोग कर रहे हैं। वे इन्हीं खातों से अलग-अलग स्थानों से ठगी की राशि निकालते हैं। इसे रोकने के लिए जरूरी है कि बैंक खातों में बड़ी राशि के लेन-देन की निगरानी की जाए। – सुजीत तिवारी, एसीपी, साइबर क्राइम

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