नाबालिगों को हथियार बनाकर शातिर बदमाश करा रहे अपराध !
शहर के कुख्यात अपराधी नाबालिगाें को अपनी गैंग में शामिल कर रहे हैं और उन्हें हथियारों का सौदागर बना रहे हैं। नाबालिग भी कुख्यात अपराधियों की नकली जिंदगी देखकर हो रहे हैं प्रभावित। शहर के अपराधियों ने नाबालिगों के ग्रुप तैयार कर उन्हें अपराध के दलदल में खींच रहे हैं।
इंटरनेट मीडिया पर बाक्सर ग्रुप ग्वालियर बनाकर अपलोड की गई नाबालिग बदमाशों की हथियारों के साथ तस्वीर।
- संगठित तरीके से अपराध करा रहे कुख्यात बदमाशों पर लगाम जरूरी
- कुख्यात अपराधी नाबालिगों को धकेल रहे हैं अपराध के दलदल में
- अपराधियों की नकली जिंदगी से प्रभावित हो रहे हैं नाबालिग
ग्वालियर। ग्वालियर का भविष्य खतरे में है..क्योंकि 16 से 20 साल के बीच की युवा पीढ़ी का जोश, जुनून अब कुख्यात अपराधियों के हाथ में है। शहर में हत्या, हत्या का प्रयास, चौथ वसूली, अवैध हथियारों की सौदागरी जैसे खतरनाक अपराध करने वाले कुख्यात अपराधी अब नाबालिगों को अपराध के दलदल में धकेलकर इन्हें हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। चंद हजार रुपये में जान का सौदा हो रहा है। अपराधियों की नकली जिंदगी से प्रभावित होकर युवा अपराध की राह पकड़ रहा है। ऐसे एक नहीं बल्कि शहर में कई गैंग बन गए हैं।
मुनेंद्र तोमर उर्फ मोनू तोमर उर्फ होका
परानी छावनी में हाल ही में गोलीबारी की। बानमोर में डा.अनिल वर्मा को गोली मारने के पीछे इसकी भूमिका सामने आई। इसका पूरा नेटवर्क पुरानी छावनी, हजीरा, बानमोर, रायरू, नूराबाद आपरेट होता है। कम उम्र के कई शूटर हैं। नाबालिगों से हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण जैसे सनसनीखेज अपराध कराता है। नाबालिगों पर रुपया खर्च करता है, जमानत कराता है, अवैध हथियार देता है।
मुरार के बानमोर, मोहनपुर का गुंडा। नाबालिग था, तब से बड़ागांव के भू-माफिया के संपर्क में आया। शिवपुरी लिंक रोड पर गोलियां चलवाकर भू-माफिया को करोड़ों की जमीन कौड़ियों में दिलाई। अब खुद की गैंग तैयार कर ली है। हत्या और हत्या के प्रयास में जेल में बंद था। जिलाबदर हो चुका है, फिर भी शहर में घूमता है। लक्जरी गाड़ियों में अपने नाबालिग साथियों के साथ घूमता है। यह भू-माफिया और राजनीतिक रसूखदारों के संरक्षण में अपना गैंग आपरेट करता है। पुलिस को खुली चुनौती देकर थाने के सामने से जेल से छूटने के बाद काफिला निकाला था, लेकिन पुलिस अब तक इसे पकड़ नहीं सकी। अमन यादव: इस पर भी कई आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं। चुनाव से पहले इसे जिलाबदर किया गया था, लेकिन जिलाबदर अवधि में भी अपने घर पर रहा। पुलिस को कई बार सूचना मिली, लेकिन सूत्र बताते हैं- पुलिस के पहुंचने से पहले ही इस तक खबर पहुंच जाती है।
यह कुख्यात अपराधी पकड़े गए, फिर भी चला रहे गैंग
- राहुल दूधिया।
- रिंकू कमरिया।
- लालू कमरिया।
- विक्रम राणा।
नया कानून तोड़ सकता है कमर
भारतीय न्याय संहिता में इस तरह के अपराधियों की कमर तोड़ने के लिए नए कानून में प्रविधान होने के बाद भी संगठित अपराध की धारा में इन पर एफआइआर नहीं हुई है। अपराधी पहले फटेहाल में रहते हैं, अपराध का रास्ता पकड़ते ही लाखों रुपया इनके पास आ जाता है। अपराध से अर्जित संपत्ति राजसात हो सकती है।
सीधी बात
सवाल: शहर में कुख्यात अपराधी नाबालिगों का इस्तेमाल अपराध में कर रहे हैं?
जवाब: कुछ अपराधी नाबालिग होते हैं। इस तरह के गैंग ही संचालित हो रहे हैं, ऐसा नहीं है।
सवाल: गैंग संगठित तरीके से अपराध करा रहे हैं, नए कानून में प्रविधान है, कार्रवाई नहीं होती?
जवाब: दो व्यक्तियों के गोली चलाने की घटना संगठित अपराध नहीं हो सकती। अगर संगठित तरीके से कोई गैंग चल रही है तो बिल्कुल कार्रवाई होगी। कुछ एफआइआर हुई भी हैं।
सवाल: अपराधियों पर सख्ती होती है तो कोई राजनीतिक दबाव आता है क्या?
जवाब: अपराधियों का साथ कोई नहीं देता, अपराधी को उसी की भाषा में समझाते हैं।
धर्मवीर सिंह, एसपी