चंबल के बेटे पूर्व IAS राजीव को अशोक सम्मान आज !
चंबल के बेटे पूर्व IAS राजीव को अशोक सम्मान आज
सामाजिक कार्य, भिंड में फ्री लाइब्रेरी, अपनी सैलरी से स्कॉलरशिप देने ने दिलाया सम्मान
- अपने पद पर रहते हुए फुटबाल क्रांति जैसे नवाचार कि
ग्वालियर-चंबल के शहर भिंड में जन्मे मध्य प्रदेश के पूर्व आईएएस अधिकारी राजीव शर्मा को आज (29 सितंबर) को नई दिल्ली के इंडिया हैबिटैट सेंटर में साल 2024 का “अशोक सम्मान’ दिया जाएगा। एक भव्य समारोह में मप्र के पूर्व आईएएस राजीव शर्मा अशोक सम्मान से अलंकृत होंगे। चार्ल्स वॉल्टर कौंसिल ऑफ़ इनोवेशन एण्ड रिसर्च द्वारा स्थापित ये महत्वपूर्ण पुरस्कार लोक सेवा में असाधारण कार्य के लिये प्रशासन और सैन्य अधिकारियों को दिया जाता है। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय, जस्टिस बालकृष्णन की अध्यक्षता वाली जूरी ने देश भर के चुनिंदा अधिकारियों के नाम तय किए थे। जिनमें से चंबल के राजीव शर्मा का चयन किया गया। अलंकरण समारोह शेखर दत्त पूर्व रक्षा सचिव और पूर्व राज्यपाल छत्तीसगढ़ के मुख्य आतिथ्य में और केंद्रीय राज्य मंत्री आरके रंजन सिंह, सिक्किम के राज्यपाल घेड़याल की गरिमामय उपस्थिति में दोपहर बाद 3:30 बजे शुरू होगा।
ग्वालियर-चंबल अंचल के शहर भिंड में जन्में राजीव शर्मा ने यहां से निकलकर प्रशासनिक सेवा में चयन के साथ ही सामाजिक कार्यो में अपनी रूचि लेना शुरू कर दी थी। रिटायर्ड आईएएस राजीव शर्मा ने दैनिक भास्कर को बताया था कि उनका एक ही बात मानना है कि समाज ने हमको इस लायक बनाया है तो हमको समाज से जो मिला वह वापस लौटाना चाहिए। प्रशासनिक सेवा के दौरान भी वह गरीब व आदिवासी विशेषकर युवाओं के भविष्य के लिए लगातार प्रयास करते रहे हैं। यही कारण है कि प्रशासनिक सेवा के दौरान सामाजिक कार्यो के लिए उनको “अशोक सम्मान’ से नवाजा जा रहा है।
वैली ऑफ बुक्स अवार्ड भी मिल चुका है मध्य प्रदेश संवर्ग में रहे राजीव शर्मा अपने जनोन्मुखी प्रशासन के लिये जाने जाते हैं। फुटबॉल क्रांति ,जलक्रांति जैसे अनेक नवाचारों के अलावा उनकी एक पहचान लोकप्रिय कवि और उपन्यासकार के तौर पर भी है। उनके उपन्यास विद्रोही संन्यासी को 2021 में वैली ऑफ़ बुक्स अवार्ड भी मिल चुका है।
चलिए जानते हैं कौन हैं रिटायर्ड IAS राजीव भिंड निवासी 58 वर्षीय राजीव शर्मा फ्रीडम फाइटर बाबा जनकराम के पोते हैं। साल 1988 में इनका सिविल सर्विसेज में सिलेक्शन हुआ था। इसके बाद यह 10 साल तक SDM रहे। यह मंदसौर, दमोह, पन्ना, छिंदबाड़ा, उज्जैन में पदस्थ रहे। इसके अगले दस साल तक यह CEO जिला पंचायत इन शहरों नरसिंहपुर, मंडला, उमरिया व बालाघाट में पदस्थ रहे। इसके बाद शाजापुर में कलेक्टर रहे। वहां PWD(लोक निर्माण विभाग) में उपसचिव भी रहे। इसके बाद भोपाल में राजधानी परियोजना के सचिव रहे। सितंबर 2023 में शहडोल कमिशनर रहते हुए बीआरएस ले लिया था। अब रिटायर्ड IAS समाजसेवा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
शहडोल में रहते हुए की थी फुटबॉल क्रांति ग्वालियर आए रिटायर्ड IAS राजीव शर्मा ने बताया कि वह भिंड जैसी छोटी जगह से निकले हैं। उन्हें पता है छोटे शहरों में छात्रों को किस तरह की परेशानी से गुजरना पड़ता है। उन्होंने बताया कि जब वह शहडोल में बतौर कमिशनर पदस्थ थे तो उन्होंने देखा कि वहां के बच्चे दिन भर मोबाइल में लगे रहते थे। फिर उन्होंने वहां फुटबॉल क्रांति की शुरुआत की। क्योंकि राजीव शर्मा का मानना है कि क्रिकेट को प्रमोट करने की जरुरत नहीं है उसे सभी खेल रहे हैं। उन्होंने फुटबॉल के विकास पर जोर दिया। वहां के बेगा आदिवासी सहित अन्य आदिवासी वर्ग व सामान्य वर्ग के लोगों को फुटबॉल खेलने के लिए जागरुक किया। इसके बाद वहां ऐसी फुटबॉल क्रांति आई कि शहडोल में इस समय 2 हजार के लगभग छोटे-बड़े फुटबॉल ग्रुप हैं।
योग्यता पर देते हैं स्कॉलरशिप, अब तक 50 को दे चुके रिटायर्ड IAS राजीव शर्मा अपने गृह नगर भिंड में आते थे तो यहां के युवाओं को सुविधा के आभाव में पढ़ाई के ट्रैक से हटते देखते तो दर्द होता था। लगता था कि अपने शहर के लिए कुछ नहीं कर पाया। जिसके बाद राजीव ने तीन साल पहले अंचल में स्कॉलरशिप प्रोजेक्ट शुरू किया। वह नौकरी पर रहते हुए पहले अपनी सैलरी और अब अपनी पेंशन से योग्यता के आधार पर युवा व होनहार छात्रों को स्कॉलरशिप देते हैं। तीन साल में 50 से ज्यादा छात्र-छात्राओं को स्कॉलरशिप दे चुके हैं।