उमर अब्दुल्ला बने CM, लेकिन LG के पास रहेंगी ये 10 अहम शक्तियां !

उमर अब्दुल्ला बने CM, लेकिन LG के पास रहेंगी ये 10 अहम शक्तियां

जम्मू कश्मीर को अपना मुख्यमंत्री मिल गया है. उमर अब्दुल्ला ने आज 5 मंत्रियों के साथ पद और गोपनीयता की शपथ ली. लेकिन अब भी प्रदेश की अधिकतर अहम ताकतें उपराज्यपाल ही के पास होंगी. खासकर, 12 जुलाई के केंद्र के नोटिफिकेशन के बाद एलजी ही के हिसाब से नई सरकार चलेगी. आइये जानें कैंसे.

उमर अब्दुल्ला बने CM, लेकिन LG के पास रहेंगी ये 10 अहम शक्तियां

उमर अब्दुल्ला और मनोज सिन्हा

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर को आज अपना पहला मुख्यमंत्री मिल गया. उमर अब्दुल्ला ने पांच कैबिनेट मंत्रियों के साथ आज शपथ ली. जम्मू कश्मीर चुनावी नतीजों में नेशनल कांफ्रेंस को 42, कांग्रेस को 6 और गठबंधन में शामिल रही सीपीएम को एक सीट हासिल हुआ था. पर बाद में आम आदमी पार्टी के इकलौते विधायक और 5 निर्दलीय विधायकों के भी समर्थन मिल जाने से नेशनल कांफ्रेंस बहुमत के लिए जरुरी संख्या से काफी अधिक विधायकों के साथ सरकार बना ले गई

उमर अब्दुल्ला आज मुख्यमंत्री जरूर बन गए लेकिन जम्मू कश्मीर शासन-प्रशासन की अहम शक्तियां अब भी उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के ही पास होंगी. दरअसल, इसी साल 12 जुलाई को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने विधानसभा चुनाव से ऐन पहले उपराज्यपाल की शक्तियों में बेहिसाब बढ़ोतरी कर दी थी. एक झटके में केंद्र ने राज्य के पुलिस, पब्लिक ऑर्डर से लेकर जमीन तक के मामले एलजी को दे दिए.

आइये एक नजर उन शक्तियों पर डालें जो अब भी उपराज्यपाल के नियंत्रण में होंगी …

पहलाा – केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में की वरिष्ठ नौकरशाही से लेकर अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के कामकाज में अंतिम निर्णय एलजी का ही होगा.

दूसरा – नए नियमों के तहत भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एंटी करप्शन ब्यूरो – एसीबी), लोक अभियोजन निदेशालय, जेल और जम्मू-कश्मीर फोरेंसिक विभाग भी एलजी ही के नियंत्रण में होगा.

तीसरा – राज्य सरकार की पैरवी अलग-अलग अदालतों में करने वाले एडवोकेट जनरल (महाधिवक्ता) और दूसरे कानून के अधिकारियों की नियुक्ति पर भी आखिरी मुहर जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल का ही होगा.

चौथा – कोई अपील दायर करने, मुकदमे को चलाने की इजाजत देने या फिर उस पर रोक लगाने से पहले केंद्र सरकार को उपराज्यपाल की अनुमति लेनी होगी.

पांचवा – उपराज्यपाल की शक्तियाँ व्यापक हैं. एलजी के पास पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि जैसे प्रमुख चीजों का नियंत्रण होगा. जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की धारा 53 के तहत, एलजी निर्वाचित विधानसभा के दायरे से बाहर के मामलों पर अपने विवेक से काम करेंगे.

छठा – एलजी जब विधानसभा का सत्र न चल रहा हो तो अध्यादेश भी जारी कर सकते हैं. इस तरह उनको विधायी शक्तियां भी दे दी गई हैं. साथ ही, सभी वित्तीय कानूनों को विधानसभा में पेश किए जाने से पहले एलजी की सिफारिश की जरुरत पड़ेगी.

सातवां – एलजी के पास बजटीय आवंटन और सरकार के खर्च से जुड़ी चीजों पर भी अंतिम अधिकार होगा. हालांकि, एलजी के व्यापक अधिकार के बावजूद, जम्मू कश्मीर की निर्वाचित मंत्रिपरिषद शासन में सहयोग की भूमिका निभाएगी.

आठवां – जहां तक जम्मू कश्मीर विधानसभा की विधायी शक्तियों का सवाल है, वह अपने आप में काफी महत्त्वपूर्ण है लेकिन किसी भी बिल पर सहमति या फिर उसे रोकने या राष्ट्रपति को विचार के लिए भेजने का अधिकार एलजी का होगा. ये जरुर है कि विधानसभा वित्तीय मामलों पर बहस और वोटिंग कर सकती है पर सभी अनुदान एलजी की मंजूरी के लिए उनके सामने रखने होंगे.

नौवां – जम्मू कश्मीर सरकार में मंत्रिपरिषद का कार्यकाल, मंत्रियों का वेतन और भत्ता एलजी इच्छा पर निर्भर करेगा.

दसवां – जम्मू कश्मीर में मंत्रियों का वेतन कानून की ओर से निर्धारित किए जाएंगे. लेकिन यह तब होगा जब विधानसभा इस सिलसिले में कानून नहीं बना देती. जब तक ऐसा नहीं होता, एलजी के पास उनके पारिश्रमिक को तय करने का अधिकार होगा.

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