कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं की आसान नहीं राह ?

कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं की आसान नहीं राह, निर्मला सप्रे की एंट्री रुकी
विधानसभा और लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस, बसपा और अन्य दलों से आए नेताओं ने कई हफ्तों से प्रदेश की भाजपा सरकार और संगठन की मुश्किलें बढ़ाई हुई हैं।
MP Politics: कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं की आसान नहीं राह, निर्मला सप्रे की एंट्री रुकीकमलेश शाह और निर्मला सप्रे।
  1. कांग्रेस से आकर भाजपा की मुसीबत बढ़ा रहे कई विधायक।
  2. कमलेश शाह को मंत्री बनाने का मामला भी खटाई में गया।
  3. एमपी के बीना से विधायक निर्मला सप्रे अधर में फंस गई हैं।

भोपाल(MP Politics)। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए नेताओं की राह अब मध्य प्रदेश में आसान नहीं दिख रही। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए रामनिवास रावत को तो मंत्री पद मिल गया लेकिन छिंदवाड़ा के अमरवाड़ा से विधायक कमलेश शाह मंत्री नहीं बन पाए।

कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में लोकसभा चुनाव में भाजपा को जीत दिलवाने में कमलेश शाह की अहम भूमिका रही है। कमलेश शाह ने कांग्रेस छोड़ने के साथ विधानसभा से त्यागपत्र भी दिया था। उपचुनाव में जीत के बाद उन्हें मंत्री बनाया जाना भी तय माना जा रहा था।

कमलेश शाह को दिया था मंत्री पद का आश्वासन

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पार्टी आदिवासी वर्ग से आने वाले कमलेश शाह को मंत्री पद का आश्वासन देकर ही भाजपा में लाई थी। छिंदवाड़ा जिले की सात विधानसभा सीटों में कमलेश शाह के आने से पहले भाजपा का कोई विधायक नहीं था, इसी कारण जिले से कोई मंत्री नहीं है। अब कांग्रेस से आए नेताओं को मिल रहे पुरस्कारों से भाजपा में बढ़ रहे असंतोष को देखकर कमलेश शाह का मामला ठंडे बस्ते में चला गया है।

निर्मला सप्रे अधर में फंसी

इधर, बीना से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे की भाजपा में एंट्री भी खटाई में पड़ गई है। भाजपा की हरी झंडी न मिलने से उन्होंने विधानसभा से त्यागपत्र नहीं दिया था। अब वह अधर में फंस गई हैं।

कांग्रेस ने भी निर्मला सप्रे के विरुद्ध विधानसभा से लेकर उनके क्षेत्र तक में मोर्चा खोला हुआ है। कांग्रेस उनकी विधानसभा से सदस्यता खत्म करने के लिए अड़ी है। गुरुवार को बीना में कांग्रेस ने निर्मला सप्रे के विरुद्ध प्रदर्शन भी किया।

रावत अब उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी होंगे

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रामनिवास रावत वर्ष 2023 में विजयपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने थे। रावत ने विधायक पद तब छोड़ा था, जब उन्हें मंत्री पद की शपथ दिलाए जाना तय हो गया था। अब रावत भाजपा के टिकट पर विजयपुर विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव का सामना करेंगे।

सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया

सागर जिले की देवरी सीट से विधायक बृजबिहारी पटेरिया भी कांग्रेस से आए थे। हाल ही में विधानसभा से त्यागपत्र देने का पत्र इंटरनेट मीडिया में वायरल करके भाजपा के सामने मुसीबत खड़ी कर दी। बसपा से भाजपा में आए मऊगंज के विधायक प्रदीप पटेल ने कानून-व्यवस्था का मुद्दा उठाकर एएसपी के सामने दंडवत होकर वीडियो इंटरनेट पर प्रसारित कर सरकार को ही कठघरे में खड़ा कर दिया।

मोहन कैबिनेट में भी कांग्रेस से आए नेताओं का अच्छा प्रभाव

कांग्रेस से आए नेताओं का डॉ. मोहन यादव की कैबिनेट में भी दबदबा है। इनमें इंदौर से तुलसी सिलावट जल संसाधन मंत्री हैं। ग्वालियर से प्रद्युम्न सिंह तोमर ऊर्जा मंत्री हैं। सागर जिले से गोविंद सिंह राजपूत खाद्य नागरिक आपूर्ति उपभोक्ता संरक्षण मंत्री है।

मुरैना से एदल सिंह कंषाना कृषि मंत्री है। कंषाना को छोड़कर बाकी सभी तत्कालीन शिवराज सरकार में भी मंत्री रहे हैं। इनके अलावा छह बार के कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत को वन एवं पर्यावरण मंत्री बनाया गया है। वहीं, उदय प्रताप सिंह भी कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए थे। अब मोहन कैबिनेट में परिवहन एवं स्कूल शिक्षा मंत्री हैं। कैबिनेट में अभी तीन पद खाली हैं।

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