डॉक्टर्स और फार्मा कंपनियों के भरोसे न रहें, सेहत की कमान अपने हाथों में लें !

बीपी, शुगर, बुखार की दवाएं टेस्ट में फेल
डॉक्टर्स और फार्मा कंपनियों के भरोसे न रहें, सेहत की कमान अपने हाथों में लें

आमतौर पर सर्दी-बुखार होने पर आप क्या करते हैं? जवाब होगा कि डॉक्टर से सलाह लेकर दवाएं लेते हैं। डायबिटीज और हाइपरटेंशन होने पर तो रोज नियम के साथ दवाएं लेते हैं। इसके बाद बेफिक्र हो जाते हैं कि ‘हमने दवा खा ली है, अब तो कोई टेंशन वाली बात नहीं है।’

बीते कुछ महीनों में ड्रग रेगुलेटरी बॉडी CDSCO (सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन) की जांच में कई दवाएं क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गई हैं। इसका मतलब है कि कोई दवा जो जिस बीमारी के इलाज के लिए बनी थी, उसके लिए कारगर नहीं है। उस दवा के साइड इफेक्ट भी ज्यादा हो सकते हैं। कुल मिलाकर क्वालिटी टेस्ट में फेल दवाएं खाना सेफ नहीं है। इसलिए हम दवा खाकर भी बेफिक्र नहीं हो सकते हैं।

भारत की सबसे बड़ी ड्रग रेगुलेटरी बॉडी CDSCO ने 48 दवाओं की एक लिस्ट जारी की है। ये दवाएं अगस्त महीने में हुई रैंडम सैंपल क्वालिटी टेस्टिंग में फेल हो गई हैं। इस टेस्टिंग में कुल 53 दवाएं फेल हुईं, जबकि इनमें 5 दवाएं ऐसी हैं जिन्हें कंपनियों ने अपना मानने से इनकार कर दिया है। ये नकली दवाएं थीं, जो बाजार में कुछ फार्मा कंपनियों के नाम से बेची जा रही थीं।

चिंता की बात ये है कि टेस्ट में फेल हुई दवाएं हेटेरो ड्रग्स, अल्केम लैबोरेटरीज, हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड (HAL), कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड जैसी देश की नामी फार्मा कंपनियां बना रही हैं।

….. CDSCO की टेस्टिंग में फेल हुई दवाओं के बारे में बात करेंगे….

  • हम फार्मा कंपनियों और डॉक्टर्स पर भरोसा क्यों नहीं कर सकते?
  • हमारी कौन सी आदतें हमें बीमार कर रही हैं?
  • हम कैसे अपनी सेहत की लगाम अपने हाथों में ले सकते हैं?

भारत के लोग डॉक्टर्स को ईश्वर का दूसरा रूप मानते हैं जुलाई 2023 में तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख एल मांडविया ने एम्स ऋषिकेश के तीसरे दीक्षांत समारोह में कहा था कि भारत के लोग डॉक्टर्स को ईश्वर के दूत के रूप में देखते हैं। इसलिए डॉक्टर्स की जिम्मेदारी है कि वे मानवता की सेवा के लिए स्वास्थ्य सेवा सस्ती और सुलभ बनाएं। उन्होंने यह भी कहा था भारत में स्वास्थ्य बिजनेस नहीं है, बल्कि सेवा है। हालांकि बीते कुछ महीनों में मनसुख मांडविया की कही इन दोनों बातों पर बट्टा लगा है।

अप्रैैल 2024 में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने एक सर्वे रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें बताया गया था कि भारत में 45% डॉक्टर गलत या भ्रामक प्रिस्क्रिप्शन लिख रहे हैं। इसमें यह भी पता चला था कि डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन पेपर में कई दवाएं बेवजह लिख रहे हैं, जैसे- पैंटोप्राजोल, रेबेप्राजोल-डोमपेरिडोन व एंजाइम ड्रग्स।

अब नामी फार्मा कंपनियों की दवाएं क्वालिटी टेस्ट में फेल होने का मतलब है कि बहुत बड़े पैमाने पर आम लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।

किन बीमारियों की दवाएं सैंपल टेस्टिंग में हुईं फेल?

कैल्शियम और विटामिन D की पूर्ति के लिए बच्चों को दी जाने वाली पॉपुलर टैबलेट शेलकैल तक इस क्वालिटी टेस्ट के पैरामीटर पर खरी उतरने में असफल रही है। इसे नामी फार्मा कंपनी टॉरेंट फार्मास्युटिकल्स बनाती है। छोटे बच्चों को दांत निकलने के समय, बड़ों की हड्डियों से जुड़ी समस्या होने पर और बुजुर्गों को ऑस्टियोपोरोसिस से बचाने के लिए यह दवा बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होती है।

क्वालिटी टेस्ट में फेल हुई दवाओं की लिस्ट और फार्मा कंपनियों की लिस्ट इतनी लंबी है कि सबका नाम लिखना मुश्किल है। फिलहाल ग्राफिक में ये देखिए कि किन बीमारियों की दवाएं टेस्ट में फेल हुई हैं।

दुनिया के बड़े निवेशकों की नजर भारत की फार्मा इंडस्ट्री परहर दिन तेजी से बढ़ रहा है बाजार

इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन के मुताबिक, भारत में फार्मा इंडस्ट्री बीते कुछ सालों में तेजी से बढ़ रही है। इसमें साल 2020 से 2025 के बीच 37% कंपाउंड एनुअल ग्रोथ का अनुमान जताया गया है। साल 2024 में 10-11% बढ़ोतरी का अनुमान है।

हम अपनी गलतियों से हो रहे हैं बीमार

ज्यादातर स्वास्थ्य समस्याओं की वजह हमारी खराब लाइफस्टाइल होती है। इसमें सबसे बुरी चीज ये है कि इसका इंस्टेंट एहसास नहीं होता है। खराब लाइफस्टाइल बारूद की तरह होती है। यह धीरे-धीरे जमा होकर बड़ा धमाका करती है। आइए ग्राफिक में देखते हैं कि हम किन गलतियों के कारण बीमार हो रहे हैं।

बड़ी बीमारी से पहले शरीर करता है इशारे

डॉ. अकबर नकवी कहते हैं कि कोई भी बीमारी जितनी अकस्मात दिख रही होती है, असल में वह उतनी अचानक नहीं हुई होती है। खराब लाइफस्टाइल इसमें हर दिन कुछ इजाफा कर रही होती है। इस बीच में हमारा शरीर यह बताने के लिए कई बार इशारे भी कर रहा होता है कि अब संभल जाइए, सावधान हो जाइए।

हमारा शरीर डायबिटीज, हाइपरटेंशन और फैटी लिवर जैसी गंभीर लाइफस्टाइल डिजीज से पहले किस तरह के इशारे करता है, ग्रफिक में देखिए।

जब हम जानते हैं कि हमारी खराब लाइफस्टाइल के कारण कई बीमारियां हो सकती हैं। इसके बाद उनके इलाज के लिए हॉस्पिटल जाने पर डॉक्टर और फार्मा कंपनियों के दुष्चक्र में फंस जाएंगे तो क्यों न अपनी सेहत की कमान अपने हाथ में लें और अच्छी लाइफस्टाइल अपनाकर स्वस्थ रहें।

अपनी सेहत की कमान अपने हाथ में कैसे ले सकते हैं?

डॉ. ….नकवी कहते हैं कि सेहत की कमान अपने हाथ में लेने का मतलब बहुत सिंपल है, इसके लिए कोई एक्स्ट्रा एफर्ट्स नहीं करने हैं। वही काम जो हम रोज 24 घंटे में करते हैं, बस उन्हें सलीके से करना है। यह ठीक वैसे ही जैसे बिखरे हुए बिस्तर को संभाल दिया जाए तो यह सुंदर दिखने लगता है। उसी तरह से लाइफस्टाइल को व्यवस्थित करके हम अपनी सेहत को सुंदर यानी स्वस्थ बना सकते हैं।

  • सबसे पहले सुबह उठकर कम-से-कम आधे घंटे कोई एक्सरसाइज या फिजिकल एक्टिविटी जरूर करें, जैसे- पैदल चलना, दौड़ना, योग या जिम।
  • सुबह के नाश्ते में ताजे फल शामिल करें। कोशिश करें कि नाश्ते में प्रोटीन की मात्रा अच्छी हो।
  • अगर संभव हो सके तो सुबह के करीब आधे घंटे सूरज की प्राकृतिक रोशनी में बिताएं। समय की कमी हो तो दिनभर में ये टारगेट पूरा करें।
  • दोपहर के खाने में ध्यान रखें कि थाली में 50% कार्ब्स, 25% प्रोटीन और बाकी में फाइबर और हेल्दी फैट होगा।
  • जिंदगी में वर्कलाइफ बैलेंस बहुत जरूरी है, इसलिए ऑफिस का काम ऑफिस में ही खत्म करके जाएं।
  • जिंदगी में स्ट्रेस मैनेजमेंट भी बहुत जरूरी है। इसके लिए योग या मेडिटेशन का अभ्यास करें।
  • कुछ मिनट के अच्छे एहसास के लिए स्मोकिंग या शराब के प्रलोभन में न आएं। ये शौक के लिए हो, मजे के लिए या आउटजोन होने के लिए हर समय बहुत नुकसानदायक है।
  • खुद से वादा करें कि दिनभर में रोज 8-10 गिलास पानी जरूर पिएंगे।
  • अपने सबसे प्रिय लोगों के लिए समय निकालकर कुछ देर उनसे बात करें, उनके पास बैठें।
  • अपना स्क्रीन टाइम कम करें। सोने जाने से कम-से-कम 2 घंटे पहले ही खाना खा लें और रोज रात में 7-8 घंटे की पर्याप्त नींद लें।

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