बैलिस्टिक मिसाइलें जिस जगह गिरती हैं तो कितनी तबाही मचाती है?

 बैलिस्टिक मिसाइलें जिस जगह गिरती हैं तो कितनी तबाही मचाती है?
बैलिस्टिक मिसाइलों का प्रभाव बहुत गंभीर और व्यापक हो सकता है, जो तबाही और जनहानि का कारण बनता है.

बैलिस्टिक मिसाइलें बहुत ताकतवर हथियार हैं. बैलिस्टिक मिसाइलें जहां गिरती हैं, वहां बड़े पैमाने पर तबाही मचाती हैं. ये मिसाइल अगर किसी शहर पर गिरती है, तो बड़ी संख्या में लोगों की जान जा सकती है, इमारतें ध्वस्त हो जाती हैं और इन्फ्रास्ट्रक्चर नष्ट हो जाता है.

ईरान ने 1 अक्टूबर मंगलवार देर रात इजरायल की ओर सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइलें दागी हैं. यह हमला ईरान ने लेबनान में अपने सहयोगी हिजबुल्लाह पर इजरायल की कार्रवाई का बदला लेने के लिए किया. इस साल इजरायल पर ईरान का ये दूसरा हमला है. इससे पहले इसी साल अप्रैल में भी ईरान ने इजरायल पर ड्रोन और मिसाइल से हमले किए थे.

ईरान के पास बैलिस्टिक मिसाइलों का बड़ा भंडार है. अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशालय के अनुसार, इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें ईरान के पास हैं.

कितना बड़ा था ईरान का ये हमला?
इजरायल के विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर मिसाइल हमलों का एक वीडियो जारी किया है, जिसमें देखा जा सकता है आसमान से एक साथ बढ़ी संख्या मिसाइलें जमीन पर गिर रही हैं. इजरायल ने बताया, मंगलवार रात ईरान ने 181 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं. बताया जा रहा है ये हमले इजरायल के मध्य और दक्षिणी हिस्सों में हुए थे.

ईरान की ओर से इजरायल पर अप्रैल में हुए हमले की तुलना में ये बड़ा हमला है. 5 महीने पहले ईरान ने इजरायल पर करीब 110 बैलिस्टिक मिसाइल और 30 क्रूज मिसाइलों से हमला किया था.

ईरान या इजरायल किसके पास ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें?
ईरान के पास मध्य पूर्व में सबसे बड़ा और अलग-अलग तरह की बैलिस्टिक मिसाइल भंडार है. हालांकि, इजरायल के पास ज्यादा शक्तिशाली मिसाइलें हैं, लेकिन उनकी संख्या और प्रकार ईरान की तुलना में कम हैं. ईरान ने अधिकतर मिसाइलें खासकर उत्तर कोरिया से ली हैं. यह बात भी खास है कि ईरान वह एकमात्र देश है, जिसने 2000 किलोमीटर की रेंज वाली मिसाइल विकसित की है, जबकि उसके पास परमाणु हथियार नहीं है.

भले ही ईरान कुछ महत्वपूर्ण पुर्जों और उपकरणों के लिए अभी भी विदेशी देशों पर निर्भर है, लेकिन उसके पास लंबी दूरी की मिसाइलें, जैसे इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) बनाने की तकनीकी क्षमता मौजूद है.

बैलिस्टिक मिसाइलें जिस जगह गिरती हैं तो कितनी तबाही मचाती है?

ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलें और उनकी रेंज
अप्रैल में ईरान की अर्ध-सरकारी समाचार एजेंसी ISNA ने एक ग्राफिक पब्लिश किया था. इसमें नौ ईरानी मिसाइलें दिखाई गईं थी, जिनसे वह इजरायल तक पहुंच सकता था. इन्हीं बैलिस्टिक मिसाइलों से ईरान ने इजरायल पर हमला किया है.

  • सेजील: यह मिसाइल 17,000 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकती है और इसकी रेंज 2500 किमी है
  • खैबर: इस मिसाइल की रेंज 2000 किमी है
  • हाज कासिम: इसकी रेंज 1400 किमी है
  • शाहब-1: इसकी अनुमानित रेंज 300 किमी है
  • जोल्फगार: इसकी रेंज 700 किमी है
  • शाहब-3: इसकी रेंज 800 से 1000 किमी है
  • इमाद-1: इसकी रेंज 2000 किमी तक हो सकती है
  • गदर बैलिस्टिक मिसाइल: इसकी रेंज 200 किमी तक है.

बैलिस्टिक मिसाइल कितनी तबाही मचाती है?
बैलिस्टिक मिसाइलें जब किसी एरिया में गिरती हैं, तो वे कई तरह की तबाही मचा सकती हैं. ये निर्भर करता है कि मिसाइल की स्पीड कितनी है, मिसाइल की रेंज कितनी है, क्षमता कितनी है और टारगेट एरिया की जनसंख्या घनत्व कितना है. एक एवरेज बैलिस्टिक मिसाइल का वारहेड 500 किलो से 1000 किलो के बीच हो सकता है. एक न्यूक्लियर वारहेड की विस्फोटक शक्ति 15-20 किलोटन या उससे अधिक हो सकती है, जो हिरोशिमा पर गिराए गए बम से लगभग 1000 गुना अधिक है.

अगर एक कॉन्वेंशनल बैलिस्टिक मिसाइल 1 टन के वारहेड के साथ गिरती है, तो इसका विस्फोट लगभग 300 मीटर के दायरे में तबाही मचा सकता है. वहीं न्यूक्लियर मिसाइल एक 15 किलोटन न्यूक्लियर बम का विस्फोट 1.6 किमी के दायरे में सभी संरचनाओं को नष्ट कर सकता है और इससे 50,000 से अधिक लोग प्रभावित हो सकते हैं.

जब ईरान ने पहली बार दागी बैलिस्टिक मिसाइल
अमेरिका स्थित फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसी के एक जाने-माने विशेषज्ञ बेहनाम बेन तलेब्लू ने अपनी 2023 की रिपोर्ट में बताया था कि ईरान जमीन के अंदर मिसाइल डिपो बनाने में जुटा हुआ है. इन डिपो में मिसाइलों को ले जाने और दागने के लिए पूरी तरह से तैयार सिस्टम मौजूद हैं, साथ ही भूमिगत मिसाइल उत्पादन और भंडारण केंद्र भी हैं. रिपोर्ट के अनुसार, जून 2020 में ईरान ने पहली बार जमीन से बैलिस्टिक मिसाइल दागी थी.

बेहनाम बेन तलेब्लू ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ईरान ने सालों तक मिसाइलों की रिवर्स-इंजीनियरिंग की है और अलग-अलग तरह की मिसाइलें बना रहा है. ईरान ने मिसाइल तकनीक विकसित करने के लिए अन्य देशों की तकनीकों का रिवर्स इंजीनियरिंग किया है. इस एक्सपेरिमेंट से ईरान ने सीखा है कि एयर इंफ्रास्ट्रक्चर को कैसे मजबूत किया जाए, मिसाइलों की रेंज बढ़ाने के लिए उनका आकार बढ़ाने और हल्के वजन वाले पुर्जे बनाने का भी पता चला है. ईरान अपनी मिसाइलों को मजबूत और हल्के पुर्जों से बनाता है जिससे उनकी रेंज में सुधार होता है.

ईरान की हाइपरसोनिक मिसाइल
जून 2023 में ईरान ने अपनी पहली स्वदेशी हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल का प्रदर्शन किया था. हाइपरसोनिक मिसाइलें ध्वनि की गति से कम से कम पांच गुना तेज उड़ सकती हैं. इन्हें रोकना मुश्किल होता है. आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के अनुसार, ईरान का मिसाइल कार्यक्रम मुख्यतः उत्तर कोरियाई और रूसी डिजाइनों पर आधारित है.

ईरान के पास कुछ क्रूज मिसाइलें भी हैं, जैसे: ख-55 एक हवा से लॉन्च होने वाली परमाणु सक्षम मिसाइल है, जिसकी रेंज 3000 किमी तक है. दूसरी खालिद फर्ज एक एंटी-शिप मिसाइल है, जिसकी रेंज लगभग 300 किमी है और यह 1000 किलोग्राम का वारहेड ले जाने में सक्षम है.

बैलिस्टिक मिसाइलों से इजरायल का कितना नुकसान हुआ?
ईरान ने एक तय रणनीति के साथ इजरायल पर हमला बोला. रिपोर्ट्स के अनुसार, इजरायल के तीन एयरबेस ईरान के निशाने पर थे. वहीं इजरायल का दावा है कि इन हमलों से उसके देश को कुछ खास नुकसान नहीं हुआ. सभी एयरबेस सुरक्षित हैं, हालांकि हमलों की आशंका के चलते इजरायल ने कुछ समय के लिए सभी एयरबेस बंद कर दिए है. 

रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान ने इजरायल पर 180 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, लेकिन इन हमलों में मात्र तीन इजरायली नागरिक घायल हुए हैं.

बैलिस्टिक मिसाइलों के हमलों से कैसे बचा इजरायल?

बैलिस्टिक मिसाइलें जिस जगह गिरती हैं तो कितनी तबाही मचाती है?

180 से ज्यादा ताकतवर बैलिस्टिक मिसाइलें भी इजरायल का कुछ खास बिगाड़ नहीं सकीं. इसकी वजह इजरायल का एयर डिफेंस सिस्टम है. इसमें सबसे अधिक लोकप्रिय आयरन डोम (Iron Dome) है. ये आयरन डोम दुश्मन देश की तरफ से दागी गई मिसाइलों को रोकने के लिए तैयार किया गया है. इसका मुख्य उद्देश्य छोटी रेंज की बैलिस्टिक मिसाइलों और क्रूज मिसाइलों को रोकना है.

जब कोई मिसाइल या रॉकेट लॉन्च होता है तो आयरन डोम का रडार सिस्टम तुरंत उसे ट्रैक करना शुरू कर देता है. रडार सिग्नल को प्राप्त करने के बाद, सिस्टम यह गणना करता है कि मिसाइल का टारगेट क्या होगा और क्या यह मिसाइल इजरायल के किसी महत्वपूर्ण हिस्से पर गिरेगी.

अगर यह मिसाइल इजरायल के किसी महत्वपूर्ण हिस्से को टारगेट करती है, तो आयरन डोम उसे इंटरसेप्ट करने के लिए तुरंत एक मिसाइल लॉन्च करता है. ये इंटरसेप्टर मिसाइलें तेजी से लक्ष्य की ओर बढ़ती हैं और दुश्मन के रॉकट को हवा में ही नष्ट करने का प्रयास करती हैं. 

आयरन डोम ने पहले भी ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलों और अन्य रॉकेट हमलों को रोकने में सफलता हासिल की है. खासकर हमास और गाजा पट्टी से होने वाले हमलों के दौरान भी आयरन डोम ने उन्हें रोकने में अहम भूमिका निभाई. आयरन डोम उन खतरों को नजरअंदाज कर देता है जिन रॉकेट की गैर-रिहाइशी इलाकों में गिरने की संभावना होती है.

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