अजित पवार की कहानी … 5 बार डिप्टी सीएम की शपथ ली ?
वॉशरूम में 10 मिनट की कॉल और बदल दिया खेल:अजित पवार की कहानी, जिन्होंने 5 बार डिप्टी सीएम की शपथ ली
कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी के सभी दिग्गज नेता नेहरू सेंटर मुंबई में एक-एक कर पहुंचे रहे थे। बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन टूटने के बाद महाराष्ट्र में पिछले चार हफ्ते से तय नहीं हो पाया था कि सरकार कौन बनाएगा और किसके साथ मिलकर बनाएगा। इस लिहाज से ये बैठक बेहद अहम थी।
वरिष्ठ पत्रकार जितेंद्र दीक्षित अपनी किताब ‘35 डेज’ में लिखते हैं,
सेंटर टेबल पर NCP अध्यक्ष शरद पवार और ठीक बगल उनके भतीजे अजित पवार एक फाइल लिए बैठे थे। हाव-भाव से लग रहा था जैसे वो मीटिंग से ऊब रहे हों। तभी अजित के मोबाइल पर एक मैसेज आया। वो वॉशरूम जाने के बहाने बाहर चले गए और करीब 10 मिनट तक फोन पर बात करते रहे। वापस लौटे तो उनका अंदाज और चेहरे के भाव बदल चुके थे। बैठक में मौजूद किसी को अंदाजा नहीं था कि अगली सुबह क्या होने वाला है।
महाराष्ट्र की शख्सियतें सीरीज में आज कहानी अजित पवार की, जिन्होंने 5 बार डिप्टी सीएम पद की शपथ ली…
शुरुआत: बारामती में पढ़ाई की, चाचा शरद से डरते थे
अजित पवार का जन्म 22 जुलाई 1959 को अहमदनगर जिले के देवलाली प्रवरा में हुआ था। वो शरद पवार के बड़े भाई अनंतराव पवार के बेटे हैं। अजित के पिता फिल्म जगत से जुड़े हुए थे और मुंबई में मौजूद वी. शांताराम के राजकमल स्टूडियो में काम करते थे।
पवार के दादा, गोविंदराव पवार, बारामती सहकारी व्यापार में काम करते थे और उनकी दादी खेतों की देखभाल करती थीं। अजित के बड़े भाई का नाम श्रीनिवास है। श्रीनिवास कृषि और ऑटो मोबाइल से जुड़े बड़े बिजनेसमैन हैं। कहा जाता है कि अजित अपने महत्वपूर्ण फैसलों में बड़े भाई की सलाह लेते हैं।
महाराष्ट्र एजुकेशन सोसायटी हाई स्कूल बारामती से उन्होंने शुरूआती पढ़ाई की। कॉलेज के दिनों में ही उनके पिता का निधन हो गया। अजित ने महाराष्ट्र के कोल्हापुर में शिवाजी यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है।
अजित शुरुआत में शरद पवार के पर्सनल सेक्रेटरी रहे। एक चैनल को दिए इंटरव्यू में बचपन का जिक्र करते हुए अजित ने कहा था,
मैं शुरुआत से अपने चाचा से डरता था, लेकिन हम भाई-बहनों में हमेशा प्यार था। मुझे लगता है पार्टी और परिवार को अलग-अलग रखा जाना चाहिए।
अजित ने महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री पदम सिंह पाटिल की बहन सुनेत्रा पवार से शादी की है। इनके दो बेटे, जय पवार और पार्थ पवार हैं। सुप्रिया सुले, अजित की चचेरी बहन हैं।
राजनीति की पाठशालाः जब शरद पवार के लिए छोड़ दी अपनी लोकसभा सीट
अजित पवार ने 1982 में राजनीति में कदम रखा। तब वे एक को-ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्री बोर्ड के लिए चुने गए थे। इसके बाद वे 1991 में पुणे जिला सहकारी बैंक (पीडीसी) के अध्यक्ष बने और 16 साल तक इस पद पर रहे।
1993 में पहली बार बारामती से सांसद बने। उपचुनाव हुआ तो, चाचा शरद पवार के लिए सीट छोड़ दी। यहीं से जीतकर शरद, पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में रक्षा मंत्री बने। 1996 से 2004 तक बारामती से शरद पवार सांसद रहे।
दरारः सुप्रिया सुले के राजनीति में आने से खतरे में पड़ी उत्तराधिकारी की कुर्सी
2004 में जब NCP की 71 सीटें आईं, तब शरद ने कांग्रेस (69 सीटें) को सरकार बनाने का मौका दिया। अजित, शरद के इस फैसले से नाराज हुए थे। अजित पवार के सहयोगियों का मानना था कि ये उनको दरकिनार करने के लिए किया जा रहा है। उनके चाचा उनको मुख्यमंत्री बनाने से रोकने के लिए ये सब कर रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार उदय तनपाठक बताते हैं, राजनीतिक गलियारों में ये माना जाता था कि अजित पवार ही शरद की सत्ता संभालेंगे। 2009 के बाद अजित की चचेरी बहन सुप्रिया सुले राजनीति में आ गईं और यहीं से फूट पड़ने की शुरुआत मानी जाने लगी।
अजित और शरद पवार के रिश्ते को लेकर वो कहते हैं ‘अजित ने उन्हें हमेशा फादर फिगर की तरह देखा है। पार्टी में रहते उन्होंने जितने भी फैसले लिए वो शरद की मर्जी से ही लिए।’
सीनियर जर्नलिस्ट मयूर पारेख बताते हैं कि अजित पवार और शरद पवार भले ही एक ही राजनीतिक घराने से आते हैं लेकिन दोनों की राजनीति में बहुत ज्यादा अंतर है। शरद पवार कभी भी स्पष्ट बात नहीं कहते हैं, जबकि अजित को अगर किसी बात को लेकर ना कहना है तो वो कभी भी बोलने से चूकते नहीं हैं।
बगावतः रातों रात पाला बदलकर सुबह डिप्टी सीएम बन गए अजित
22 नवंबर 2019 को महाविकास अघाड़ी की बैठक में तय हुआ कि उद्धव ठाकरे पांच साल तक सरकार चलाएंगे। अगले दिन 23 नवंबर को तड़के 6:30 बजे शरद पवार एक फोन कॉल से जागे। फोन पर किसी ने घबराहट से कहा, ‘मैं अभी-अभी राजभवन से लौटा हूं, आप एक बार न्यूज चैनल देखिए।’ ये फोन शरद पवार की पार्टी के सदस्य का था।
शरद को कुछ शक हुआ, फोन रखते ही फौरन उन्होंने अखबार देखा। टाइम्स ऑफ इंडिया ने छापा था ‘अगले पांच साल सर्वसम्मति से उद्धव सीएम होंगे। अगले ही पल उन्होंने टेलीविजन पर न्यूज चैनल खंगाले तो देखा हेडलाइन थी- देवेंद्र फडणवीस लेंगे सीएम पद की शपथ। अजित पवार महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम होंगे।
शरद पवार को समझने में देर नहीं लगी। उन्होंने तुरंत उद्धव ठाकरे को फोन घुमाया। 2 दिसंबर 2019 में एक न्यूज चैनल को दिए एक इंटरव्यू में शरद पवार ने बताया था ‘मैंने सबसे पहले उद्धव ठाकरे को फोन किया और कहा, ये जो कुछ भी हुआ है ये ठीक नहीं है। हमें ठीक करना होगा। हमने जो तय किया है वही होगा।’
बतौर डिप्टी सीएम अजित पवार ने ANI को दिए अपने पहले इंटरव्यू में कहा,
तीनों पार्टियों (कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी) की चर्चा का कोई अंत नहीं है। पिछले एक महीने से सिर्फ बातचीत ही चल रही है, जो कहीं नहीं पहुंचने वाली। राज्य को एक स्थाई सरकार चाहिए इसलिए मैंने ये कदम उठाया है।
घर-वापसीः बहन सुप्रिया मनाने पहुंची, 80 घंटे में गिर गई सरकार
अजित पवार को मनाने की जिम्मेदारी चचेरी बहन सुप्रिया को दी गई। शुरुआत में सुप्रिया को लगा कि दादा (अजित) नहीं मानेंगे। इसलिए उन्होंने अपनी मां प्रतिभा पवार से बात कराई।
प्रतिभा को अजित ने हमेशा मां की तरह ही माना है। अजित को प्रतिभा की बात समझ आई और वो एनसीपी में लौट आए। माना जाता है कि शरद पवार के दबाव में बागी विधायकों ने मन बदल लिया था इसलिए अजित को भी वापस लौटना पड़ा। इस तरह शपथ लेने के 80 घंटे बाद ही सरकार गिर गई।
किताब ‘35 डेज’ के मुताबिक,
2019 में NCP से अलग होकर बीजेपी में शामिल होने के बाद अजित पवार को घर तोड़ने वाला कहा गया। अजित ने कुछ समय पहले ANI को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि हम बीजेपी में शामिल होंगे, ये बात शरद पवार जानते थे। बाद में वे अपने वादे से पलट गए।
राजदीप सरदेसाई अपनी किताब ‘2020: द इलेक्शन दैट सरप्राइज्ड इंडिया’ में इसका जिक्र करते हुए लिखा है कि जब 2019 में अजित पवार को बीजेपी ने अपने पाले में लिया तो ये वादा लिया कि आप लोकसभा में सुप्रिया सुले को को पत्नी सुमित्रा सुले के खिलाफ लड़ाएंगे।
अजित ने एक मराठी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था ‘बहन के खिलाफ पत्नी को खड़ा करना एक गलती थी। सुप्रिया के खिलाफ लड़ाने का फैसला पार्टी संसदीय बोर्ड का था। अब मुझे लगता है कि यह गलत फैसला था।’
घोटालाः जिस शुगर मिल से राजनीति शुरू की, उसी के सबसे बड़े घोटाले का आरोप
साल 1999 से 2009 तक अजित सिचाई मंत्री रहे। आरोप लगाया गया कि संचाई के लिए बांध बनाने की योजना में भारी घोटाला हुआ है। अजित पवार पर करीब 70,000 करोड़ रुपयों के हेरफेर का आरोप लगाया गया।
2014 में चुनाव प्रचार के दौरान फडणवीस ने अजित पवार को भ्रष्ट बताया था और शोले फिल्म का डायलॉग ‘चक्की पीसिंग-पीसिंग’… उन पर तंज किया था।
अजित पवार ने हाल ही में एक मराठी अखबार को दिए इंटरव्यू में घोटाले के सवाल पर कहा था ‘महाराष्ट्र बनने का खर्च 42 हजार करोड़ रुपए था। 70 हजार करोड़ कहां से आएंगे। ये सब बदनाम करने की साजिश है।’
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 22 अगस्त 2019 को महाराष्ट्र सहकारी क्षेत्र पर धोखाधड़ी से चीनी मिलों को बेचने के आरोपों की जांच करने का आदेश जारी किया और कहा कि इन्हें औने-पौने दाम पर बेचा गया, जिसके बाद पुलिस ने शिकायत दर्ज कर मामले की जांच शुरू की और इसकी क्लोजर रिपोर्ट दे दी गई है।
2021 में ED ने क्लोजर रिपोर्ट का विरोध किया था और जुलाई 2021 में, इसने घोटाले के सिलसिले में जरंदेश्वर चीनी मिल की संपत्ति भी जब्त कर ली थी, जिसमें अजित पवार कभी डायरेक्टर थे।
घोटाले के आरोप के बाद अजित ने अपने बेटे पार्थ पवार से कहा था कि खेती करना, राजनीति करने से ज्यादा मुफीद है। जबकि 2019 में वो अपने बेटे पार्थ को मावल को लोकसभा चुनाव लड़ा चुके हैं, जहां से वो हार गए थे।
फिर बगवातः शरद पवार के इस्तीफा वापस लेने से नाराज थे, पार्टी तोड़ी
17 अप्रैल 2023। शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने कहा कि 15 दिन में महाराष्ट्र की राजनीति में दो बड़े विस्फोट होंगे। इसके ठीक 10 दिन बाद यानी 27 अप्रैल को शरद पवार ने कहा कि रोटी सही समय पर न पलटे तो कड़वी हो जाती है। रोटी पलटने का वक्त आ गया है।
इन संकेतों के बाद 2 मई 2023 को शरद पवार ने राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP) का अध्यक्ष पद छोड़ने का ऐलान कर दिया। अजित पवार ने कहा- नए चेहरों को आगे लाना NCP की परंपरा रही है। अजित ठीक से खुशी भी नहीं मना पाए कि 4 दिन बाद शरद ने इस्तीफा वापस ले लिया। अजित ने एकबार फिर अपने रास्ते बदलने की सोची।
30 जून 2023। अजित पवार ने NCP की दो अलग-अलग बैठक बुलाईं। दूसरी बैठक में विधायकों के साथ अजित की बहन सुप्रिया सुले भी शामिल थीं, हालांकि इसका उन्हें अंदाजा नहीं था। शरद पवार उस समय महाराष्ट्र से बाहर थे। किसी जर्नलिस्ट ने पूछा अजित बैठक बुला रहे हैं आप यहां हैं, तब शरद ने कहा था अजित पवार विपक्ष के नेता हैं तो उन्हें विधायकों की बैठक बुलाने का अधिकार है।’
इस बयान के ठीक दो दिन बाद अजित ने एक बार फिर पार्टी से बगावत की। अजित अपने 30 समर्थक विधायकों के साथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए। 2 जुलाई को अजित ने महाराष्ट्र सरकार में शामिल होकर पांचवीं बार डिप्टी सीएम की शपथ ली। छगन भुजबल समेत NCP के 9 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली।
2019 में अजित पवार ने देवेंद्र फडणवीस के साथ डिप्टी सीएम की शपथ ली थी। वर्तमान में वे दोनों ही डिप्टी सीएम के पद पर हैं।
29 जुलाई 2023। शरद पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, भला ऐसा कैसे हो सकता है, जिसने पार्टी स्थापित की उसी पार्टी से उसकी पहचान, उसका चुनाव चिन्ह छीन लिया जाए।
6 फरवरी 2024 को अजित पवार को एनसीपी का चुनाव चिन्ह घड़ी मिला था और शरद पवार को चुनाव चिन्ह ‘तुरहा बजाता आदमी’। इस फैसले पर शरद पवार गुट के नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा था ये होना ही था, हमें पहले से पता था। आज उन्होंने (अजित पवार ने) शरद पवार का राजनीतिक गला घोंट दिया है।
2023 तक बारामती में परिवार एक साथ मनाता था दिवाली
किताब 35 डेज के मुताबिक, जब अजित पार्टी से अलग हुए तो सुप्रिया उन्हें मनाने पहुंची थीं। अजित पवार के समर्थक मानते हैं कि सुप्रिया शुरुआत से ही अजित की कैम्पेनियन रहीं हैं। दोनों ने कभी भी एक दूसरे को निशाना नहीं बनाया है।
वरिष्ठ पत्रकार उदय तनपाठक परिवार के आपसी संबंधों पर कहते हैं कि भले ही कितना ही राजनीतिक मनमुटाव हो, शरद पवार का पूरा परिवार दिवाली बारामती में साथ ही मनाते हैं। इस साल का पता नहीं लेकिन 2019 हो या 2023 इसमें कोई फर्क नहीं आया है।
इस साल अजित पवार ने अपने गांव काटेवाड़ी में दिवाली का जश्न मनाया, जबकि शरद पवार ने गोविंदबाग निवास पर दिवाली समारोह का आयोजन किया। इससे पहले तक अजित चाचा शरद के घर ही दिवाली मनाते थे।
अजित जब NCP से लग हुए तो बहन सुप्रिया ने कहा था कि हमारे बीच कितने भी आपसी मतभेद हों हम परिवार के बीच राजनीति नहीं आने देंगे।
क्या पेशाब करके बांध भरें: अजित के विवादित बयान
- 8 जनवरों 2024 को पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, महाराष्ट्र सरकार में 75 साल की उमर में लोग रिटायर होते हैं। लेकिन ये व्यक्ति (शरद पवार) 80 साल की उम्र में भी रिटायर नहीं होता। ये क्या हो रहा है।
- 2013 में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा था- अगर बांध में पानी नहीं है तो क्या पेशाब करके भरें? हालांकि, बाद में उन्होंने इसके लिए माफी मांगी।
- 17 अप्रैल 2014 में उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था- अगर सुप्रिया सुले को वोट नहीं दिया तो गांव वालों का पानी बंद कर देंगे।
- 15 अगस्त 2024 ANI को दिए एक इंटरव्यू में कहा था बहन के खिलाफ पत्नी को लड़ाकर गलती कर दी, ऐसा नहीं करना चाहिए था।