निजी कंपनियों की चुनौती, मुश्किल में “सांची” ?

निजी कंपनियों की चुनौती, मुश्किल में “सांची”

सांची का ग्वालियर-चंबल अंचल में पैकिंग दूध के मामले में एक समय एक छत्र राज था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। इन दिनों निजी कंपनियों से मिल रही चुनौती के कारण सांची मुश्किल में है। लेकिन अब दूसरी कंपनियां पशुपालकों से दूध को अधिक दामों में खरीद रहें है, जिससे सांची को कम दूध नहीं मिल रहा है।

Gwalior Sanchi Milk News: निजी कंपनियों की चुनौती, मुश्किल में "सांची"निजी कंपनियों की चुनौती, मुश्किल में “सांची”। सांकेतिक फोटो
  1. अंचल का दूध यूपी और राजस्थान में हो रहा सप्लाई, नहीं मिल रहा दूध
  2. महंगे दाम में बुंदेलखंड से दूध खरीद कर रहे पूर्ति, संस्था झेल रही घाटा
  3. सांची जहां से दूध खरीदती है, वहां भी बिचौलियाें से निजी कंपनियां लगा रही सेंध

ग्वालियर। ग्वालियर-चंबल संभाग से पूरा दूध एक समय में “सांची” उठाता था। सांची ग्वालियर सहकारी दुग्ध संघ मर्यादित का पैकिंग दूध उत्पाद है। मप्र राज्य सहकारी डेयरी फेडरेशन भोपाल से संबद्ध इस संस्था का मुख्यालय ग्वालियर से सटे मुरैना जिले के बानमोर में है। 1980 से स्थापित इस संस्था का ग्वालियर-चंबल अंचल में पैकिंग दूध के मामले में एक समय एक छत्र राज था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। इन दिनों निजी कंपनियों से मिल रही चुनौती के कारण “सांची” मुश्किल में है।

हालांकि अब इन कंपनियों ने संभाग के जिन शहर और गांव से सांची दूध उठाती है, वहां भी सेंध लगाना शुरू कर दिया है। इससे हालात ये है कि सांची को मांग पूरी करने के लिए महंगे दाम पर बुंदेलखंड से दूध खरीदकर कम कीमत पर सप्लाई करना पड़ रहा है। इससे संस्था लगातार घाटे में जा रही है। दरअसल कोरोनाकाल में जब लाकडाउन हुआ तो पशुपालकों की मुश्किलें बढ़ गई।

निजी प्लांट बंद हो गए थे। ऐसे में सांची दुग्ध संघ ही सभी इलाकों से दूध कलेक्शन कर रहा था। इस बीच रिकार्ड दूध कलेक्शन हो रहा था। इसके बाद जब भिंड, मुरैना में मिलावटी दूध का मामला सामने आया तो सांची ने कुछ इलाकों से दूध उठाना बंद कर दिया। तब तक कोरोना का असर खत्म हो गया था और पूरा मार्केट खुल गया। इस बीच ग्वालियर चंबल अंचल से सटे उत्तर प्रदेश, राजस्थान में नए चिलर प्लांट खुल गए।

साथ ही अंचल में भी कुछ नए निजी प्लांट चालू हुए। इन लोगों ने पहले उन इलाकों से दूध कलेक्शन शुरू किया, जहां से सांची दूध नहीं ले रहा था। सांची 640 रुपये प्रति किलो फेट का भाव देता है तो यह कंपनियां 720-740 प्रति किलो फेट देने लगीं। धीरे-धीरे कंपनियों ने बिचौलियों का नेटवर्क फैलाया और वर्तमान में करीब 150 ऐसे लोग काम कर रहे हैं, जो अंचल से दूध कलेक्ट करके बाहर पहुंचा देते हैं।

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सांची ने कहां किया बंद और कहां से कर रही दूध कलेक्शन सांची ने भिंड, मुरैना, श्योपुर के कुछ इलाकों से दूध कलेक्शन बंद कर दिया। अब डबरा, शिवपुरी सहित अन्य इलाकों से दूध कलेक्शन किया जा रहा है। सांची की खपत करीब 16-17 हजार लीटर प्रतिदिन है। अब सांची का प्रतिदिन का दूध कलेक्शन घटकर आठ से 10 हजार लीटर प्रतिदिन रह गया है।

सांची ने यहां से बंद किया दूध कलेक्शनमिलावटी और नकली दूध का मामला सामने आने के बाद सांची ने भिंड, मुरैना, श्याेपुर के कुछ इलाकाें से दूध कलेक्शन बंद कर दिया। अब डबरा, शिवपुरी सहित अन्य इलाकाें से दूध कलेक्शन किया जा रहा है। सांची की खपत करीब 16-17 हजार लीटर प्रतिदिन है। जब निजी कंपनी ने अधिक रेट दिए ताे पशु पालक निजी कंपनियाें काे दूध बेचने लगे। अब सांची का प्रतिदिन का दूध कलेक्शन घटकर 8-10 हजार लीटर प्रतिदिन रह गया है।

फैक्ट फाइल

  • 05 से 7 लाख लीटर संभाग में दूध उत्पादन, 5 लाख लीटर दूध की खपत
  • 16 से 17 हजार लीटर प्रतिदिन सांची की खपत
  • 08 से 10 हजार लीटर प्रतिदिन सांची का दूध कलेक्शन

(नोट:-सांची संघ के पूर्व सीईओ अनुराग सेंगर के मुताबिक)

हम क्वालिटी से समझौता नहीं करते, इसलिए हमने अंचल में कुछ इलाकाें से दूध कलेक्शन बंद कर दिया। अब हम जहां से दूध खरीद रहे थे, वहां से भी निजी कंपनियाें के एजेंट अधिक दाम देकर दूध खरीदने लगे हैं। इससे कलेक्शन कम हुआ है। कमी काे पूरा करने के लिए हम बुंदेलखंड से दूध खरीदते हैं। इससे हमें कुछ नुकसान ताे हाेता ही है।

एमके धाकड़, सीईओ सांची दुग्ध संघ

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