क्या प्राकृतिक खेती रोजगार का नया रास्ता खोल सकती है?

 क्या प्राकृतिक खेती रोजगार का नया रास्ता खोल सकती है?

प्राकृतिक खेती एक ऐसी कृषि पद्धति है जिसमें रासायनिक खाद, कीटनाशक और अन्य कृत्रिम सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया जाता.

आज के समय में कृषि क्षेत्र में एक नया बदलाव देखने को मिल रहा है और यह बदलाव ‘प्राकृतिक खेती’ के रूप में सामने आ रहा है. प्राकृतिक खेती फसल उगाने का एक ऐसा तरीका है जिसमें रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और अन्य आर्टिफीशियल पदार्थों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. 

खेती के इस तरीके में प्राकृतिक संसाधनों का सही तरह से उपयोग किया जाता है, जो न सिर्फ पर्यावरण के लिए कम नुकसानदायक है, बल्कि यह किसानों के लिए एक नए रोजगार का अवसर भी पैदा कर सकता है. खासतौर पर भारत जैसा देश जहां कृषि प्रमुख आय का स्रोत है, प्राकृतिक खेती रोजगार का नया रास्ता खोल सकती है. 

ऐसे में इस रिपोर्ट में हम विस्तार से समझते हैं कि आने वाले समय में प्राकृतिक खेती कैसे रोजगार का नया रास्ता खोल सकती है?

प्राकृतिक खेती और रोजगार का संबंध

प्राकृतिक खेती फसल उगाने का एक ऐसा तरीका है जिसमें रासायनिक खाद, कीटनाशक और अन्य किसी भी आर्टिफीशियल सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इस पद्धति में आर्टिफीशियल सामाग्री के जगह, जैविक खाद (जैसे गोबर की खाद), वर्मी कंपोस्ट (कीड़ों से बनी खाद), और प्राकृतिक कीटनाशक का उपयोग किया जाता है. इसके अलावा, पारंपरिक तरीके जैसे फसल चक्र (किसी भूमि पर अलग-अलग समय पर अलग-अलग फसलें उगाना) और मिट्टी की स्वच्छता बनाए रखने के लिए कई अन्य प्राकृतिक विधियां अपनाई जाती हैं.

इस पद्धति से किसानों को कई फायदे होते हैं. जैसे- रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बजाय प्राकृतिक उपायों का इस्तेमाल करने से किसानों के खर्च में कमी आती है. इसके साथ ही  जैविक खाद और वर्मी कंपोस्ट का इस्तेमाल मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है, जिससे भविष्य में फसलें बेहतर उगती हैं. प्राकृतिक खेती पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं है, क्योंकि इसमें रासायनिक पदार्थों का उपयोग नहीं होता, जिससे पानी और हवा की सफाई बनी रहती है. 

 नई नौकरियों का सृजन

अब बात करते हैं रोजगार के नए अवसरों की. तो जब किसान प्राकृतिक खेती अपनाते हैं, तो कई नए कामों की शुरुआत होती है. जैसे किसानों को जैविक खाद बनाने और उसे बेचने के लिए नए रोजगार मिल सकते हैं. इसके अलावा कृषि सलाहकार, प्रशिक्षक और विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है, जो किसानों को प्राकृतिक खेती के तरीके सिखा सकें. प्राकृतिक खेती की बढ़त के साथ ही बाजार में जैविक उत्पादों की मांग भी बढ़ जाएगी है, इसलिए इन उत्पादों की बिक्री में भी रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं.

महिला और युवा रोजगार

प्राकृतिक खेती में विशेष रूप से महिलाएं और युवा वर्ग भी एक्टिव तरीके से जुड़ सकते हैं. महिलाओं के लिए, प्राकृतिक खेती में खाद्य उत्पादन, उत्पादों का प्रोसेसिंग और सेल्स जैसे कार्यों के जरिए उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिल सकता है. साथ ही, युवाओं के लिए यह एक ऐसे रोजगार का अवसर हो सकता है जिसमें वे पर्यावरण को सुरक्षित रखने के साथ-साथ आर्थिक रूप से सशक्त भी हो सकते हैं.

प्राकृतिक खेती में निवेश और सरकारी पहल

भारत सरकार और देश के अलग अलग राज्यों की राज्य सरकारें प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं. इसमें “प्रधानमंत्री कृषि संपदा योजना” और “राष्ट्रीय जैविक उत्पादन योजना” जैसी योजनाओं शामिल है. इससे किसानों को आर्थिक सहायता और प्रशिक्षण मिल रहा है. इसके अलावा, सरकार ने प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष वित्तीय सहायता, बीजों की आपूर्ति, और तकनीकी मार्गदर्शन देने के उपाय किए हैं.

प्राकृतिक खेती के उत्पादों की बढ़ती मांग

प्राकृतिक खेती के उत्पादों की मांग दुनिया भर में तेजी से बढ़ रही है. खासतौर पर जैविक और प्राकृतिक उत्पादों की खपत में बढ़त होने से इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर और भी ज्यादा बढ़ सकते हैं. लोग अब रासायनिक अवशेषों से मुक्त, सुरक्षित और स्वस्थ खाद्य पदार्थों की ओर रुझान बढ़ा रहे हैं. इससे न केवल किसानों को बेहतर मूल्य मिल रहा है, बल्कि कृषि क्षेत्र में रोजगार के नए रास्ते भी खुल रहे हैं.

जैविक कृषि उत्पादों का निर्यात

भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां के जैविक उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में विशेष मांग है. प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने से किसानों के उत्पादों को विदेशी बाजारों में निर्यात किया जा सकता है, जिससे न सिर्फ किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि देश को विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होगी. इस व्यापारिक दृष्टिकोण से भी प्राकृतिक खेती रोजगार के अवसरों में वृद्धि कर सकती है.

प्राकृतिक खेती से पर्यावरण को लाभ

प्राकृतिक खेती से पर्यावरण को भी कई लाभ होते हैं. रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग नहीं होने के कारण मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है, जल स्रोतों का प्रदूषण कम होता है, और जैव विविधता में वृद्धि होती है. इसके अलावा, प्राकृतिक खेती में जल संचयन और भूमि संरक्षण की भी विशेष योजना बनाई जाती है. यह क्षेत्र पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है.

जब पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी, तो इस क्षेत्र में विशेषज्ञों की आवश्यकता बढ़ेगी. इसके लिए रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे, जैसे कि पर्यावरण संरक्षण सलाहकार, जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञ, और भूमि सुधार विशेषज्ञ आदि.

प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने के उपाय

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय किए जा सकते हैं

1. किसानों को प्राकृतिक खेती की विधियों के बारे में जागरूक करने और उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए अधिक से अधिक शैक्षिक कार्यक्रमों की आवश्यकता है.
2. किसानों को अपने उत्पादों को सही बाजार में बेचने के लिए विपणन के नए तरीके और टूल्स उपलब्ध कराए जा सकते हैं.
3. प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों की सहयोग समितियाँ बनाई जा सकती हैं, जो उन्हें सामूहिक रूप से संसाधनों की आपूर्ति, विपणन और तकनीकी सहायता प्रदान करें.
4. किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर प्रेरित करने के लिए उन्हें सस्ती दरों पर वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जा सकती है.   

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