ग्वालियर : नगर निगम-स्मार्ट सिटी का टकराव भोपाल पहुंचा ?
- ग्वालियर में आइएएस के बीच सीनियर जूनियर का खेल पुरानी परंपरा बन रहा
- निगम परिषद में स्मार्ट सिटी के सभी कामों की ईडी से जांच कराने का ठहराव किया है
- पीडीएमसी की जांच में निगम अफसरों को शामिल करने पर स्मार्ट सिटी सीइओ ने लिखा पत्र
ग्वालियर। ग्वालियर में स्मार्ट सिटी व नगर निगम का टकराव अब भोपाल तक पहुंच गया है। स्मार्ट सिटी कंपनी की पीडीएमसी कंपनी के कर्मचारियों के वेतन भुगतान की जांच को लेकर नगर निगम आयुक्त की समिति पर स्मार्ट सिटी सीइओ ने आपत्ति जताई है।
पत्र में शासन से मार्गदर्शन भी मांगा गया है। वहीं प्रशासनिक गलियारों में इन दिनों स्मार्ट सिटी सीइओ व नगर निगम आयुक्त की खींचतान चर्चा में भी है। बता दें कि हाल ही में नगर निगम की परिषद में स्मार्ट सिटी की स्ट्रीट लाइट से लेकर सभी कामों की जांच को लेकर ईडी से जांच कराने का ठहराव किया गया है।
पिछले दिनों से लगातार स्मार्ट सिटी की स्ट्रीट लाइट को लेकर पार्षद भी हंगामा कर रहे हैं। परिषद में भी स्मार्ट सिटी सीइओ को बुलाने की मांग पार्षदों ने की थी। यहीं से नगर निगम और स्मार्ट सिटी के बीच खींचतान भी सामने आई।
यह है पर्दे के पीछे का मामला
कलेक्टर के बाद जिले में सीनियर आइएएस स्मार्ट सिटी सीइओ नीतू माथुर के सामने जूनियर बैच के आइएएस नगर निगम कमिश्नर अमन वैष्णव (स्मार्ट सिटी में कार्यकारी निदेशक) हैं जोकि स्मार्ट सिटी सीइओ के बास भी हैं, असल मुद्दा यहीं से शुरू है। निगम परिषद स्मार्ट सिटी की स्ट्रीट लाइटों से लेकर पूरे कामों की जांच ईडी से कराने का ठहराव कर चुकी है।
उन्हें पार्षदों ने बुलाने की मांग की थी लेकिन यह पूरी नहीं हुई। 2016 बैच की आइएएस नीतू माथुर के सामने 2018 बैच के नगर निगम कमिश्नर को शासन ने पदस्थ किया है। चर्चा है कि इगो समस्या के कारण पूरा झंझट है। अब ऐसे में जूनियर बैच के युवा अधिकारी के सामने सीनियर अधिकारी की रिपोर्टिंग है इसलिए दोनों अफसरों के बीच एक अदृश्य दूरी बनी हुई है।
तालमेल न होने से शहर के बड़े प्रोजेक्टों पर पड़ रहा है प्रभाव
स्मार्ट सिटी और नगर निगम का तालमेल सबसे बेहतर होना जरूरी है, जो फिलहाल नहीं है। यही कारण है कि स्ट्रीट लाइट का मामला हो या शहर के बड़े प्रोजेक्ट यह पूरी रफ्तार से नहीं दौड़ रहे हैं। स्मार्ट सिटी शहर की रूपरेखा में अहम इकाई है।
गोरखी अंडरग्राउंड पार्किंग हो या सफाई की शिकायतों की मानीटरिंग, कमांड सेंटर से लेकर आइटीएमएस-कैमरों से निगरानी जनता के लिए महत्वपूर्ण है, इसीलिए दोनों एजेंसियों के मुखिया का आपसी तालमेल जरूरी है। इससे पहले 2015 बैच के आइएएस हर्ष सिंह निगमायुक्त थे। आइएएस नीतू माथुर मई 2022 से सीइओ हैं, तत्कालीन सीइओ जयति सिंह बैच 2016 के प्रसूति अवकाश पर जाने के कारण उन्हें शासन ने यह जिम्मा दिया।
ऐसे चला मामला जो टकराव तक पहुंचा
- नगर निगम की परिषद में पार्षदों की ओर से स्ट्रीट लाइट के मुददे पर हंगामा किया और बताया कि पूरे शहर में स्ट्रीट लाइटों का बुरा हाल है। स्मार्ट सिटी काम नहीं करा पा रही है।
- परिषद में स्मार्ट सिटी सीइओ नीतू माथुर को बुलाने की मांग की गई, लेकिन यह मांग पूरी नहीं हो सकी।
- नगर निगम आयुक्त की ओर से स्मार्ट सिटी की पीडीएमसी कंपनी के स्टाफ के वेतन भुगतान की जांच के लिए समिति बनाई गई। यह समिति नौ अक्टूबर को बनाई गई थी।
- इसी समिति के बनने के बाद जब जांच शुरू हुई तो स्मार्ट सिटी सीइओ ने आपत्ति की और नगरीय प्रशासन आयुक्त को पत्र लिखा।
अधिकारियों में तालमेल जरूरी, जिससे विकास कार्यों पर प्रभाव न पड़े अधिकारियों के बीच तालमेल सबसे ज्यादा जरूरी है। इसका प्रभाव विकास कार्यों पर पड़ता है। स्मार्ट सिटी व नगर निगम के बीच प्रोजेक्ट सहित जनता से जुड़े कई कार्य व मानीटरिंग शामिल है, सीनियर-जूनियर का भाव छोड़ अपने कर्तव्य को करना चाहिए। मैं अभी बाहर हूं, आते ही चर्चा की जाएगी।
सांसद, ग्वालियर