क्रिप्टो करेंसी के जरिए ड्रग्स माफिया खरीदते थे कच्चा माल…ATS कर रही बड़े नेटवर्क की पड़ताल

भोपाल में सात महीने से चल रही थी ड्रग्स की फैक्ट्री…
 क्रिप्टो करेंसी के जरिए ड्रग्स माफिया खरीदते थे कच्चा माल, ATS कर रही बड़े नेटवर्क की पड़ताल
भोपाल में एमडी ड्रग्स बनाने के मामले में गिरफ्तार मंदसौर के हरीश अंजना का पहले भी तस्करी के मामलों में रिकॉर्ड है। वह गुजरात से केमिकल मंगवाता था और कई नेताओं से संपर्क में था। पुलिस को संदेह है कि कई राज्यों से जुड़े एक नेटवर्क का पता चल सकता है। एनसीबी और गुजरात एटीएस ने इस मामले में बड़ा कारखाना पकड़ा है।
Bhopal Drugs Factory: क्रिप्टो करेंसी के जरिए ड्रग्स माफिया खरीदते थे कच्चा माल, ATS कर रही बड़े नेटवर्क की पड़ताल
भोपाल में एमडी ड्रग्स बनाने के मामले में कई बड़े खुलासे…
  1. भोपाल में एमडी ड्रग्स फैक्ट्री पकड़े जाने का मामला
  2. एमडी ड्रग्स के लिए केमिकल गुजरात से मंगाता था
  3. ATS पड़ताल में बड़े नेटवर्क का हो सकता है खुलासा

भोपाल : भोपाल में एमडी ड्रग्स बनाने के कारोबार में मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया मंदसौर का हरीश अंजना पहले भी तस्करी के मामले में पकड़ा जा चुका है। मंदसौर, ग्वालियर सहित चार स्थानों पर उसके विरुद्ध केस दर्ज हैं। हरीश गुजरात के वापी से एमडी ड्रग्स बनाने के लिए केमिकल मंगाता था।उसका कई नेताओं से भी संपर्क का पता चला है।

उसकी सहायता करने वाले पांच अन्य लोगों का भी पुलिस को पता चला है। पुलिस को संदेह है कि कई राज्यों से भोपाल की एमडी ड्रग्स फैक्ट्री के संचालकों के तार जुड़े हैं। अभी तक की पूछताछ में पता चला है कि आरोपित कच्चा सामान खरीदने के लेकर अन्य काम में क्रिप्टो करेंसी का भी उपयोग कर रहे थे।

गुजरात एटीएस कर रही पड़ताल

एटीएस की आगे की पूछताछ के बाद मामले में कुछ और लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है। इसके साथ ही दूसरे राज्यों में आरोपितों का नेटवर्क पता चलेगा। गुजरात एटीएस यह भी पता रही है कि इससे आना वाला पैसा कहीं आतंकी गतिविधियों में तो उपयोग नहीं हो रहा था। बता दें कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) और गुजरात एटीएस ने शनिवार को भोपाल में एमडी ड्रग बनाने का कारखाना पकड़ा था।

उद्योग विभाग की बड़ी लापरवाही

प्रदूषण नियंत्रण मंडल और उद्योग विभाग के अधिकारियों पर हो सकती है बड़ी कार्रवाई इस घटना में उद्योग विभाग की बड़ी लापरवाही दिखी है। जमीन आवंटित करने के बाद अधिकारी पिछले चार वर्ष में यह देखने नहीं गए कि उद्योग लगा भी या नहीं। अब सरकार उद्योग विभाग और प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों पर इस मामले में कार्रवाई कर सकती है। इसके साथ ही पुलिस कारखाने में काम करने वाले मजदूरों से भी पूछताछ करेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *