झांसी अग्निकांड: दिन 12, मौत 18… कानूनी कार्रवाई जीरो ?
झांसी अग्निकांड: दिन 12, मौत 18… कानूनी कार्रवाई जीरो; जांच दर जांच में ही उलझा मामला; हर महकमा बचा रहा दामन
झांसी मेडिकल कॉलेज में हुए दिल दहलाने वाले अग्निकांड के 12 दिन हो गए। अग्निकांड में मरने वाले नवजातों की संख्या 18 तक पहुंच गई, लेकिन अभी तक किसी जिम्मेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।
Jhansi Medical College Fire …
झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में पूरे देश को झकझोर देने वाले अग्निकांड के 12 दिन गुजर गए। जान गंवाने वाले मासूमों की संख्या 18 तक पहुंच गई, लेकिन अभी तक किसी जिम्मेदार के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई शुरू नहीं हुई। कानूनी कार्रवाई करने से हर महकमा अपना दामन बचाता चल रहा है।
मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड में 15 नवंबर की रात भीषण आग में 10 नवजातों की मौके पर मौत हो गई थी। उसके बाद से रोजाना मौत का सिलसिला जारी रहा। इस मामले में मंडलायुक्त की ओर से जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। स्वास्थ्य चिकित्सा महानिदेशक की अगुवाई में एक उच्चस्तरीय टीम भी यहां जांच कर चुकी है।

Jhansi Medical College Fire
शासन ने इस घटना के पीछे जवाबदेही तय करके उनको इधर-उधर किया लेकिन किसी के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई कब आरंभ होगी, इस पर सब मौन हैं। यह स्थिति तब है, जब यह मामला राजनीतिक तूल पकड़ चुका। लखनऊ से दिल्ली तक में इसकी गूंज है। विपक्षी दल लगातार इसे मुद्दा बनाए हुए हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष भी आपराधिक मुकदमा दर्ज न कराए जाने पर नाराजगी जता चुके है लेकिन इसके बावजूद मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने किसी के खिलाफ कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में अभी तक किसी ने शिकायत नहीं की है। किसी ओर से तहरीर मिलने के बाद ही मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

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साल में सिर्फ एक बार किया था वार्ड का निरीक्षण, निलंबित
मेडिकल कॉलेज अग्निकांड की उच्चस्तरीय जांच में अवर अभियंता (विद्युत) संजीत कुमार की हद दर्जे की लापर्वाही सामने आई है। उन्होंने पिछले एक साल के दौरान एसएनसीयू वार्ड का केवल एक बार ही निरीक्षण किया था, वह भी बाल रोग विभागाध्यक्ष के अनुरोध पर। अब अवर अभियंता को निलंबित करते हुए आरोप पत्र थमा दिया गया है। मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड में लगी आग का कारण शॉर्ट सर्किट को माना गया है। घटना से पहले भी वार्ड में शॉर्ट सर्किट हुआ था लेकिन इसे नजरअंदाज कर दिया गया।
मेडिकल कॉलेज अग्निकांड की उच्चस्तरीय जांच में अवर अभियंता (विद्युत) संजीत कुमार की हद दर्जे की लापर्वाही सामने आई है। उन्होंने पिछले एक साल के दौरान एसएनसीयू वार्ड का केवल एक बार ही निरीक्षण किया था, वह भी बाल रोग विभागाध्यक्ष के अनुरोध पर। अब अवर अभियंता को निलंबित करते हुए आरोप पत्र थमा दिया गया है। मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड में लगी आग का कारण शॉर्ट सर्किट को माना गया है। घटना से पहले भी वार्ड में शॉर्ट सर्किट हुआ था लेकिन इसे नजरअंदाज कर दिया गया।

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स्थायी प्रधानाचार्य की तैनाती की संभावना
मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. एनएस सेंगर को हटाए जाने के बाद अब स्थायी प्रधानाचार्य की तैनाती को लेकर चर्चा चल रही है। कॉलेज के किसी वरिष्ठ शिक्षक को कार्यवाहक प्रधानाचार्य बनाकर काम चलाया जाएगा या शासन से स्थायी प्रधानाचार्य की तैनाती होगी, इसे लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में वर्षों से कार्यवाहक प्रधानाचार्यों से काम चलाया जा रहा है। हालांकि, चार साल पहले जरूर शासन ने डा. अनेजा को स्थायी प्रधानाचार्य बनाकर यहां भेजा था। लेकिन, बमुश्किल 10- 15 दिन ही वह यहां तैनात रहे थे।
मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. एनएस सेंगर को हटाए जाने के बाद अब स्थायी प्रधानाचार्य की तैनाती को लेकर चर्चा चल रही है। कॉलेज के किसी वरिष्ठ शिक्षक को कार्यवाहक प्रधानाचार्य बनाकर काम चलाया जाएगा या शासन से स्थायी प्रधानाचार्य की तैनाती होगी, इसे लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में वर्षों से कार्यवाहक प्रधानाचार्यों से काम चलाया जा रहा है। हालांकि, चार साल पहले जरूर शासन ने डा. अनेजा को स्थायी प्रधानाचार्य बनाकर यहां भेजा था। लेकिन, बमुश्किल 10- 15 दिन ही वह यहां तैनात रहे थे।

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इसके बाद उनका स्थानांतरण आगरा हो गया था। तब से डॉ. एनएस सेंगर ही कार्यवाहक प्रधानाचार्य का कार्यभार संभाले हुए थे। लेकिन, अग्निकांड की घटना के बाद उन्हें इस पद से हटा दिया गया है। माना जा रहा है कि अग्निकांड के बाद अब शासन यहां कार्यवाहक प्रधानाचार्य के भरोसे काम नहीं चलाएगा, बल्कि कॉलेज को स्थायी प्रधानाचार्य दिया जाएगा। वहीं, लोगों का यह भी मानना है कि जल्द स्थायी प्रधानाचार्य का इंतजाम करना आसान काम नहीं है। ऐसे में फिलहाल मेडिकल के किसी वरिष्ठ चिकित्सक को बतौर कार्यवाहक प्रधानाचार्य पद की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। इसे लेकर दो वरिष्ठ चिकित्सकों के नाम भी चर्चा में बने हुए हैं। हालांकि, एक-दो दिन में चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से प्रधानाचार्य की तैनाती की जा सकती है।

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फायर ऑडिट के लिए अभी तक नहीं गठित हो सकी टीम
डीआईजी कलानिधि नैथानी ने कुछ दिनों पहले ही अग्निशमन विभाग को सभी नर्सिंग होम समेत व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की फिर से जांच करने के आदेश दिए थे। उन्होंने जिन प्रतिष्ठानों में आग से बचाव के उपाय नहीं हैं, उनकी एनओसी निरस्त करने के लिए भी कहा था। अग्निशमन विभाग सिर्फ चुनिंदा नर्सिंग होम की ही जांच कर सका है। फायर ऑडिट के लिए टीम गठित नहीं हो सकी है।
डीआईजी कलानिधि नैथानी ने कुछ दिनों पहले ही अग्निशमन विभाग को सभी नर्सिंग होम समेत व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की फिर से जांच करने के आदेश दिए थे। उन्होंने जिन प्रतिष्ठानों में आग से बचाव के उपाय नहीं हैं, उनकी एनओसी निरस्त करने के लिए भी कहा था। अग्निशमन विभाग सिर्फ चुनिंदा नर्सिंग होम की ही जांच कर सका है। फायर ऑडिट के लिए टीम गठित नहीं हो सकी है।

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फिर जांच करेंगे मंडलायुक्त
अग्निकांड की जांच रिपोर्ट एक सप्ताह पहले मंडलायुक्त ने शासन को भेजी थी। इसमें उन्होंने अग्निकांड को हादसा मानते हुए किसी को दोषी नहीं ठहराया था। अब शासन ने फिर मंडलायुक्त बिमल कुमार दुबे को ही आरोपियों की भूमिका की जांच की जिम्मेदारी दी है। हालांकि उनका कहना है कि शासन से इस संबंध में कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है।
अग्निकांड की जांच रिपोर्ट एक सप्ताह पहले मंडलायुक्त ने शासन को भेजी थी। इसमें उन्होंने अग्निकांड को हादसा मानते हुए किसी को दोषी नहीं ठहराया था। अब शासन ने फिर मंडलायुक्त बिमल कुमार दुबे को ही आरोपियों की भूमिका की जांच की जिम्मेदारी दी है। हालांकि उनका कहना है कि शासन से इस संबंध में कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है।