अखिल भारतीय सेवा के अफसर व केंद्रीय कर्मी हो जाएं सावधान … शिकायत मिली तो 90 दिन में होगा एक्शन

DOPT: अखिल भारतीय सेवा के अफसर व केंद्रीय कर्मी हो जाएं सावधान, शिकायत मिली तो 90 दिन में होगा एक्शन
DOPT:  डीओपीटी द्वारा पिछले दिनों जारी एक पत्र में कहा गया है कि ऐसी गुमनाम शिकायतों पर एक्शन लेने की कोई जरुरत नहीं है, जिन पर नाम व पता नहीं लिखा होगा। ऐसे आरोपों वाली शिकायतों को सामान्य तरीके से फाइल कर दें।

All India Service officers central employees if complaint received then action will be taken within 90 days
डीओपीटी …
भारत सरकार में अगर सचिव या उसके समकक्ष किसी अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस शिकायत मिलती है तो उसकी जाँच होगी। ऐसे मामलों में कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाला समूह यानी ‘ग्रुप ऑफ सेक्रेटरी’ कार्रवाई करेगा। डीओपीटी द्वारा पिछले दिनों जारी एक पत्र में कहा गया है कि ऐसी गुमनाम शिकायतों पर एक्शन लेने की कोई जरुरत नहीं है, जिन पर नाम व पता नहीं लिखा होगा। ऐसे आरोपों वाली शिकायतों को सामान्य तरीके से फाइल कर दें। किसी शिकायत में लगाए गए आरोप अस्पष्ट हैं तो उसे शिकायत कर्ता की पहचान किए बिना ही समाप्त किया जा सकता है। अखिल भारतीय सेवा व केंद्रीय कर्मियों के ख़िलाफ अगर शिकायत मिली तो वे 90 दिन के अंदर नपने के लिए तैयार रहें। 

गुमनाम शिकायत के लिए होगी यह प्रक्रिया …
बेनाम शिकायतों से परे अगर कोई ऐसी शिकायत है, जिसमें लगाए गए आरोप, निरीक्षण/जांच करने लायक हैं तो उस पर आगे बढ़ा जा सकता है। संबंधित मंत्रालय या विभाग का सीवीओ, सक्षम प्राधिकारी की इजाजत से उस शिकायत पर संज्ञान ले सकता है। बाकी दूसरी ऐसी शिकायतें, जिनकी नेचर नॉन विजिलेंस मैटर वाली है, उन पर संबंधित मंत्रालय या विभाग का ज्वाइंट सेक्रेटरी/एडीशनल सेक्रेटरी संज्ञान ले सकता है। विजिलेंस और नॉन विजिलेंस नेचर वाली शिकायतें और ऐसी शिकायतें जो ईमेल के माध्यम से प्राप्त हुई हैं, उसकी सामग्री की सत्यता की पुष्टि के लिए संबंधित मंत्रालय/विभाग, शिकायतकर्ता के पास स्पीड पोस्ट के जरिए पत्र भेजेगा।

रिस्पांस मिलने के लिए 15 दिन तक इंतजार …
शिकायतकर्ता की ओर से रिस्पांस मिलने का 15 दिन तक इंतजार किया जाएगा। अगर इस अवधि में शिकायतकर्ता, कोई रिस्पांस नहीं देता है तो उसे रिमाइंडर भेजना होगा। रिमाइंडर के जवाब के लिए भी 15 दिन का इंतजार करना चाहिए। इसके बाद भी कोई जवाब नहीं मिलता है तो उस शिकायत को छद्म नाम से आई शिकायत मानकर फाइल कर देना है। शिकायत को फाइल करना है या उसे जांच के लिए आगे बढ़ाना है, संबंधित मंत्रालय/विभाग द्वारा यह निर्णय तीन माह के भीतर लिया जाना है। इसके बाद शिकायत की प्रारंभिक जांच या इन्क्वायरी, जो भी होगा, यह निर्णय सक्षम प्राधिकारी द्वारा लिया जाएगा। मंत्रालय/विभाग द्वारा जब एक बार शिकायत चाहे वह विजिलेंस मैटर या नॉन विजिलेंस मैटर की हो, उसकी जांच का निर्णय लिया जाता है तो 15 दिन के भीतर उस अधिकारी के पास शिकायत की प्रति भेजी जाए, जिसके खिलाफ जांच की जानी है। 

पेरा 5 व पेरा 6 के तहत होगी कार्रवाई … 
केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों को मिलनी वाली ऐसी शिकायतें, जिनका संबंध  अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों या केंद्र सरकार के कर्मचारियों से है और वे राज्य सरकारों से जुड़े मामले देख रहे हैं, इस स्थिति में उस शिकायत को संबंधित राज्य सरकार के पास भेजा जाएगा। राज्य सरकार पेरा 5 व पेरा 6 के तहत उस शिकायत पर कार्रवाई कर सकती है। राज्य सरकार जब उस अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ मिली शिकायत की जांच करने के निर्णय पर पहुंचती है तो 15 दिन के भीतर शिकायत की कॉपी, उस अधिकारी या कर्मचारी के पास पहुंचनी चाहिए, जिसके खिलाफ जांच की जानी है। 

तीन माह के भीतर देनी होगी जांच रिपोर्ट … 
शिकायत मिलने के बाद जब मंत्रालय या विभाग ये तय कर लेता है कि अब मामले की जांच की जाएगी तो यह प्रक्रिया तीन माह में पूरी करनी होगी। इसके लिए सभी मंत्रालयों और विभागों में रिव्यू कमेटी गठित की जाएगी। एडीशनल सेक्रेटरी रैंक का अधिकारी, रिव्यू कमेटी को हेड करेगा। संबंधित मंत्रालय का सीवीओ और ज्वाइंट सेक्रेटरी/एडीशनल सेक्रेटरी इन चार्ज, कमेटी में बतौर सदस्य शामिल होंगे। रिव्यू कमेटी मासिक बैठक कर उन सभी शिकायतों को निपटाने का प्रयास करेगी, जिनमें दो माह बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। पेरा 8 के तहत राज्य सरकारें भी इसी प्रक्रिया का पालन करेंगी। 

कैबिनेट सेक्रेटरी के पास जाएगी यह शिकायत …
भारत सरकार के सचिव, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सीएमडी व पीएसई/पीएसबी के कार्यात्मक निदेशक के खिलाफ कैबिनेट सचिवालय, डीओपीटी और पीएमओ को अगर इस तरह की शिकायतें मिलती हैं तो कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाला समूह ‘ग्रुप ऑफ सेक्रेटरी’ उनकी छंटनी करेगा। डीओपीटी के अनुसार, भारत सरकार के सचिव के खिलाफ अगर इस तरह की कोई शिकायत कैबिनेट सचिवालय, डीओपीटी या प्रधानमंत्री कार्यालय के पास आती है, भले ही वह छद्म तरीके से ही क्यों न आई हो, उसे कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाले समूह के पास ही भेजा जाएगा।

समूह में होते हैं ये अधिकारी शामिल …
इस समूह में कैबिनेट सचिव, प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी, कैबिनेट में सचिव ‘समन्वय’, सचिव डीओपीटी और सचिव सीवीसी प्रेक्षक शामिल होते हैं। यदि उस शिकायत का कोई ठोस आधार नहीं है और वह तुच्छ आरोपों वाली श्रेणी में है तो समूह उसकी कार्रवाई बंद कर देगा। इस बाबत संबंधित अधिकारी को सूचित कर दिया जाएगा, जहां से वह शिकायत आई थी। अगर प्रारंभिक जांच में यह सामने आता है कि शिकायत में कुछ दम है या उसमें लगाए आरोपों की जांच हो सकती है तो ‘ग्रुप ऑफ सेक्रेटरी’ समूह कई तरह के निर्णय ले सकता है। इनमें संबंधित सचिव से कमेंट्स मांगना, संबंधित अधिकारी की फाइल तलब करना और केस से संबंधित रिकॉर्ड जैसे वार्षिक प्रॉपर्टी रिटर्न एवं अन्य रिपोर्ट शामिल हैं।

इस तरह से जांच आगे बढ़ाई जा सकती है …
‘ग्रुप ऑफ सेक्रेटरी’ के समूह को यदि किसी शिकायत में उपयुक्त आधार नजर आता है तो वह कई तरह से कार्रवाई कर सकता है। शिकायत से जुड़े रिकॉर्ड व कमेंट्स में कोई ठोस तथ्य नहीं निकलता है तो उसे बंद कर दिया जाएगा। छंटनी के बाद कुछ ऐसे आधार सामने आते हैं, जिनके बलबूते जांच आगे बढ़ाई जा सकती है तो समूह उसकी जांच प्रवृति के आधार पर स्वीकार कर लेगा। यानी वह शिकायत जांच के लिए उपयुक्त है। इसके बाद संबंधित प्राधिकार अथॉरिटी को एक्शन के लिए कहा जाता है। ‘ग्रुप ऑफ सेक्रेटरी’ समूह उन शिकायतों पर भी विचार करता है जो सीवीसी के द्वारा कैबिनेट सेक्रेटरी को भेजी जाती हैं। इसके लिए समय समय पर सीवीसी को उस शिकायत की प्रगति रिपोर्ट से अवगत कराना होगा।

रिटायर्ड सचिव के खिलाफ भी वैसे ही होगी जांच …
ऐसा कोई अधिकारी, जो भारत सरकार में सचिव के पद पर नहीं है, लेकिन वह उस पद के बराबर वेतन लेता है और प्रशासनिक वरिष्ठता में उसके ऊपर भी कोई है तो वह मामला संबंधित मंत्रालय द्वारा देखा जाएगा। वहां से उस केस को ‘ग्रुप ऑफ सेक्रेटरी’ समूह के पास भेजा जा सकता है। यहां पर यह गौर करना होगा कि वह केस मेरिट के आधार पर समूह के बीच जाने की शर्तें पूरी करता हो। यह तरीका उन सचिवों के मामले भी अपनाया जा सकता है, जो समकक्ष पद से रिटायर हुए हैं। भारत सरकार के सचिव के खिलाफ मिली शिकायत में कार्रवाई का जो तरीका अपनाया जाता है, वही रिटायर्ड चीफ सेक्रेटरी के लिए अमल में लाया जाएगा।

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