एमपी में किराएदारी एक्ट का ड्राफ्ट तैयार ?
मकान नहीं छोड़ा तो दोगुना होगा किराया ….
नल कनेक्शन नहीं काट सकेगा प्रॉपर्टी मालिक; एमपी में किराएदारी एक्ट का ड्राफ्ट तैयार
किराएदार ने एग्रीमेंट खत्म होने के बाद भी मकान खाली नहीं किया। दो महीने बाद मकान मालिक ने किराएदार का पानी बंद कर दिया। विवाद बढ़ा और मामला कोर्ट में चला गया। किराएदार और मकान मालिक के झगड़े के ऐसे कई मामले आए दिन सुनने को मिलते हैं। इनकी संख्या भी बढ़ती जा रही है। इससे निपटने के लिए अब मध्यप्रदेश सरकार किराएदारी मॉडल एक्ट लागू करने वाली है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने इसका ड्राफ्ट तैयार किया है।
कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इसे 16 दिसंबर से शुरू हो रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है। इस एक्ट के लागू होने के बाद प्रदेश में किराएदार और मकान मालिक से संबंधित कई नियम बदल जाएंगे।
फिलहाल, मध्यप्रदेश में किराएदारी अधिनियम 2010 लागू है। 14 साल पुराने कानून से नया कानून कितना और कैसे अलग है, इसमें मकान मालिक और किराएदार के क्या अधिकार होंगे..
3 पॉइंट्स में जानिए मौजूदा एक्ट में बदलाव की जरूरत क्यों
- सेंटर फॉर अर्बन गवर्नेंस की रिपोर्ट के मुताबिक, मध्यप्रदेश की आबादी 2001 में 6 करोड़ 3 लाख से बढ़कर 2011 में 7 करोड़ 26 लाख हो गई है। 2011-2030 की अवधि में मध्यप्रदेश की जनसंख्या में 27 प्रतिशत की वृद्धि अनुमानित है।
- 2011 की जनगणना के अनुसार, मध्यप्रदेश में एक तरफ लगभग 10 लाख 21 हजार 484 मकान खाली हैं, दूसरी तरफ लगभग 1 लाख 46 हजार 435 परिवारों के पास मकान नहीं है। इससे किराए के आवास की गुंजाइश बनती है।
- प्रदेश में गांव छोड़कर बड़ी संख्या में लोग शहरों में बस रहे हैं, जिससे मकानों की मांग बढ़ी है। वर्तमान में उपलब्ध मकान या तो पर्याप्त संख्या में नहीं है या सभी की पहुंच में नहीं है।
किराएदारों के लिए नए एक्ट में प्रावधान
- एग्रीमेंट खत्म होते ही किराएदार मकान खाली नहीं करता है तो उसे पहले दो माह में दोगुना और तीसरे महीने से चार गुना किराया देना होगा।
- नल ठीक कराना या बदलवाना, नाली की सफाई।
- शौचालय, वॉश बेसिन, नहाने के टब, गीजर, बिजली के स्विच, दरवाजे, अलमारी, खिड़कियों की मरम्मत के अलावा उद्यान या खुले स्थान का रखरखाव।
- किराएदार अवैध तरीके से मकान पर कब्जा नहीं कर सकेगा।
- रहने के लिए मकान किराए पर लिया है, तो दो महीने का एडवांस पेमेंट देना होगा।
- कारोबार के लिए प्रॉपर्टी किराए पर ली है तो छह महीने का एडवांस पेमेंट देना होगा।
- किराएदार एक ही परिसर में दूसरे किराएदार को नहीं रख सकेगा। कोई उप-समझौता नहीं होगा।
मकान मालिक के लिए नए एक्ट में प्रावधान
- घर का नल कनेक्शन, पाइप कुकिंग गैस, मार्ग, लिफ्ट, सीढ़ियां, पार्किंग, स्वच्छता सेवा और बिजली सहित अन्य आवश्यक सेवा को मालिक बंद नहीं कर सकेंगे।
- भवन के मालिक को एग्रीमेंट खत्म हाेने से पहले परिसर खाली करने के लिए सक्षम प्राधिकारी के पास अपील करनी होगी।
- यदि एग्रीमेंट रिन्युअल किया जाना है, तो एक महीने पहले प्राधिकारी के पास एप्लीकेशन देनी पड़ेगी।
- मकान खाली करने पर मालिक, किराएदार को सुरक्षा निधि उसी दिन वापस देगा।
ये 4 नियम दोनों के लिए कॉमन
- मकान मालिक और किराएदार के बीच एग्रीमेंट कानून के दायरे में होगा। ये अधिकार बन जाएगा। अभी ऐसे एग्रीमेंट नाममात्र के स्टांप पेपर पर होते हैं, न कि कानूनी दायरे में।
- जो भी एग्रीमेंट होगा, उसकी दो कॉपी होंगी। एक मकान मालिक के पास और दूसरी किराएदार के पास रहेगी।
- मालिक और किराएदार दोनों ही सामान्य टूट-फूट की मरम्मत के लिए जिम्मेदार होंगे।
- सामान्य मरम्मत के लिए दोनों ही इनकार नहीं कर सकते। दोनों में कोई एक मना करता है तो मकान मालिक किराएदार की सिक्योरिटी के रूप में जमा राशि से पैसा काटकर मरम्मत करवा सकेगा। मकान मालिक के इनकार करने पर किराएदार किराए से पैसा काटकर मरम्मत करवा सकेगा।
अब जानिए, पुराने एक्ट से नया एक्ट किस तरह अलग
- पुराना एक्ट केवल शहरों और टाउनशिप के सभी क्षेत्रों पर लागू होता है, नया एक्ट पूरे राज्य में प्रभावी होगा।
- नया मॉडल एक्ट अधिसूचना जारी होने के बाद प्रभावी होगा, पुराने एक्ट में ये प्रावधान नहीं।
- नए एक्ट में दूतावास, आयोग, मल्टीनेशनल कंपनी, अंतरराष्ट्रीय संगठनों के भवनों को छूट देने का प्रवधान नहीं, पुराने एक्ट में इन्हें छूट थी।
- नया एक्ट सीमित अवधि के लिए प्रभावी नहीं होगा जबकि पुराने एक्ट में 10 साल पुराने किराएदारी के मामलों में छूट है।
- किराएदार या मकान मालिक की मृत्यु होने पर उनके उत्तराधिकारियों पर दोनों के बीच हुआ समझौता लागू होगा। पुराने एक्ट में ये केवल किराएदार पर लागू होता था।
- पुराने एक्ट में प्रॉपर्टी एजेंट के लिए कोई प्रावधान नहीं था। नए एक्ट में प्रॉपर्टी एजेंट को कानूनी इकाई माना जाएगा। उसका रजिस्ट्रेशन होगा।
- बाहर रहने वाले मकान मालिक अपनी संपत्ति के लिए प्रॉपर्टी मैनेजर को नियुक्त कर सकेंगे।
नए एक्ट में किराएदार-मकान मालिक विवाद सुलझाने के क्या नियम
- पुराने एक्ट में मकान मालिक और किराएदार के बीच विवाद होने पर सिविल कोर्ट में अपील की जाती थी लेकिन नए एक्ट में इस तरह का प्रावधान नहीं है।
- पुराने एक्ट में किराया नियंत्रण अधिकारी की नियुक्ति का प्रावधान है जबकि नए एक्ट में किराया ट्रिब्यूनल के गठन का प्रस्ताव है।
- रेंट ट्रिब्यूनल के साथ रेंट कोर्ट का भी प्रस्ताव किया गया है। सारे विवाद कोर्ट और ट्रिब्यूनल में निपटाए जाएंगे।
- जिलों में डिप्टी कलेक्टर किराया प्राधिकारी होंगे, रेंट कोर्ट में अतिरिक्त कलेक्टर जबकि ट्रिब्यूनल में जिला जज नियुक्त होंगे।
- मकान मालिक और किराएदार के बीच एग्रीमेंट होने पर 60 दिन में इसकी सूचना किराया प्राधिकारी को देनी पड़ेगी।
- किराया बढ़ाने का प्रस्ताव मकान मालिक और किराएदार दोनों की सहमति से ही बनेगा।
- नए एक्ट के लागू होने के बाद भी सिविल कोर्ट में पेंडिंग मकान विवाद पुराने कानून के अनुसार जारी रहेंगे।
एक्सपर्ट बोले- एक्ट से कोर्ट में आने वाले केसेस कम होंगे
हाईकोर्ट के वकील संजय वर्मा कहते हैं कि अभी प्रदेशभर के कोर्ट में किराएदारी के मुकदमों की लंबी फेहरिस्त है। इनमें सबसे ज्यादा मुकदमे किराएदार के मकान पर कब्जा करने के हैं तो कुछ मुकदमे ज्यादा किराया वसूलने या सुरक्षा राशि वापस न करने से जुड़े हैं।
वर्मा के मुताबिक, नए एक्ट में जैसे प्रावधान किए गए हैं, यदि वह लागू होते हैं तो मकान मालिक और किराएदार दोनों को संरक्षण हासिल होगा। दोनों में से कोई एक नियम विरुद्ध काम करेगा तो उस पर कार्रवाई होगी। वे बताते हैं कि इन विवादों की वजह से लोग आसानी से मकान किराए पर नहीं देना चाहते। उन्हें डर रहता है कि कोई कब्जा न जमा लें।
कई लोग मेहनत से मकान बनाते हैं और किराएदार जब मकान खाली नहीं करते तो कोर्ट के चक्कर काटते हैं। जिसमें समय खराब होता है। ऐसे में नया एक्ट लागू होने से इस तरह के मुकदमों में कमी आएगी।