एक साल बाद भी धधक रही बदले और संघर्ष की आग”
इजराइल-हमास युद्ध: “एक साल बाद भी धधक रही बदले और संघर्ष की आग”
एक साल से जारी युद्ध में इजराइली सेना ने गाजा पट्टी पर ढाई लाख से भी अधिक हवाई हमले और तोपखाने से बमबारी की है. इन हमलों के अभी ख़त्म होने के आसार नहीं है, क्योंकि अब इजराइल ने न सिर्फ लेबनान में अपनी सेना को हिज़्बुल्लाह के खिलाफ जंग में उतार दिया है, बल्कि ईरान और इजराइल के बीच भी एक बड़े युद्ध की आशंका भी जन्म ले लिया है. जिसके कारण वेस्ट और अरब मुल्क भी पैनिक हालत में आ चुके है. इसके कई कारण हैं- उनमें एक बड़ी वजह ये है कि अगर इजराइल ने ईरान के 200 मिसाइल हमले के जवाब में ईरान के तेल रिफाइनरी पर हमला कर दिया तो विश्व बाजार में तेल के क़ीमत बढ़ सकती है.
वहीं गाजा पर इजराइल अब तक क़रीब 1,00,000 टन विस्फोटक सामग्री का इस्तेमाल कर चुका है, जिसमें अमेरिका से मिले बम, मिसाइल और गोले शामिल थे. साथ ही गाजा पट्टी में 10,000 टन से ज्यादा माइंस बिछाई गई हैं, जो अभी तक फटी नहीं हैं और क्षेत्र को तबाह करने के उद्देश्य से लगाई गई हैं.
नरसंहार और तबाही का आंकड़ा
गाजा के 7920 फिलिस्तीनी नागरिकों के शव अब तक न तो दफनाए गए हैं, न अस्पताल पहुंचे हैं और न ही उनका रिकॉर्ड बनाया गया है. ये सभी आंकड़े अनुमानित हैं, क्योंकि इजराइल ने अमेरिकी द्वारा प्रतिबंधित जिन हथियारों का इस्तेमाल किया, है उनमें शव पूरी तरह से जल कर राख़ हो जाते हैं, इन हथियारों का इस्तेमाल नरसंहार और व्यापक तबाही के लिए किया गया था.
इजराइली ने 3,50,000 नियमित और रिजर्व सैनिकों की सेना के साथ गाजा पर हमला किया. इसमें अमेरिका, ब्रिटेन और पश्चिमी देशों का समर्थन था. इस हमले में लगभग 1,50,000 फिलिस्तीनी मारे गए है या फिर लापता या घायल हो चुके हैं. इजराइल ने गाजा पट्टी में लगभग 3,700 लोगों का बड़े पैमाने पर नरसंहार किया है, जिनमें बपतिस्मा अस्पताल, जबालिया कैंप, और अल-फखूरा स्कूल शामिल हैं. बपतिस्मा अस्पताल पर हमले में करीब 500 लोग गए और 700 से ज्यादा घायल हुए. जबालिया कैंप में 400 से अधिक लोगों की जानें गईं और घायल हुए, जबकि अल-फखूरा स्कूल में 200 से अधिक लोगों की मारे गए .
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर हमला
इजराइल ने गाजा पट्टी पर बमबारी कर लाखों फिलिस्तीनी छात्रों को शिक्षा से वंचित कर दिया है. गाजा के 93% से ज्यादा स्कूल भवन बर्बाद हो गए हैं और वहां की स्वास्थ्य सेवाएं लगभग समाप्त हो चुकी हैं. इन हमलों में अब तक 1,000 से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों की मौत हो गई है और सैकड़ों को कैद कर लिया है. इसके अलावा, इजराइल ने 814 से अधिक मस्जिदों को नष्ट कर दिया है.
इजराइली सेना और ज़ायोनी आक्रमणकारियों ने अल-अक्सा और इब्राहीमी मस्जिदों पर हमले किए, जहां उन्होंने इस्लाम, कुरान और पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) का अपमान किया. इन हमलों का मकसद फिलिस्तीनियों की धार्मिक आस्था को चोट पहुंचाना और उनकी आत्मा को तोड़ना है. इस आक्रमण के दौरान लगभग 12,000 स्कूली बच्चे और 750 शिक्षक मारे गए. साथ ही 1,100 विश्वविद्यालय के छात्र और 130 विद्वान और विश्वविद्यालय के प्रोफेसर भी शहीद हुए हैं.
“इज़राइली” ने गाज़ा में 93% से अधिक स्कूल भवनों को या तो पूरी तरह या आंशिक रूप से नष्ट कर दिया है, साथ ही लगभग 650 स्कूलों और 130 प्रशासनिक और विश्वविद्यालय सुविधाओं को भी ध्वस्त किया है. स्वास्थ्य क्षेत्र को लगभग पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है, जिसमें 162 स्वास्थ्य सुविधाओं और अस्पतालों को निशाना बनाया गया है, जिनमें से एक बड़ी संख्या पूरी तरह से निष्क्रिय हो चुकी है. जो बची हुई स्वास्थ्य सुविधाएँ हैं, वे भी केवल न्यूनतम स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान कर पा रही हैं.
स्वास्थ्य कर्मियों को भी व्यवस्थित रूप से निशाना बनाया गया है, जिसमें लगभग 1,000 स्वास्थ्य कर्मी मारे जा चचुके हैं और 300 से अधिक का अपहरण किया जा चुका है. गाज़ा में 814 मस्जिदों को नष्ट कर दिया गया है, जो कुल मस्जिदों का लगभग 79% है.
धार्मिक स्थलों पर हमला
इसरायली सेना ने कब्रिस्तानों को भी व्यवस्थित रूप से निशाना बनाया है, 19 कब्रिस्तानों को नष्ट किया, जिनमें से 8 को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया है. जबकि वही ईसाई क़ब्रिस्तानों को सलामत रहने दिया. इज़राइली सेना ने पश्चिमी तट पर भी अपने हमलों को तेज किया है, और यह अपराध अल-अक्सा फ्लड के कारण नहीं है, बल्कि यह अपराधों की एक ऐतिहासिक शृंखला का हिस्सा है.
1948 का नकबा जब इसरायली सेना ने 500 से ज़्यादा फिलिस्तीनी बस्तियों को ख़त्म कर दिया और हज़ारों फिलिस्तीनी को मौत के घाट उतार दिया. साथ ही महिलाओं और लड़कियों का रेप किया गया, और 7 लाख फिलिस्तीनियों को मुल्क से बाहर निकल दिया गया. फिलिस्तीनी शरणार्थी की लेबनान में दो बड़े कैंप साबरा और शातीला में 1982 में इजराइल और उसकी समर्थित इसाई मिलिशिया ने हमला कर 3000 फिलिस्तीन की जघन्य हत्या की थी ये हत्या तीन दिन तक जारी रहा.
“ब्रेकिंग द वेव्स” नामक उस आपरेशन को भी याद किया जा सकता है जब इज़राइली सेना ने पश्चिमी तट पर हमला किया, जिसमें 100 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए विशेष रूप से नब्लुस और जेनिन में. अब तक इसरायली सेना ने पश्चिमी तट में 11,000 से अधिक फिलिस्तीनियों को हिरासत में लिया है, जिसमें 750 मरे गए है हुए और 6,200 से अधिक घायल हुए हैं.
कुछ आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल में पश्चिमी तट पर कब्जा करने वाले अवैध बस्ती बसाने वाले यहुदियों द्वारा लगभग 1,400 हमले दर्ज किए गए हैं. 28 फिलिस्तीनी आवासीय समुदायों, जिनमें सैकड़ों परिवार और हजारों फिलिस्तीनी शामिल हैं, को विस्थापित कर दिया गया है क्योंकि इजराइल फिलिस्तीनियों को पश्चिमी तट से निकालने की कोशिश कर रहा है.
इजराइल का हमला और वैश्विक समर्थन
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, इज़राइली सेना ने पश्चिमी तट में 1,700 से अधिक फिलिस्तीनी संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया और पिछले 30 वर्षों में सबसे बड़ी भूमि-हड़पने की कार्रवाई की. अल-अक्सा मस्जिद और इब्राहिमी मस्जिद पर बड़े पैमाने पर हमले हुए हैं, जिसमें दसियों हज़ार ज़ायोनी अल-अक्सा मस्जिद में घुसे. 50,000 से अधिक ज़ायोनियों ने इन छापों में भाग लिया, जिसमें इस्लाम, कुरान और पैगंबर मोहम्मद (स.अ.व.) का अपमान किया गया.
इज़राइली की आपराधिक और आक्रामक गतिविधियाँ सिर्फ अल-अक्सा फ्लड से पैदा नहीं हुईं; ये दुश्मन की आक्रामकता और अपराध की ऐतिहासिक शृंखला का हिस्सा हैं. बालफोर घोषणा के बाद और यहूदियों को फिलिस्तीन में इकट्ठा करना शुरू होने के बाद से, ज़ायोनियों ने फिलिस्तीनियों के खिलाफ नरसंहार और निर्मम हत्याओं की नीति अपनाई है, जो इसरायली सत्ता की स्थापना से पहले भी थी.
ज़ायोनी हतियाबंद मिलिशिया ने फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ दर्जनों नरसंहार और अपराध किए थे, जिनमें सबसे प्रसिद्ध देयर यासीन नरसंहार था. शुरुआती ज़ायोनी नरसंहारों का उद्देश्य हत्या और अपराध की प्रवृत्तियों को संतुष्ट करना था, जिससे लाखों फिलिस्तीनियों को उनके घरों, गांवों और शहरों से भागने पर मजबूर होना पड़ा.
कब्जे वाली सत्ता के स्थापित होने के बाद भी फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ अपराध और नरसंहार की नीति व्यापक और बार-बार जारी रही, जिसमें इज़राइली सरकार की शह पर जिओनिस्ट उग्रवादी यहूदी समूह ने अल-अक्सा और अन्य पवित्र स्थलों पर लगातार हमले जारी रखे.
अल-अक्सा फ्लड अभियान का उद्देश्य
अल-अक्सा फ्लड अभियान इजराइल द्वारा फिलिस्तीन पर किए गए 105 सालों से जारी हमलों और उत्पीड़न का जवाब है. यह एक स्वाभाविक परिणाम है, जो इजराइल के अत्याचारों के खिलाफ उठी आवाज़ है. इस अभियान ने इजराइली सेना के लिए युद्ध की स्थिति को बदल दिया है, इसरायली सेना को लम्बे युद्ध का अनुभव नहीं है,जबकि ईरानी सेना ने इराक के साथ दस साल तक सफल युद्ध किया,अल-अक्सा फ्लड अभियान से शुरू हुआ इस युद्ध में हिज़्बुल्लाह, यमन के होती विद्रोही, इराकी शिया मिलिशिया के साथ अब सीधे तौर पर ईरान भी शामिल हो चुका है, जिसके कारण इजराइल की सेना थकान और लंबी लड़ाई में उलझ गई है.
अगर इस युद्ध को नहीं रोका गया तो समूचे विश में आर्थिक और राजनितिक अस्थिरता पैदा हो जाने के खतरे को टालना नामुमकिन हो जाएगा, इस जंग के खात्मे का एक ही रास्ता है, और वो ये है की इजराइल फिलीस्तीनी राष्ट्र को मान्यता दे और हमास इजराइल के अस्तित्व को क़बूल करे.
[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं.यह ज़रूरी नहीं है कि….न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]
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इजरायल-हमास के बीच जंग के 12 महीने: एक साल में कितनी मौतें और कौन, कहां हुआ ढेर
गाजा को इजरायल पर हमला करना बहुत भारी पड़ा है. एक साल के भीतर इजरायल ने गाजा को खंडहर में तब्दील कर दिया है. सैकड़ों हमास लड़ाकों को मौत की नींद सुला दिया है.
इस हमले के जवाब में इजरायल ने हमास के नियंत्रण वाले गाजा पट्टी पर भीषण हवाई हमले शुरू कर दिए. अब इजरायल-हमास युद्ध को एक साल पूरा हो चुका है. इसका नतीजा ये हुआ कि इजरायली कार्रवाई में गाजा पट्टी में भीषण तबाही हुई. गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजरायल के हमलों में लगभग 42,000 फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है, जबकि 96800 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं और करीब 23 लाख लोग बेघर हो गए हैं.
यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (UNDP) की रिपोर्ट के अनुसार, एक लाख से ज्यादा लोग भयानक भूख का सामना कर रहे हैं और कई लोग भूख की वजह से मर चुके हैं. गाजा में फिलिस्तीनियों को अपने घरों से बेदखल कर दिया गया है, वे बेहद खराब हालात में रह रहे हैं. अपने परिजनों को खो चुके हैं. उनके घर, मस्जिदें, स्कूल-कॉलेज और अस्पताल तबाह हो चुके हैं.
बंधकों के परिवारों की गुहार
इजरायल में 7 अक्टूबर के हमले की बरसी पर गाजा में बंधक बनाए गए लोगों के परिवारों ने दुनिया से मदद की गुहार लगाई. रविवार को इन परिवारों की एक मीटिंग हुई. इसमें उन्होंने कहा, “हमें मत भूलिए. बंधकों को मत भूलिए.” उनका कहना है कि यह सिर्फ इजरायल की समस्या नहीं है. यह पूरी दुनिया की चिंता का विषय होना चाहिए. ये परिवार चाहते हैं कि दुनिया के बड़े नेता और तमाम बड़े संगठन हमास पर दबाव डालें. उनकी मांग है कि सभी बंधकों को जल्द से जल्द छोड़ा जाए.
वहीं दुनिया के कई बड़े शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं, जहां हजारों लोग गाजा और मध्य पूर्व में खूनखराबा खत्म करने की अपील कर रहे हैं. लंदन के सेंटर प्वाइंट पर लगभग 40,000 प्रदर्शनकारी मार्च कर रहे हैं जबकि पेरिस, रोम, मनीला, केप टाउन और न्यूयॉर्क सिटी में भी हजारों लोगों का प्रदर्शन चल रहा है. प्रदर्शनकारी इस बात की मांग कर रहे हैं कि सभी पक्षों को एक साथ आकर बातचीत करनी चाहिए और संघर्ष का अंत करना चाहिए.
एक साल में हमास और हिजबुल्लाह के कितने कमांडर ढेर
बीते एक साल में इजरायल ने 17,000 हमास लड़ाकों को मारने का दावा किया है. इजरायली सेना आईडीएफ के अनुसार, उसने हमास के आठ ब्रिगेड कमांडर और 30 से ज्यादा बटालियन कमांडर मारे हैं. आईडीएफ ने 165 से ज्यादा हमास कंपनी कमांडर और सेम रैंक वाले लड़ाकों को मारने का भी दावा किया है.
आईडीएफ का दावा है, युद्ध की शुरुआत से लेकर अब तक गाजा पट्टी में उसने हमास के 40,300 ठिकानों पर हमला किया है. साथ ही हमास की 4700 सुरंगों का पता लगाया है. वहीं इजरायल का हिजबुल्लाह के साथ भी विवाद चल रहा है. इजरायल ने लेबनान में हिजबुल्लाह के करीब 11,000 ठिकानों पर हमला किया है. लेबनान में हिजबुल्लाह के 800 से ज्यादा लड़ाकों को मार गिराया है, जिनमें 90 हिजबुल्लाह के सीनियर कमांडर भी थे. वहीं अगर इजरायल पर हमलों की बात की जाए तो गाजा, लेबनान ने इजरायल पर 26,000 से ज्यादा रॉकेट, मिसाइल और ड्रोन दागे हैं.
हमास और हिजबुल्ला के किन बड़े कमांडर को मारा
बदले की कार्रवाई करते हुए इजरायल ने एक साल के भीतर हमास और हिजबुल्लाह के कई बड़े नेताओं को मार गिराया है. युद्ध की शुरुआत के बाद इजरायल ने सबसे पहले 13 अक्टूबर 2023 को हमास के नुखबा यूनिट के कंपनी कमांडर को गाजा पट्टा में ड्रोन स्ट्राइक से मारने का दावा किया. इसी दिन गाजा पट्टी में हमास के एरियल यूनिट के हेड को एयरस्ट्राइक में मारा गया. इसके बाद 15 अक्तूबर को कफ्र अजा नरसंहार के लिए जिम्मेदार हमास कमांडर बिलाल अल केद्रा को मारा.
31 अक्तूबर को 7 अक्तूबर के नरसंहार के मास्टरमाइंड और नुखबा के हमास कमांडर इब्राहिम बियारी को एयरस्ट्राइक में मार गिराया. इसके बाद लेबनान के दाहिए में 2 जनवरी 2024 को हमास के पॉलिटिकल ब्यूरो के डिप्टी चेयरमैन सालेह अल-अरौरी को ड्रोन एयरस्ट्राइक में मारा गया. 8 जनवरी को हिजबुल्लाह के रेडवान फोर्स का सीनियर कमांडर विसम अल-ताविल एयरस्ट्राइक में मारा गया. 9 जनवरी को लेबनान के खिरबेट सेल्म में हिजबुल्लाह के एरियल फोर्सेस के कमांडर अली हुसैन बर्जी को एयर स्ट्राइक में मार दिया. 20 जनवरी को सीरिया के दमिश्क में कुद्स फोर्स का इंटेलिजेंस प्रमुख सादेग ओमिदजादेह मारा गया.
10 मार्च को गाजा पट्टी के नुसैरत में मारवान इस्सा और गाजी अबु तामा दोनों को एयरस्ट्राइक में मारा गया. मारवान इस्सा हमास मिलिट्री विंग का हमास मिलिट्री विंग का डिप्टी कमांडर था. गाजी अबु तामा सीनियर हमास कमांडर था. सीरिया के दमिश्क में 1 अप्रैल को लेबनान और सीरिया के कुद्स फोर्स कमांडर मोहम्मद रजा जहेदी को एयरस्ट्राइक में मार गिराया.
11 जून 2024 को हिजबुल्ला की नस्र यूनिट का कमांडर तालेब अब्दुल्लाह लेबनान के ज्वाया इलाके में हुई एयरस्ट्राइक से मारा गया. छह दिन बाद 17 जून को लेबनान के सेला में हिजबुल्लाह के रॉकेट और मिसाइल यूनिट के कमांडर मुहम्मद मुस्तफा अयूब को मार गिराया. 3 जुलाई को हिजबुल्ला की अजिज यूनिट का कमांडर मोहम्मद नेहमी नसीर लेबनान के हउच इलाके में मारा गया. 31 जुलाई को इजरायल ने ईरान की राजधानी तेहरान में हमास के सर्वोच्च पॉलिटिकल लीडर इस्माइल हानिया को एयरस्ट्राइक में मार गिराया. अब हमास के नए चीफ याह्या सिनवार के मारे जाने की भी आशंका जताई जा रही है.
नवंबर में बंधकों की रिहाई का हुआ था समझौता
नवंबर 2023 में हफ्तों की बातचीत के बाद इजरायल और हमास के बीच एक समझौता हुआ था. इसके तहत 50 इजरायली बंधकों को रिहा किया गया और इसके बदले इजरायल ने 150 फिलिस्तीनी कैदियों को छोड़ दिया था. इस समझौते में अस्थायी युद्धविराम भी शामिल था.
जब यह युद्धविराम खत्म हुआ, तब तक कुल 108 बंधकों को रिहा किया जा चुका था. चार दिनों का युद्धविराम समाप्त होने के बाद 1 दिसंबर 2023 से फिर दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू हो गया.
अल-शिफा अस्पताल: गाजा के सबसे बड़े अस्पताल पर हमला
इससे पहले 15 नवंबर को इजरायल ने गाजा के सबसे बड़े अल-शिफा अस्पताल पर हमला किया था. यह छह मंजिला अस्पताल गाजा के हेल्थ सिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था.
हमास के अनुसार, अस्पताल में तब करीब 650 मरीज और 5000 से 7000 बेघर नागरिकों ने शरण ले रखी थी. हमास के अनुसार, स्नाइपर्स और ड्रोन से अस्पताल पर हमला किया गया. जब अस्पताल की बिजली चली गई, तो करीब 40 मरीजों की मौत हो गई, जिनमें तीन प्रीमैच्योर (समय से पहले जन्मे) बच्चे भी शामिल थे.
क्या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने युद्ध रोकने की कोशिश नहीं की?
इजरायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध को रोकने के लिए दुनिया भर से कोशिशें हो रही हैं. इस साल जून में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पहली बार युद्धविराम को मंजूरी देने वाला पहला प्रस्ताव पारित किया. अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से इस प्रस्ताव को स्वीकार करने की अपील की, लेकिन नेतन्याहू ने इस सौदे के प्रति संदेह व्यक्त किया, यह कहते हुए कि इजराइल अभी भी हमास को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है.
वहीं, हमास ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया और कहा कि वह इजराइल के साथ अप्रत्यक्ष बातचीत के लिए तैयार है. आखिरकार इस साल अगस्त में मिस्र की राजधानी काहिरा में युद्धविराम पर बातचीत हुई. लेकिन दोनों पक्ष किसी समझौते पर नहीं पहुंच सके.
इंटरनेशनल कोर्ट ने क्या कहा?
दुनिया की सबसे बड़ी अदालत ने इजरायल को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा है कि वेस्ट बैंक और पूर्वी यरूशलेम पर उसका कब्जा गैरकानूनी है. इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने 19 जुलाई को अपने फैसले में कहा कि इजरायल को फिलिस्तीनी इलाकों से जल्द से जल्द अपना कब्जा हटाना चाहिए.
अदालत ने अपने फैसले में 1907 के एक पुराने कानून का हवाला दिया, जिसमें साफ-साफ लिखा है कि किसी भी देश पर कब्जा सिर्फ अस्थायी हो सकता है और कब्जा करने वाला देश उस पर अपना मालिकाना हक नहीं जता सकता.