महाराष्ट्र चुनाव में धांधली का अंदेशा क्यों ?
महाराष्ट्र चुनाव में धांधली का अंदेशा क्यों, कांग्रेस के दावों में कितना दम
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद EVM, वोटों की संख्या, पोस्टल बैलट्स और वोटों में अंतर को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से कांग्रेस लगातार अपनी हार का ठीकरा चुनाव प्रक्रिया और ईवीएम पर फोड़ रही है. हाल ही में महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले, राज्य प्रभारी रमेश चेन्निथला और पार्टी महासचिव मुकुल वासनिक ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर विधानसभा चुनाव में वोटिंग और गिनती से जुड़े कुछ गंभीर गड़बड़ियों की शिकायत की है.
दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए 20 नवंबर को वोटिंग हुई थी. 23 नवंबर को आए नतीजों में कांग्रेस के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी (MVA) को हार का सामना करना पड़ा. MVA केवल 46 सीटें ही जीत सका, जिनमें कांग्रेस को 16, शिवसेना (UBT) को 20 और शरद पवार की NCP को 10 सीटें मिलीं. वहीं, बीजेपी-निर्देशित महायुति ने शानदार जीत हासिल की और 230 सीटें जीतीं. इसमें बीजेपी ने रिकॉर्ड 132 सीटें हासिल की, जिसमें शिवसेना को 57 सीटें मिलीं और अजित पवार के नेतृत्व वाली NCP को 41 सीटें मिलीं.
चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस ने ईवीएम में धांधली का आरोप लगाया और कागज के बैलेट से चुनाव कराने की मांग की है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक में यही आरोप लगाए.
कांग्रेस ने धांधली के क्या-क्या आरोप लगाए
महाराष्ट्र कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि जुलाई से नवंबर के बीच वोटर लिस्ट में 47 लाख नए वोटर जुड़ गए और ये सब सत्ताधारी पार्टी को फायदा पहुंचाने के लिए हुआ है. चिट्ठी में चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि उन्हें इस बारे में सफाई देनी चाहिए और लोगों को बताना चाहिए कि ये कैसे हुआ. इस मामले में जल्दी से जल्दी सुनवाई करने की भी मांग की गई है.
पार्टी ने ये भी आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में बिना किसी जांच-पड़ताल के वोटर लिस्ट से नाम हटाए गए और नए नाम जोड़े गए. जिन 50 विधानसभा क्षेत्रों में 50,000 से ज्यादा नए वोटर जुड़े, उनमें से 47 में सत्ताधारी पार्टी और उसके साथियों ने जीत हासिल की. साथ ही 17 अक्टूबर 2024 को धाराशिव साइबर पुलिस स्टेशन में दर्ज एक एफआईआर की कॉपी भी चिट्ठी के साथ लगाई गई है, जिसमें ढेर सारे फर्जी वोटर रजिस्ट्रेशन की बात कही गई है.
‘मतदान के आखिरी घंटे में 70 लाख वोट डालना असंभव’
कांग्रेस का कहना है कि मतदान के आखिरी घंटे में 70 लाख से ज्यादा वोट डालना न केवल असंभव है, बल्कि यह चुनावी इतिहास में कभी नहीं हुआ. कांग्रेस ने पत्र में यह भी बताया कि यदि हम मान लें कि एक व्यक्ति को वोट डालने में दो मिनट लगते हैं, तो भी यह असंभव है कि 76 लाख मतदाता आखिरी घंटे में मतदान कर पाएं और आयोग ने 11.30 बजे तक अंतिम आंकड़े जारी किए.
कांग्रेस का कहना है कि अगर 76 लाख वोटरों ने एक ही घंटे में मतदान किया, तो यह आंकड़ा कैसे सही हो सकता है और आयोग ने कैसे इतनी जल्दी अंतिम डेटा जारी कर दिया. पार्टी का दावा है कि यह सब असंभव है और इसके पीछे कुछ गड़बड़ हो सकती है.
क्या वोटर लिस्ट से पुराने नाम हटाए गए और नए नाम जोड़े गए?
महाराष्ट्र में मतदाताओं के नाम जोड़ने और हटाने के बारे में कांग्रेस की ओर से लगाए गए आरोप पर चुनाव आयोग ने जवाब दिया है. आयोग के अनुसार, चुनावी सूची हमेशा सभी राजनीतिक पार्टियों की भागीदारी से तैयार की जाती है, जिसमें कांग्रेस भी शामिल है.
चुनाव आयोग ने बताया कि चुनावी सूची का ड्राफ्ट सभी पार्टियों को दिया जाता है और सूची की जांच प्रक्रिया में सभी पार्टियों का हर कदम पर शामिल होना जरूरी होता है. आयोग ने यह भी कहा कि कांग्रेस की ओर से उठाए गए मुद्दों की पूरी जांच की जाएगी और इसके नतीजे कांग्रेस को बताए जाएंगे.
आखिर वोटर लिस्ट में इतने सारे नाम कैसे जुड़ गए?
एनसीपी (सपा) नेता रोहित पवार ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए और मतदान प्रतिशत में वृद्धि का हवाला दिया. पवार ने कहा, “मतदान प्रतिशत में बड़ी वृद्धि हुई है. लोकसभा चुनाव की तुलना में विधानसभा चुनाव में 76 लाख ज्यादा लोगों ने वोट डाले हैं.” ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर वोटर लिस्ट में इतने सारे नाम कैसे जुड़ गए?
लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मतदाताओं की संख्या में अंतर:
- लोकसभा चुनाव में: 9.28 करोड़ मतदाता, 5.69 करोड़ मतदान
- विधानसभा चुनाव में: 9.77 करोड़ मतदाता, 6.45 करोड़ मतदान
महाराष्ट्र के एडिशनल चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर किरण कुलकर्णी ने सीएनबीसी टीवी18 से बातचीत में इस सवाल का जवाब दिया. उन्होंने बताया, वोटर लिस्ट को अपडेट करना एक आम बात है, जो फॉर्म 6, 7 और 8 के ज़रिए होता रहता है. इस साल लोकसभा और विधानसभा चुनाव होने की वजह से ये काम दो बार किया गया. फॉर्म 6 पहली बार वोट करने वालों के लिए होता है, फॉर्म 7 वोटर लिस्ट से नाम हटाने के लिए होता है और फॉर्म 8 वोटर के चुनाव क्षेत्र में बदलाव करने के लिए होता है.
जब उनसे पूछा गया कि लोकसभा चुनाव के मुकाबले विधानसभा चुनाव में 76 लाख ज्यादा वोट कैसे पड़ गए, तो किरण कुलकर्णी ने बताया कि विधानसभा चुनाव में वोटिंग प्रतिशत 6% बढ़ गया था. साथ ही, चुनाव आयोग ने लोगों को वोट डालने के लिए जागरूक करने के लिए कई अभियान चलाए थे और राजनीतिक दलों ने भी लोगों से वोट डालने की अपील की थी. मतलब चुनाव आयोग का कहना है कि सबकुछ नियमों के हिसाब से हुआ है.
क्या वोटिंग के बाद वोट प्रतिशत से छेड़छाड़ की जा सकती है?
कांग्रेस के आरोप पर चुनाव आयोग ने कहा कि हर पोलिंग बूथ पर कितने वोट डाले गए थे, यह जानकारी पोलिंग स्टेशन छोड़ने से पहले प्रेसीडिंग ऑफिसर ने उम्मीदवारों के अधिकृत एजेंट्स (फॉर्म 17 C पार्ट 1) को दी थी. यह आंकड़ा बदला नहीं जा सकता और यह अंतिम मतदान प्रतिशत में शामिल होता है, जिसे सभी राजनीतिक पार्टियां और उम्मीदवार सत्यापित कर सकते हैं.
चुनाव आयोग चुनावी प्रक्रिया के लिए राज्य सरकार के अलग-अलग विभागों से कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी पर लगाता है. मतदान समाप्ति के समय प्रेसीडिंग ऑफिसर को कई कानूनी जिम्मेदारियां निभानी होती हैं जैसे कि जरूरी फॉर्म भरना, अपनी डायरी में हर छोटी-बड़ी बात रिकॉर्ड रखना और मशीनों को सील करना. इन सभी कामों के बाद पोलिंग स्टेशन को बंद किया जाता है.
शाम 5 बजे से 6 बजे के बीच मतदाताओं की संख्या में अचानक कैसे बढ़ी?
मुख्य चुनाव अधिकारी एस चोकलिंगम ने द हिंदू को बताया, इसमें कोई अचानक बढ़ोतरी नहीं हुई है. जहां तक 5 बजे के आंकड़े की बात है, इसे झारखंड से तुलना की जा रही है, जहां मतदान जल्दी खत्म हो जाता है और लोग आमतौर पर दिन में पहले मतदान करना पसंद करते हैं. महाराष्ट्र एक बड़ा राज्य है जहां करीब 1 लाख पोलिंग बूथ थे. यह कहा जा रहा है कि शाम 5 बजे से 6 बजे के बीच 76 लाख लोगों ने मतदान किया.
इसका मतलब है औसतन हर बूथ पर 76 लोग मतदान कर रहे थे. अगर आप पूरे दिन के मतदाताओं की संख्या देखें, तो हर घंटे औसतन 60-70 लोग मतदान करते हैं. यह एक आम बात है, इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं है. अगर हम इसे 2019 विधानसभा से तुलना करें, तब भी ऐसा ही हुआ था. महाराष्ट्र में अधिक शहरीकरण के कारण लोग शाम के समय मतदान करना पसंद करते हैं.
क्या चुनाव आयोग ने कांग्रेस के किसी आरोप को स्वीकार किया?
चुनाव आयोग ने कांग्रेस के आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है. आयोग ने कहा है कि वोटर्स लिस्ट बनाने में पूर्ण पारदर्शिता बरती गई है. सभी राजनीतिक दलों को प्रक्रिया में शामिल किया गया है और कोई भी अनियमितता नहीं की गई है.
फिर भी आयोग ने एक रणनीतिक कदम उठाते हुए कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल को 3 दिसंबर 2024 को बातचीत के लिए बुलाया है. आयोग ने विवाद को शांतिपूर्वक सुलझाने की कोशिश करते हुए अपनी स्थिति स्पष्ट करने का अवसर दिया है.
कांग्रेस के आरोपों में कितना दम है, यह एक बड़ा सवाल है. चुनाव आयोग ने बार-बार कहा कि ईवीएम का सिस्टम पूरी तरह से सुरक्षित है और इसमें किसी भी तरह की धांधली की संभावना नहीं है. हालांकि, कांग्रेस के दावे और उनके आशंकाएं आमतौर पर चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर उठती रही हैं.