पुलवामा अटैक के एक साल बाद भी आतंकी हमलों की चुनौती बरकरार

लवामा हमले के एक साल बाद भी आतंकी हमलों की चुनौतियां सुरक्षा एजेसियों के लिए कम नहीं हुई हैं। बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भी पाकिस्तान की ओर से बड़े हमलों को अंजाम देने की साजिश के मकसद से घुसपैठ कराई जा रही है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के निर्देशन में सभी खुफिया एजेंसियां तालमेल के साथ सुरक्षा बलों से इनपुट साझा कर रही हैं। अमेरिका, फ्रांस सहित कई अन्य देशों से लगातार खुफिया इनपुट साझा किया जा रहा है।

पुलवामा हमले में संभावित चूक को लेकर कोई रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई। लेकिन जांच के तथ्यों के आधार पर काफी काम किया गया है जिससे पुलवामा जैसी घटना दोहराई न जा सके। एक अधिकारी के मुताबिक पहले से इस मामले में एसओपी है। किसी भी रूट पर काफिले के मूवमेंट के दौरान आवाजाही पूरी तरह से रोक दी जाती है। गाड़ियों के मूवमेंट के पहले ड्रिल कराई जाती है। खुफिया इनपुट को खंगाला जाता है। एक अधिकारी ने कहा कि पुलवामा हमले की एक वजह आंतरिक चूक भी थी इसे इंकार नहीं किया जा सकता।

हमले के बाद बदली रणनीति, जोश बढ़ा 
इस हमले से दुश्मनों को खत्म करने का संकल्प और मजबूत हुआ है। यही वजह है कि जवान अब आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान अतिरिक्त जोश के साथ लड़ते हैं। सीआरपीएफ ने सबक लेते हुए भारतीय सुरक्षा बलों ने अपनी रणनीति भी बदली है जिसके असर दिख रहे हैं-
-अब जवानों की आवाजाही अन्य सुरक्षा बलों और सेना संग तालमेल से होती है
-जवानों को ले जाने वाले वाहनों को बुलेट-प्रूफ बनाने की प्रक्रिया तेज की गई
-जैश-ए-मोहम्मद का स्वयंभू प्रमुख कारी यासिर पिछले महीने मारा गिराया
-वायुसेना ने 26 फरवरी, 2019 को पाक के बालाकोट,मुजफ्फराबाद और चकोटी स्थित आतंकी कैंपों पर बम बरसाए

क्या हुआ था उस दिन
दरअसल, जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सीआरपीएफ का काफिला गुजर रहा था। सामान्य दिन की तरह ही उस दिन भी सीआरपीएफ के वाहनों का काफिला अपनी धुन में जा रहा था। तभी तभी एक कार ने सड़क की दूसरी तरफ से आकर इस काफिले के साथ चल रहे वाहन में टक्‍कर मार दी। इसके साथ ही एक जबरदस्‍त धमाका हुआ। यह आत्मघाती हमला इतना बड़ा था कि मौके पर ही सीआरपीएफ के करीब 42 जवान शहीद हो गए।

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