विक्रांत मैसी का फिल्मों से संन्यास लेना समाज के लिए गलत संकेत या युवाओं को संदेश ?
विक्रांत मैसी का फिल्मों से संन्यास लेना: समाज के लिए गलत संकेत या युवाओं को संदेश
विक्रांत मैसी का योगदान
विक्रांत मैसी ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण और यादगार भूमिकाएँ निभाई हैं. उनकी अभिनय क्षमता और विविधता ने उन्हें एक प्रतिष्ठित अभिनेता बना दिया है. उनकी फिल्मों ने न केवल मनोरंजन प्रदान किया है बल्कि समाज के विभिन्न मुद्दों पर भी प्रकाश डाला है. उनके संन्यास लेने से फिल्म उद्योग एक महत्वपूर्ण प्रतिभा को खो देगा. विक्रांत मैसी जैसे अभिनेता समाज के लिए प्रेरणा स्रोत होते हैं, उनके संघर्ष और सफलता की कहानियाँ युवाओं को प्रेरित करती हैं. उनके संन्यास लेने से युवाओं को एक महत्वपूर्ण प्रेरणा स्रोत का अभाव महसूस हो सकता है. विक्रांत मैसी की फिल्मों ने समाज के विभिन्न मुद्दों को उठाया है और लोगों को सोचने पर मजबूर किया है. उनके संन्यास लेने से सिनेमा जगत एक महत्वपूर्ण आवाज़ खो देगा जो समाज के मुद्दों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती थी. वहीं, विक्रांत मैसी की फिल्मों ने सामाजिक संदेश देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उनके संन्यास लेने से समाज को यह संकेत मिल सकता है कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात करने वाले कलाकारों की कमी हो रही है. हाल ही में वह अपनी ताजातरीन फिल्म साबरमती रिपोर्ट की वजह से काफी सुर्खियों में भी आए थे, वजह भले ही सकारात्मक या नकारात्मक हो.
विक्रांत हैं बेवजह सुर्खियों में
सोमवार यानी 2 दिसंबर की सुबह विक्रांत मैसी ने फैंस को हैरान कर दिया. उन्होंने अपने पोस्ट से ऐलान किया कि उन्होंने 2025 के बाद एक्टिंग से दूर रहने का फैसला किया है. इंस्टाग्राम पर साझा किए गए नोट में 12वीं फेल एक्टर ने लिखा, ‘पिछले कुछ साल और उसके बाद का समय अद्भुत रहा है. मैं आप सभी को आपके अब तक के सपोर्ट के लिए धन्यवाद देता हूं. लेकिन जैसे-जैसे मैं आगे बढ़ता हूं, मुझे एहसास होता है कि अब समय आ गया है कि मैं खुद को फिर से संभालूं और घर वापस जाऊं. एक पति, पिता और बेटे के तौर पर. और एक एक्टर के तौर पर भी’. इसके आगे भी उन्होंने लिखा है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगले साल वह (और दर्शक) एक बार फिर मिलेंगे, यानी 2025 के बाद वह फिल्में नहीं करेंगे. इस फैसले ने जाहिर तौर पर सबको चौंकाया है.
विक्रांत की ताजातरीन फिल्म ‘साबरमती रिपोर्ट’ लगभग आधा दर्जन से अधिक राज्यों में टैक्स फ्री है और इनमें से सभी भाजपा शासित राज्य हैं. मैसी की यह फिल्म एक राजनीतिक आख्यान का भी हिस्सा बन गयी है और मैसी को इसके लिए ट्रोलिंग और ऑनलाइन बुलीइंग भी झेलनी पड़ी है. दरअसल, यह फिल्म गोधरा की उस कुख्यात घटना पर आधारित है, जिसमें एक मुस्लिम भीड़ ने गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के डिब्बों में आग लगा दी थी और उसमें 59 कारसेवकों (जो अयोध्या से लौट रहे थे) की हत्या कर दी थी. उसके बाद गुजरात भर में हिंदू-मुस्लिम दंगे हुए थे, जिसके बाद वर्तमान प्रधानमंत्री और तब के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्रभाई मोदी को एक तबके से गहरी आलोचना झेलनी पड़ी थी और एक तबके के लिए वह हिंदू-हृदय सम्राट बन गए थे.
विक्रांत मैसी ने फिल्म चाहे जिस वजह से अभी छोड़ी हों, लेकिन उनकी ट्रोलिंग को भी एक फैक्टर माना जा रहा है. जब साबरमती रिपोर्ट नामक यह फिल्म रिलीज होनेवाली थी, तभी से इस पर चर्चा शुरू हो गयी थी. एक तबके ने यह भी कहा था कि विक्रांत अपने रास्ते से भटक गए हैं और प्रोपैगैंडा फिल्म कर रहे हैं, हिंदूवादी राजनीतिज्ञों के हाथ में खेल रहे हैं और वह तमाम बातें उनको ले कर या उनकी फिल्म को लेकर की गयीं जो कभी “कश्मीर फाइल्स” या “द केरल रिपोर्ट” के समय की गयी थी.
स्टार नहीं, एक्टर हैं विक्रांत और इस बात को समझें
विक्रांत मैसी का फिल्मों से संन्यास लेना समाज के लिए एक गलत संकेत देता है. यह न केवल फिल्म उद्योग के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक महत्वपूर्ण नुकसान है. उनके संन्यास लेने से प्रेरणा, सिनेमा और सामाजिक संदेश देने की क्षमता में कमी आ सकती है. यह महत्वपूर्ण है कि ऐसे कलाकारों की भूमिका को समझा जाए और उन्हें प्रोत्साहित किया जाए ताकि वे समाज के लिए अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें. विक्रांत का कोई फिल्मी गॉडफादर नहीं है और वह अपनी मेहनत से अपनी जगह बनाने में सफल हुए हैं. टीवी सीरियल, वेब सीरीज के रास्ते वह धीरे-धीरे बड़े परदे पर अपनी छाप छोड़ने में सफल हुए हैं और पिछली फिल्म “12वीं फेल” में उनको काफी सराहा गया था.
कई बार पब्लिसिटी-स्टंट के तौर पर भी सितारे ऐसा काम कर सकते हैं, लेकिन विक्रांत की अभी कोई फिल्म न तो रिलीज होनेवाली है, न ऐसी कोई अहम घोषणा ही हुई है. उनको जितने विवादों का सामना करना था, वह उन्होंने साबरमती रिपोर्ट के दौरान ही कर लिया. उन पर सवाल दागे गए, वह सफाई देते-देते परेशान रहे और लोगों को अपने सेकुलर होने का यकीन दिलाते रहे, यहां तक कि अपने परिवार के अंतर्धार्मिक और अंतरराज्यीय संबंधों का भी उन्होंने हवाला दिया.
एक कलाकार का मन तो संवेदनशील होता ही है. जब उन्होंने देखा कि उनकी काफी ट्रोलिंग हो रही है और वह अपने मन की थोड़ी सी करने की वजह से किस तरह विवादों में घिर गए हैं, तो उसके बाद जाहिर तौर पर उन्होंने अपने करियर और अपनी चॉयसेज को लेकर सोचा होगा. जैसा कि कुछ लोग उनकी तुलना मरहूम सुशांत से कर रहे हैं, तो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में हमेशा ही कई तरह के स्टीरियोटाइप और रहस्यों का धुंधलका छाया रहा है. मैसी का फैसला व्यक्तिगत है और हमें उसकी इज्जत करनी ही होगी, लेकिन यह उम्मीद भी हम कर रहे हैं कि इस फैसले के पीछे कोई दूसरी या “राजनीतिक” वजह न हो. या फिर, मैसी सही वक्त पर संन्यास लेकर अपने युवा प्रशंसकों को संदेश देना चाह रहे हैं कि रिटायरमेंट तो शीर्ष पर ही लेनी चाहिए. विक्रांत वैसे भी कभी शाहरुख खान या सलमान-अजय-अक्षय की जमात में नहीं शामिल हो सकते हैं. वह एक्टर हैं औऱ इस वक्त अपने उरूज पर हैं, शायद वो यही कहना चाहते हैं कि खेलो तो ऐसा कि दुनिया देखे और छोड़ो तो ऐसा कि दुनिया चौंके!
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