इतिहास बनाने वाले इतिहास बन रहे हैं, एक नजर वाडिया घराने पर !

टाइम मशीन: इतिहास बनाने वाले इतिहास बन रहे हैं, एक नजर वाडिया घराने पर
दुनिया का सबसे पुराना जंगी जहाज एचएमएस त्रिंकोमाली जिस वाडिया समूह की कीर्तिगाथा सुनाता है, हाल ही में दिवालिया हुई गो फ र्स्ट एयरलाइंस इसी घराने से आती है। औद्योगिक घराने तो बहुतेरे हैं, मगर किसी एक घराने ने इतना इतिहास बनाया या देखा नहीं होगा, जितना कि वाडिया के पास है।

The history making Wadia family is now on the decline
जहाज एचएमएस त्रिंकोमाली ….

वाडिया समूह की एयरलाइंस गो फर्स्ट अब नीलामी की तरफ बढ़ रही है। उड़ना तो कब का बंद हो गया। इस दिवालिया कंपनी को कोई ग्राहक नहीं मिला, सो बैंकर अब बंद करने और जो बचा है, उसे नीलाम करने की तैयारी में हैं। वाडिया समूह के इस महत्वाकांक्षी उपक्रम का पतन बीते बरस दो मई को शुरू हुआ था। इसके ठीक चार दिन बाद छह मई को लंदन में किंग चार्ल्स की ताजपोशी हुई।

आप सोच रहे होंगे कि वाडिया की दिवालिया कंपनी से बकिंघम पैलेस का क्या रिश्ता? इस रिश्ते को जानने के लिए हार्टलीपूल जाना होगा, जो ब्रिटेन के उत्तर पूर्व का सुंदर बंदरगाह शहर है। किंग चार्ल्स की मां और पिता यानी रानी एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप अपने शाही जहाज ब्रिटेनिया से मई, 1993 में हार्टलीपूल आए थे। यहां दुनिया के सबसे पुराने जंगी जहाज एचएमएस त्रिंकोमाली की मरम्मत का काम चल रहा था। जंगी जहाज त्रिंकोमाली को टीकवुड से बॉम्बे के मझगांव डॉकयार्ड में बनाया गया था। मास्टर बिल्डर लाउजी नुसरवान्जी वाडिया इस डॉकयार्ड के संस्थापक थे। यह 200 साल पुराना जहाज हार्टलीपूल में अब एक संग्रहालय के तौर पर सक्रिय और संचालित है।

जहाज त्रिंकोमाली जिस वाडिया समूह की कीर्तिगाथा सुनाता है, दिवालिया हुई गो फर्स्ट एयरलाइंस इसी घराने से आती है। औद्योगिक घराने तो बहुतेरे हैं, मगर किसी एक घराने ने इतना इतिहास बनाया या देखा नहीं होगा, जितना कि वाडिया के पास है। आइए, पकड़िए अपनी सीट, टाइम मशीन में चलते हैं पुराने जहाजों की दुनिया में। हम 19वीं सदी के शुरुआती दशक में हैं। यह सन 1812 की बात है और हम मैरीलैंड के बाल्टीमोर के ऊपर मंडरा रहे हैं। हमारे नीचे अमेरिका के लोग ब्रिटेन से आजादी की जंग लड़ रहे हैं। वह देखिए, बाल्टीमोर के बंदरगाह पर जमीनी और समुद्री मोर्चे बंधे हैं। एक तरफ है ब्रिटेन की राॅयल नेवी और दूसरी तरफ हैं अमेरिका के विद्रोही। बाल्टीमोर के फोर्ट हेनरी से विद्रोहियों ने राॅयल नेवी पर हमला किया। आइए अब बर्तानवी जंगी जहाज के करीब चलते हैं, इसका नाम है एचएमएस मिंडेन। बाल्टीमोर के कुछ लोग ब्रिटेन के जहाज पर बंधक हैं। वकील और कवि फ्रांसिस स्कॉट ने इन्हें मुक्त कराने का जिम्मेदारी ली है।

ब्रितानी कमांडर वकील स्कॉट के दोस्त को छोड़ने पर राजी हो गया है, वकील चलने की तैयारी में है, तभी अचानक बीच में एचएमएस मिंडेन पर लगी तोपें गरजने लगी हैं। कमांडर को खबर मिली है कि ब्रिटेन इस युद्ध में जीत के करीब है। बस, फोर्ट हेनरी ढहा और मोर्चा फतह। सिपाहियों ने आनन-फानन वकील फ्रांसिस स्कॉट को जहाज पर बंधक बना लिया है, ताकि जंग की खबर अमेरिकियों तक न जाए। अमेरिकी वकील स्कॉट जहाज से फोर्ट हेनरी को देख रहे हैं। बम धमाकों की आवाजों से निराश वकील स्कॉट को झपकी आ गई।

अब यह सुबह का वक्त है, वकील की आंख खुली, तो वह फोर्ट हेनरी पर अमेरिकन झंडा देखकर हैरान रह गए। एचएमएस मिंडेन पर अनायास ही उनके कंठ से ये अमर लाइनें फूट पड़ीं-That star spangled banner… wave over the land of the free and the home of the brave… यही है अमेरिका का राष्ट्रीय गीत, जो एक ऐसे जहाज पर बना, जिसका निर्माण बॉम्बे मझगांव डॉक पर हुआ था। वही डॉकयार्ड, जिसे वाडिया ब्रदर्स ने स्थापित किया था। अब हम बाल्टीमोर से सीधे सूरत पहुंच रहे हैं। यह 1735 का वक्त है। ईस्ट इंडिया कंपनी को मजबूत जहाजों की तलाश है। उनके जहाज विशेषज्ञ इंचार्ज मिस्टर डुडली सूरत आए हुए हैं। सूरत के जहाज निर्माता धुंधजी ने अपने डॉकयार्ड में उन्हें जहाज दिखाए। डुडली का काम बन गया, मगर यहीं उन्हें मिल गए लाउजी नुसरवान्जी वाडिया, जिनके जहाज निर्माण कौशल से ईस्ट इंडिया कंपनी का मुलाजिम चकित है। डुडली के मनाने पर लाउजी 1774 में अपने भाई और कुछ कामगारों के साथ बंबई आ गए और महान मझगांव डाॅकयार्ड की शुरुआत हुई।

लाउजी के बाद आपको मानेकजी और बोमान्जी मिलेंगे। अब पीढ़ी बदली है। मानेकजी के बेटे फ्रान्जी और बोमान्जी के पुत्र जमशेदजी संयुक्त रूप से अगले मास्टर बिल्डर बन गए हैं। दरअसल, वाडिया ब्रदर्स ने पश्चिम की तकनीक और भारतीय टीकवुड से जहाज बनाकर अंग्रेजों को अपना कायल कर लिया है। यह 19वीं सदी के मध्य का दौर है। 1735 से 1885 तक वाडिया मास्टर बिल्डर्स की सात पीढ़ियों ने 350 से ज्यादा जहाज बनाए हैं। ईस्ट इंडिया कंपनी ने जिनका इस्तेमाल चीन को अफीम और अमेरिका व  ब्रिटेन तक चाय पहुंचाने के लिए किया है। आपको पता चलेगा कि प्रख्यात जहाज एचएमएस कार्नवालिस भी वाडिया ने ही बनाया। इस जहाज पर 1842 में नान्किंग की संधि हुई। अफीम युद्ध खत्म हुआ और हांगकांग ब्रिटेन के हवाले कर दिया गया। 19वीं सदी से आगे बढ़ते हुए आपको समुद्री जहाजों की तकनीक दिखने लगी है। स्टीम शिप आ चुके हैं। सातवें और अंतिम मास्टर बिल्डर जमशेदजी धुंजीभोय 1885 में सेवानिवृत्त हो गए हैं।

वाडिया समूह दूसरी उड़ान की तैयारी में है। बंबई के औद्योगिक जगत में बॉम्बे डाइंग (1879) और बॉम्बे बर्मा ट्रेडिंग कंपनी (1913) का जलवा है। यह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने वाली शुरुआती कंपनियों में दूसरी है। बॉम्बे डाइंग अगले 125 साल तक लगातार लाभांश देने वाली कंपनी बनेगी। अब हम बीसवीं सदी में हैं। यह 1977 है। वाडिया समूह के मुखिया बने नुस्ली वाडिया, जिनके किस्से मुंबई के कॉरपोरेट जगत का सबसे प्रिय विषय हैं। 1971 में ओपी गोयनका समूह ने बॉम्बे डाइंग के अधिग्रहण की कोशिश की। नुस्ली के पिता नेवल कंपनी बेचना चाहते थे, मगर नुस्ली ने परिवार के भीतर एक राय बनाकर बॉम्बे डाइंग को बचा लिया है। अब वाडिया और धीरूभाई अंबानी की जंग खबरों में है। रिलायंस ने तगड़ी प्रतिस्पर्धा देकर बॉम्बे डाइंग का कारोबार तोड़ दिया है। बॉम्बे डाइंग बनाम अंबानी की तगड़ी लामबंदी की खबरें दिल्ली की राजनीति को भी मथ रही हैं। यह 2000 का पहला दशक है। ब्रिटेनिया इंडस्ट्रीज के अधिग्रहण के लिए नुस्ली वाडिया की पेशबंदी किस्से बना रही है। अमेरिका की आरजेआर नेबिस्को इस कंपनी की मालिक है। इसे खरीदने के लिए वाडिया ने काजू के कारोबारी राजन पिल्लई को मोहरा बनाया है, मगर पिल्लई चतुर निकले। उन्होंने फ्रेंच कंपनी डैनोन की मदद से ब्रिटेनिया पर कब्जा कर लिया। पिल्लई ने फ्रॉड किया, जेल गए। अंतत: नुस्ली वाडिया ने डैनोन से ब्रिटेनिया का अधिग्रहण कर लिया। शिप से लेकर एयर सर्विस तक वाडिया समूह ने कारोबारों का इतिहास बनाया है।

माहौल चाहे जो हो भारत के सबसे पुराने औद्योगिक घराने ने हार का मुंह नहीं देखा। मगर उद्योग और कारोबार के गलियारों में बुजुर्ग अपनी अगली पीढ़ी को बताते हुए मिल जाते हैं कि कोई भी कारोबार चलाया जा सकता है, बस केवल एयरलाइंस को छोड़कर, क्योंकि इसमें डूबकर उबरने की गुंजाइश नहीं होती।

टाइम मशीन मुंबई में उतर रही है, जहां बैंकर गो फर्स्ट की संपत्तियों के लिए ग्राहक तलाश रहे हैं। वाडिया परिवार के 287 साल के इतिहास में गो फर्स्ट पहली कंपनी है, जो दिवालिया हुई है और अब बिकने वाली है।

इतिहास बनाने वाले इतिहास बन रहे हैं।

फिर मिलते हैं, अगले सफर पर… 

आप सोच रहे होंगे कि वाडिया की दिवालिया कंपनी से बकिंघम पैलेस का क्या रिश्ता? इस रिश्ते को जानने के लिए हार्टलीपूल जाना होगा, जो ब्रिटेन के उत्तर पूर्व का सुंदर बंदरगाह शहर है। किंग चार्ल्स की मां और पिता यानी रानी एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप अपने शाही जहाज ब्रिटेनिया से मई, 1993 में हार्टलीपूल आए थे। यहां दुनिया के सबसे पुराने जंगी जहाज एचएमएस त्रिंकोमाली की मरम्मत का काम चल रहा था। जंगी जहाज त्रिंकोमाली को टीकवुड से बॉम्बे के मझगांव डॉकयार्ड में बनाया गया था। मास्टर बिल्डर लाउजी नुसरवान्जी वाडिया इस डॉकयार्ड के संस्थापक थे। यह 200 साल पुराना जहाज हार्टलीपूल में अब एक संग्रहालय के तौर पर सक्रिय और संचालित है।

जहाज त्रिंकोमाली जिस वाडिया समूह की कीर्तिगाथा सुनाता है, दिवालिया हुई गो फर्स्ट एयरलाइंस इसी घराने से आती है। औद्योगिक घराने तो बहुतेरे हैं, मगर किसी एक घराने ने इतना इतिहास बनाया या देखा नहीं होगा, जितना कि वाडिया के पास है। आइए, पकड़िए अपनी सीट, टाइम मशीन में चलते हैं पुराने जहाजों की दुनिया में। हम 19वीं सदी के शुरुआती दशक में हैं। यह सन 1812 की बात है और हम मैरीलैंड के बाल्टीमोर के ऊपर मंडरा रहे हैं। हमारे नीचे अमेरिका के लोग ब्रिटेन से आजादी की जंग लड़ रहे हैं। वह देखिए, बाल्टीमोर के बंदरगाह पर जमीनी और समुद्री मोर्चे बंधे हैं। एक तरफ है ब्रिटेन की राॅयल नेवी और दूसरी तरफ हैं अमेरिका के विद्रोही। बाल्टीमोर के फोर्ट हेनरी से विद्रोहियों ने राॅयल नेवी पर हमला किया। आइए अब बर्तानवी जंगी जहाज के करीब चलते हैं, इसका नाम है एचएमएस मिंडेन। बाल्टीमोर के कुछ लोग ब्रिटेन के जहाज पर बंधक हैं। वकील और कवि फ्रांसिस स्कॉट ने इन्हें मुक्त कराने का जिम्मेदारी ली है।

ब्रितानी कमांडर वकील स्कॉट के दोस्त को छोड़ने पर राजी हो गया है, वकील चलने की तैयारी में है, तभी अचानक बीच में एचएमएस मिंडेन पर लगी तोपें गरजने लगी हैं। कमांडर को खबर मिली है कि ब्रिटेन इस युद्ध में जीत के करीब है। बस, फोर्ट हेनरी ढहा और मोर्चा फतह। सिपाहियों ने आनन-फानन वकील फ्रांसिस स्कॉट को जहाज पर बंधक बना लिया है, ताकि जंग की खबर अमेरिकियों तक न जाए। अमेरिकी वकील स्कॉट जहाज से फोर्ट हेनरी को देख रहे हैं। बम धमाकों की आवाजों से निराश वकील स्कॉट को झपकी आ गई।

अब यह सुबह का वक्त है, वकील की आंख खुली, तो वह फोर्ट हेनरी पर अमेरिकन झंडा देखकर हैरान रह गए। एचएमएस मिंडेन पर अनायास ही उनके कंठ से ये अमर लाइनें फूट पड़ीं-That star spangled banner… wave over the land of the free and the home of the brave… यही है अमेरिका का राष्ट्रीय गीत, जो एक ऐसे जहाज पर बना, जिसका निर्माण बॉम्बे मझगांव डॉक पर हुआ था। वही डॉकयार्ड, जिसे वाडिया ब्रदर्स ने स्थापित किया था। अब हम बाल्टीमोर से सीधे सूरत पहुंच रहे हैं। यह 1735 का वक्त है। ईस्ट इंडिया कंपनी को मजबूत जहाजों की तलाश है। उनके जहाज विशेषज्ञ इंचार्ज मिस्टर डुडली सूरत आए हुए हैं। सूरत के जहाज निर्माता धुंधजी ने अपने डॉकयार्ड में उन्हें जहाज दिखाए। डुडली का काम बन गया, मगर यहीं उन्हें मिल गए लाउजी नुसरवान्जी वाडिया, जिनके जहाज निर्माण कौशल से ईस्ट इंडिया कंपनी का मुलाजिम चकित है। डुडली के मनाने पर लाउजी 1774 में अपने भाई और कुछ कामगारों के साथ बंबई आ गए और महान मझगांव डाॅकयार्ड की शुरुआत हुई।

लाउजी के बाद आपको मानेकजी और बोमान्जी मिलेंगे। अब पीढ़ी बदली है। मानेकजी के बेटे फ्रान्जी और बोमान्जी के पुत्र जमशेदजी संयुक्त रूप से अगले मास्टर बिल्डर बन गए हैं। दरअसल, वाडिया ब्रदर्स ने पश्चिम की तकनीक और भारतीय टीकवुड से जहाज बनाकर अंग्रेजों को अपना कायल कर लिया है। यह 19वीं सदी के मध्य का दौर है। 1735 से 1885 तक वाडिया मास्टर बिल्डर्स की सात पीढ़ियों ने 350 से ज्यादा जहाज बनाए हैं। ईस्ट इंडिया कंपनी ने जिनका इस्तेमाल चीन को अफीम और अमेरिका व  ब्रिटेन तक चाय पहुंचाने के लिए किया है। आपको पता चलेगा कि प्रख्यात जहाज एचएमएस कार्नवालिस भी वाडिया ने ही बनाया। इस जहाज पर 1842 में नान्किंग की संधि हुई। अफीम युद्ध खत्म हुआ और हांगकांग ब्रिटेन के हवाले कर दिया गया। 19वीं सदी से आगे बढ़ते हुए आपको समुद्री जहाजों की तकनीक दिखने लगी है। स्टीम शिप आ चुके हैं। सातवें और अंतिम मास्टर बिल्डर जमशेदजी धुंजीभोय 1885 में सेवानिवृत्त हो गए हैं।

वाडिया समूह दूसरी उड़ान की तैयारी में है। बंबई के औद्योगिक जगत में बॉम्बे डाइंग (1879) और बॉम्बे बर्मा ट्रेडिंग कंपनी (1913) का जलवा है। यह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने वाली शुरुआती कंपनियों में दूसरी है। बॉम्बे डाइंग अगले 125 साल तक लगातार लाभांश देने वाली कंपनी बनेगी। अब हम बीसवीं सदी में हैं। यह 1977 है। वाडिया समूह के मुखिया बने नुस्ली वाडिया, जिनके किस्से मुंबई के कॉरपोरेट जगत का सबसे प्रिय विषय हैं। 1971 में ओपी गोयनका समूह ने बॉम्बे डाइंग के अधिग्रहण की कोशिश की। नुस्ली के पिता नेवल कंपनी बेचना चाहते थे, मगर नुस्ली ने परिवार के भीतर एक राय बनाकर बॉम्बे डाइंग को बचा लिया है। अब वाडिया और धीरूभाई अंबानी की जंग खबरों में है। रिलायंस ने तगड़ी प्रतिस्पर्धा देकर बॉम्बे डाइंग का कारोबार तोड़ दिया है। बॉम्बे डाइंग बनाम अंबानी की तगड़ी लामबंदी की खबरें दिल्ली की राजनीति को भी मथ रही हैं। यह 2000 का पहला दशक है। ब्रिटेनिया इंडस्ट्रीज के अधिग्रहण के लिए नुस्ली वाडिया की पेशबंदी किस्से बना रही है। अमेरिका की आरजेआर नेबिस्को इस कंपनी की मालिक है। इसे खरीदने के लिए वाडिया ने काजू के कारोबारी राजन पिल्लई को मोहरा बनाया है, मगर पिल्लई चतुर निकले। उन्होंने फ्रेंच कंपनी डैनोन की मदद से ब्रिटेनिया पर कब्जा कर लिया। पिल्लई ने फ्रॉड किया, जेल गए। अंतत: नुस्ली वाडिया ने डैनोन से ब्रिटेनिया का अधिग्रहण कर लिया। शिप से लेकर एयर सर्विस तक वाडिया समूह ने कारोबारों का इतिहास बनाया है।

माहौल चाहे जो हो भारत के सबसे पुराने औद्योगिक घराने ने हार का मुंह नहीं देखा। मगर उद्योग और कारोबार के गलियारों में बुजुर्ग अपनी अगली पीढ़ी को बताते हुए मिल जाते हैं कि कोई भी कारोबार चलाया जा सकता है, बस केवल एयरलाइंस को छोड़कर, क्योंकि इसमें डूबकर उबरने की गुंजाइश नहीं होती।

टाइम मशीन मुंबई में उतर रही है, जहां बैंकर गो फर्स्ट की संपत्तियों के लिए ग्राहक तलाश रहे हैं। वाडिया परिवार के 287 साल के इतिहास में गो फर्स्ट पहली कंपनी है, जो दिवालिया हुई है और अब बिकने वाली है।

इतिहास बनाने वाले इतिहास बन रहे हैं।

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