पुलिस का हार्ड कैश पर बैन, गैस से पेट्रोल तक सबके लिए करना होगा ऑनलाइन पेमेंट !
पुलिस के पेट्रोल पंप पर ‘नोटबंदी’
डिजिटल पेमेंट पर ही पेट्रोल-डीजल देने का फरमान; कानून के जानकार बोले-ये राजद्रोह के समान

दरअसल, यह पेट्रोल पंप प्रदेश का इकलौता पंप है, जहां पिछले 5 महीनों से केवल डिजिटल पेमेंट ही लिया जा रहा है। इस प्रयोग को सफल मानते हुए पुलिस मुख्यालय ने 15 नवंबर से प्रदेश के सभी पुलिस पेट्रोल पंपों, पुलिस सुपर मार्केट और पुलिस आवासों में सेवाएं देने वालों के लिए सिर्फ डिजिटल ट्रांजेक्शन मोड में पेमेंट के आदेश जारी किए हैं। आदेश को 15 नवंबर से लागू भी कर दिया गया है।
पुलिस अफसर इसे पारदर्शिता बढ़ाने वाला कदम बता रहे हैं लेकिन कानून के जानकारों का कहना है कि भारतीय मुद्रा को स्वीकारने से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसा करना कानूनन राजद्रोह के समान अपराध है।
क्यों पुलिस ने पेट्रोल पंप पर कैश ट्रांजेक्शन बंद किया और इससे आम आदमी पर क्या असर पड़ेगा, इन सवालों के जवाब जानने के लिए ….

अतिरिक्त कमाई के लिए खोले गए पुलिस पेट्रोल पंप
मध्यप्रदेश सरकार का मानना था कि पुलिस से जुड़े आवास और भत्तों को लेकर अक्सर बजट का रोड़ा आड़े आ जाता है। ऐसे में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने कार्यकाल में पुलिसकर्मियों के वेलफेयर पर ज्यादा पैसे खर्च करने के लिए अतिरिक्त कमाई का रास्ता निकाला। इसके तहत पुलिस विभाग को पेट्रोल पंप संचालित करने का काम दिया गया।
भोपाल पुलिस हेडक्वार्टर (पीएचक्यू) के पास पुलिस का पेट्रोल पंप करीब दो दशक पुराना है। इसके बाद प्रदेश में पुलिस के नए पेट्रोल पंप भी बने। पीएचक्यू वाले पेट्रोल पंप पर रोजाना करीब 8 लाख रुपए का पेट्रोल बिकता है। 70 फीसदी ग्राहक आम लोग होते हैं और बाकी 30 फीसदी सरकारी दफ्तरों की गाड़ियों में पेट्रोल-डीजल भरा जाता है।

नए फरमान ने बढ़ाई मुश्किल, 15 नवंबर से प्रदेशभर में कैशलेस
30 अक्टूबर को जारी आदेश के मुताबिक, 15 नवंबर से पूरे प्रदेश के 50 से ज्यादा पुलिस वेलफेयर पेट्रोल पंपों, गैस स्टेशन, सुपर मार्केट में ईंधन से लेकर सामान की बिक्री और पुलिस आवासों में दी जा रही सेवाओं के लिए भुगतान को कैशलेस कर दिया गया है।
ऐसे में अगर आपके मोबाइल फोन के इंटरनेट की स्पीड स्लो है, सर्वर डाउन है या कोई अन्य टेक्निकल समस्या है तो पुलिस के पेट्रोल पंप पर जाकर बिना पेट्रोल-डीजल डलवाए ही बैरंग लौटना पड़ेगा।
भोपाल में बिक्री गिर गई लेकिन तरीका नहीं बदला
प्रदेश की राजधानी भोपाल में पुलिस की सातवीं बटालियन पेट्रोल पंपों का संचालन करती है। यहां इस साल 1 जून को ही आदेश निकालकर पेट्रोल पंप पर नकद भुगतान पर रोक लगा दी गई है। इसके बाद सेंटर की बिक्री भी गिर गई, लेकिन पुलिस ने तरीका नहीं बदला। पंप से अब भी कई ग्राहक ऑनलाइन पेमेंट नहीं कर पाने के कारण लौट रहे हैं।
ग्राहक बोले- ये तरीका गलत, कैश का विकल्प मिले
पेट्रोल पंप के ग्राहकों ने बताया कि देश का ऐसा कोई प्रतिष्ठान नहीं है, जो सिर्फ डिजिटल पेमेंट लेता हो। ऐसे में पुलिस का ये तरीका गलत है।
पेट्रोल लेने आए अब्दुल ने कहा, ‘एक महिला के पास मोबाइल नहीं था। वे सौ रुपए का पेट्रोल लेकर कैश पेमेंट देने को तैयार थीं। मैंने मदद करने के लिए कहा कि मुझे कैश दे दीजिए, मैं अपने मोबाइल से पेमेंट कर दूंगा। उनके पास 500 रुपए का नोट था। पेट्रोल पंप पर उनके 500 रुपए के फुटकर भी नहीं दिए गए। मजबूरन उन्हें लौटना पड़ा।’
मानसी शुक्ला ने भी पेट्रोल पंप पर कैश बंद करने को गलत कदम बताते हुए कहा, ‘मैं कुछ समय बेंगलुरु में जॉब करती थी। वहां एक बार पेट्रोल पंप पर सर्वर डाउन होने की वजह से मुझे एक घंटे तक परेशान होना पड़ा। डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देना अच्छी बात है लेकिन कैश का ऑप्शन बंद करना समझदारी नहीं है।’
अब कानून के जानकारों की राय पढ़िए…
भारतीय मुद्रा अस्वीकार करना अपराध
सीनियर एडवोकेट राजेंद्र बब्बर पुलिस के इस कदम पर सवाल खड़े करते हैं। वे कहते हैं कि ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देना अलग बात है, लेकिन इस फेर में हमारे देश के नोटों को अस्वीकार करना पूरी तरह गलत है। बब्बर का कहना है कि यह अवैधानिक और दंडनीय अपराध भी है क्योंकि मुद्रा सरकार के एक्ट के अनुसार चलती है। रिजर्व बैंक द्वारा जारी मुद्रा पूरे देश में लेनदेन का माध्यम है।
तीन साल तक की सजा का प्रावधान
सीनियर एडवोकेट प्रेमलाल रघुवंशी बताते हैं कि आईपीसी की धारा 124 और हाल ही में लागू हुई भारतीय न्याय संहिता की धारा 111, 112 के अंतर्गत मुद्रा को स्वीकार नहीं करना राजद्रोह है। इसके अंतर्गत तीन साल से लेकर आजीवन कारावास का प्रावधान है।
वहीं, सीनियर एडवोकेट राकेश गोहिल कहते हैं कि अभी 100, 200, 500 के नोटों को सरकार ने वापस नहीं लिया है। यूपीआई का उपयोग किया जा सकता है लेकिन कोई भी व्यक्ति या संस्था भारतीय मुद्रा लेने से इनकार नहीं कर सकता। यदि कोई ऐसा करता है तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा। इस संबंध में कोई शिकायत करता है तो पुलिस को ही एफआईआर लिखनी होगी।

पुलिस का तर्क- पारदर्शिता बढ़ी, भ्रष्टाचार घटा
सातवीं बटालियन के कमांडेंट हितेश चौधरी ने पुलिस के इस कदम को जायज ठहराते हुए कहा कि नगद भुगतान में वित्तीय गड़बड़ी सामने आ रही थी। इस आदेश के बाद पारदर्शिता आई है।
उन्होंने बताया कि हमारे यहां पुलिस कॉन्फ्रेंस में डिजिटल इंडिया और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के कदम उठाए जाने थे। इसके अंतर्गत भोपाल की सातवीं बटालियन के पेट्रोल पंप को डिजिटलाइज किया गया। कैश बंद करके ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के थ्रू ही पेमेंट लिया जा रहा है।