जयेंद्रगंज बाजार जहां अस्थायी अतिक्रमण और अवैध पार्किंग के कारण सड़क ?
सुलझाएं जयेंद्रगंज की “पजल” पार्किंग की पहेली …
चौड़ी सड़कों के अलावा बड़े-बड़े शापिंग काम्प्लेक्स यहां की पहचान हैं, लेकिन पार्किंग की कमी के कारण जाम की समस्या बनी रहती है! गर निगम ने इस समस्या के समाधान के लिए इस इलाके में दो पजल पार्किंग तैयार कराई थीं, लेकिन वर्षों से इनका संचालन नहीं हो पा रहा है। वो सफेद हाथी बनकर खड़ी हैं।
जयेंद्रगंज बाजार जहां अस्थायी अतिक्रमण और अवैध पार्किंग के कारण सड़क संकरी हो जाती है, जिससे वाहन जाम में फंसते हैं…
- जाम का सबसे बड़ा कारण चार पहिया वाहन बनते हैं
- पार्किंग की कमी के कारण जाम की समस्या बनी रहती है
- जयेंद्रपजल पार्किंग का नहीं हो पा रहा है संचालन
ग्वालियर। लश्कर क्षेत्र के प्रमुख इलाकों में जयेंद्रगंज भी शामिल है। चौड़ी सड़कों के अलावा बड़े-बड़े शापिंग काम्प्लेक्स यहां की पहचान हैं, लेकिन पार्किंग की कमी के कारण जाम की समस्या बनी रहती है जो व्यापार को भी प्रभावित कर रही है। जाम का सबसे बड़ा कारण चार पहिया वाहन बनते हैं।
हालांकि नगर निगम ने इस समस्या के समाधान के लिए इस इलाके में दो पजल पार्किंग तैयार कराई थीं, लेकिन वर्षों से इनका संचालन नहीं हो पा रहा है। वो सफेद हाथी बनकर खड़ी हैं। प्रशासन इस पहेली को सुलझाए तो तो पार्किंग की समस्या का काफी हद तक निराकरण हो सकता है। ऐसे में वाहन सड़कों पर ही खड़े नजर आते हैं। इस बाजार में बने दो बड़े शापिंग काम्प्लेक्स राजीव प्लाजा और संजय काम्प्लेक्स के आसपास गंदगी और सड़क पर व्यापार भी बड़ी समस्या है, जिसके कारण कारोबारियों से लेकर लोगों तक को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
राजीव प्लाजा के पीछे सीवर लाइन जाम होने के कारण गंदगी पसरी रहती है। बिजली के खुले तार भी यहां बड़ी दिक्कत हैं, जिसके चलते पूर्व में भी राजीव प्लाजा में आग लगने की घटना हो चुकी है। जिम्मेदार अधिकारी समस्याओं से अनजान नहीं हैं। व्यापारियों का कहना है कि इन समस्याओं का निदान हो, तो बाजार और खिल उठेगा।
जयाजीराव के नाम पर हुआ नामकरण गंज के रूप में चलता था बाजार
सिंधिया राजघराना जब जयविलास पैलेस में निवास करने लगा, तो उसके आसपास के इलाके में गंज जैसा बाजार विकसित किया गया। इसका नाम महाराज जयाजीराव सिंधिया के नाम पर रखा गया। इसके अलावा यहां महाराज जीवाजीराव के नाम पर दो स्कूल भी तैयार कराए गए थे। इनमें से आज भी एक स्कूल यहां संचालित होता है। इसके अलावा यहां मराठा व राजपूत दो छात्रावास भी तैयार किए गए थे। इनमें दोनों ही समाज के छात्र निवास करते थे और स्कूलों में अध्ययन किया करते थे। इसके अलावा यहां मराठा सरदारों के बाड़े भी बने थे, जो आज भी नजर आते हैं।
बाजार की मुख्य समस्याएं
- सड़क पर ही वाहनों की पार्किंग होती है, जिसके कारण दुकानों तक जाने का रास्ता बाधित होता है। स्वयं दुकानदार और उनके कर्मचारी भी रोड पर ही वाहन खड़े करते हैं।
- महिलाओं के उपयोग के लिए जनसुविधा केंद्र मौजूद नहीं है। पुरुषों के लिए बने शौचालय भी गंदे रहते हैं।
- कार एसेसरीज का काम सड़कों पर ही होता है, जिससे जाम की समस्या बनती है।
व्यापारी लें संकल्प
- दुकानों के बाहर दो-दो डस्टबिन रखें। गीला-सूखा कचरा अलग-अलग डलवाएं।
- सीसीटीवी कैमरे लगवाएं और जरूरत पड़ने पर फुटेज साझा करें।
- अपनी व कर्मचारियों की गाड़ियां सड़क पर पार्क न करें।
- कार एसेसरीज के कारोबारी सड़क तक व्यापार न करें।
- खुले में गंदगी फैलाने वाले ग्राहकों को रोकें व उन्हें समझाइश दें।
- व्यापारी संघ द्वारा बनाए गए नियमों का स्वयं पालन करें और दूसरों से भी कराएं।
- टायलेट के लिए सुविधा केंद्र का ही उपयोग करें। द्य 04 बाड़े हैं जयेंद्रगंज बाजार में।
- 200 से ज्यादा मोबाइल की दुकानें हैं यहां।
- 40 किमी दूर से भी खरीदारी करने आते हैं ग्राहक।