बिना डिग्री 12वीं पास 100 लोग कैसे बन गए डॉक्टर?
डॉक्टरी का क ख ग घ भी नहीं जानते, फिर बिना डिग्री 12वीं पास 100 लोग कैसे बन गए डॉक्टर?
राजस्थान में 100 लोगों को फर्जी तरीके से MBBS की डिग्री बांटकर डॉक्टर बनाने का मामला सामने आया है. फर्जीवाड़ा सामने आया तो भजनलाल सरकार ने इस पर एक्शन लिया. काउंसिल के रजिस्ट्रार को तुरंत प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है. साथ ही मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय जांच समिति गठित की गई है.
क्या बोले चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री?
गजेन्द्र सिंह खींवसर ने बताया- रिपोर्ट के अनुसार प्रथम दृष्टया पंजीकरण करने में कुछ प्रक्रियागत खामियां सामने आई हैं. साथ ही, पंजीकरण में लापरवाही एवं अनियमितता से संबंधी तथ्य भी सामने आए हैं. इसे देखते हुए रजिस्ट्रार को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है. खींवसर ने यह भी कहा है कि फर्जी पंजीकरण होना गंभीर मामला है. हम इसकी तह तक जाएंगे. राज्य सरकार भ्रष्टाचार पर शून्य बर्दाश्त की नीति पर काम कर रही है.
उन्होंने कहा कि चिकित्सा विभाग में भी इसी नीति के आधार पर काम सुनिश्चित किया जा रहा है. एक सरकारी बयान के अनुसार, फर्जी पंजीकरण मामले में जांच समिति की रिपोर्ट में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों और कार्मिकों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. किसी भी स्तर पर अनियमितताएं बर्दाश्त नहीं की जाएंगी.
पांच सदस्यीय समिति में कौन?
पांच सदस्यीय समिति में चिकित्सा शिक्षा आयुक्त इकबाल खान, परियोजना निदेशक पीसीपीएनडीटी महिपाल सिंह, अतिरिक्त निदेशक राजपत्रित डॉ. रवि प्रकाश शर्मा, वित्तीय सलाहकार वीना गुप्ता और एसएमएस मेडिकल कॉलेज के अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. अजीत सिंह शामिल हैं. समिति ने मंगलवार शाम को अपनी अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है. शीघ्र ही, कमेटी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी, जिसके आधार पर आवश्यक कार्रवाई भी की जाएगी.
कुछ फर्जी डॉक्टरों के नाम उजागर
रिपोर्ट में कुछ फर्जी डॉक्टरों के नाम भी उजागर किए गए हैं. डॉ. सरिमुल एच मजूमदार, डॉ. रामकिशोर महावर, डॉ. गीता कुमारी, डॉ. देवेंद्र नेहरा, डॉ. शांतनु कुमार, डॉ. पंकज यादव, डॉ. महेश कुमार गुर्जर आदि. इन फर्जी डॉक्टरों ने न तो कभी मेडिकल की पढ़ाई की और न ही इंटर्नशिप की. बावजूद इसके इनको सरकारी मुहर लगाकर डॉक्टर होने का प्रमाण पत्र बांट दिया गया.