दिल्ली में जीत का सूखा समाप्त करने के लिए संघ ने रणथंभौर में बनाई रणनीति, पॉश इलाकों पर नजर

Mission Election : दिल्ली में जीत का सूखा समाप्त करने के लिए संघ ने रणथंभौर में बनाई रणनीति, पॉश इलाकों पर नजर
विधानसभा चुनाव में संघ न सिर्फ भाजपा के बूथ प्रबंधन की निगरानी करेगा, बल्कि भाजपा समर्थकों को बूथ तक पहुंचा कर मत प्रतिशत बढ़ाने की रणनीति भी बनाएगा। दो दिवसीय मंथन में संघ ने पॉश इलाकों में वोटिंग बढ़ाने और झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाकों में विशेष तौर पर बूथ प्रबंधन को मजबूत करने की सलाह दी है।
Sangh made strategy in Ranthambore to end the drought of victory in Delhi
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राजधानी में बीते 26 साल से जारी जीत का सूखा खत्म करने के लिए संघ ने राजस्थान के रणथंभौर में बड़ी रणनीति तैयार की है। विधानसभा चुनाव में संघ न सिर्फ भाजपा के बूथ प्रबंधन की निगरानी करेगा, बल्कि भाजपा समर्थकों को बूथ तक पहुंचा कर मत प्रतिशत बढ़ाने की रणनीति भी बनाएगा। दो दिवसीय मंथन में संघ ने पॉश इलाकों में वोटिंग बढ़ाने और झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाकों में विशेष तौर पर बूथ प्रबंधन को मजबूत करने की सलाह दी है।

संघ सूत्रों ने कहा कि संगठन हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की तरह ही खुद को बूथ प्रबंधन के मामले में सक्रिय करेगा। इसके तहत बूथों का एक समूह बना कर इसकी निगरानी का जिम्मा संघ के सक्रिय लोगों को दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पॉश इलाके जहां भाजपा के समर्थक ज्यादा हैं, वहां इस बार वोट प्रतिशत को हर हाल में बढ़ाने और झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाकों में संपर्क तंत्र को मजबूत करने की रणनीति बनी है। 

इसके अलावा संघ इस बार उम्मीदवारों के चयन की भी विशेष निगरानी करेगा।बैठक में सह सरकार्यवाह अरुण कुमार, क्षेत्र प्रचारक जतिन कुमार, प्रांत प्रचारक विशाल, राष्ट्रीय संगठन महासचिव अरुण कुमार और दिल्ली संगठन के सभी प्रमुख नेता, सांसद और विधायक थे। इन्हें आप और भाजपा के कमजोर इलाकों की पहचान करने, मत प्रतिशत बढ़ाने की योजना, चुनावी मुद्दों की सूची तैयार करने की योजना बनाने के लिए कहा गया है। 

चेहरे पर नहीं हो पाया फैसला
बीते तीन चुनावों में भाजपा को सीएम पद का चेहरा पेश करने या न करने का कोई लाभ नहीं मिला है। पार्टी 2013 में हर्षवर्धन तो 2015 में किरण बेदी को चेहरा बना कर हारी। बीते चुनाव में बिना चेहरे के उतरने का भी पार्टी को लाभ नहीं मिला। चुनाव से ठीक पहले केजरीवाल के इस्तीफे और उसकी जगह आतिशी के सीएम बनने के बाद अचानक परिस्थिति बदल गई है। दो दिवसीय बैठक में चेहरे पर भी मंथन हुआ, मगर कोई फैसला नहीं हो सका।

नुक्कड़ सभा-छोटे स्तर पर संपर्क पर जोर
दो दिवसीय मंथन में बीते कई चुनावों से लोकसभा का प्रदर्शन विधानसभा चुनावों में नहीं दोहरा पाने पर गंभीर चर्चा हुई। लोकसभा चुनाव के दौरान संघ ने पूरी राजधानी में एक हजार से अधिक नुक्कड़ सभाएं की थीं, इसके अलावा छोटे स्तर पर संपर्क पर ध्यान केंद्रित किया था। संघ सूत्रों का कहना है कि बूथ प्रबंधन और चुनावी रणनीति से जुड़ने के बाद भी संघ लोकसभा चुनाव की तर्ज पर नुक्कड़ सभाओं और संपर्क अभियान पर विशेष जोर देगा। संघ का सुझाव है कि चुनाव में नए और युवा चेहरों को अधिक मौका दिया जाना चाहिए।

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