एक साल में 58 हजार युवाओं को नौकरी दी, हकीकत: 3 मेलों में 686 चयनित लेकिन जॉब नहीं

तीन रोजगार मेलों की …. ने की पड़ताल:दावा: एक साल में 58 हजार युवाओं को नौकरी दी, हकीकत: 3 मेलों में 686 चयनित लेकिन जॉब नहीं

बेराेजगाराें काे जाॅब दिलाने प्रदेश के हर जिले में राेजगार मेले लगाए जा रहे हैं। विधानसभा सत्र में रोजगार मंत्री गौतम टेटवाल ने पिछले एक साल में प्रदेशभर में राेजगार मेलाें के माध्यम से 58351 युवाओं काे निजी कंपनियाें में जाॅब देने का दावा किया। लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग है।

दैनिक भास्कर ने रायसेन और नर्मदापुरम जिलों के तीन रोजगार मेलों की पड़ताल की। इसमें निजी कंपनियों ने जिन 686 बेरोजगारों को जॉब के लिए चयनित करने का दावा किया, उन सभी युवाओं से दैनिक भास्कर ने बात की तो एक को भी नौकरी न मिलने की चौंकाने वाली बात सामने आई।

जिन कंपनियों ने चयनित किया था, उनमें जब ये बेरोजगार पहुंचे तो इन्हें ऐसी शर्तें बता दीं कि जिससे वे खुद ही जॉब से इनकार कर दें। युवाओं से ट्रेनिंग के नाम पर दस हजार रुपए मांगे गए।

किसी को ऑफिस वर्क का वादा किया गया और सेल्समैन और लेबर का काम देने की बात कही गई। मेले में जो सैलरी बताई, वह बाद में आधी ही देने की बात कही। मालूम हो कि प्रदेश सरकार ने विस में प्रदेश में 261745 बेरोजगार माने हैं। 686 युवाओं में से 90 के या तो फाेन बंद मिले या उन्होंने कॉल उठाए नहीं। इनमें से 596 युवाओं से दैनिक भास्कर ने फोन पर जॉब के संबंध में बात की। इस बातचीत में यह स्पष्ट हुआ कि एक भी युवा को जॉब नहीं मिली।

रायसेन जिले के शासकीय कॉलेज में 24 अगस्त 24 को राेजगार मेला लगा। इसमें 105 बेराेजगार युवाअाें काे नाैकरी दी गई। 46 युवकों ने बताया कि चयन के बाद कॉल नहीं आया। 17 ने कहा कि नौकरी का वादा करके एजेंट बना रहे थे। 9 ने कहा कि एजुकेशन के मुताबिक जॉब नहीं थी। 33 ने कहा कि ट्रेनिंग के नाम पर पैसा मांगा। नर्मदापुरम में नर्मदा महाविद्यालय से निखिल गौर ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे हैं। 21 अक्टूबर 2024 को आयोजित रोजगार मेले में इनका चयन अनूपपुर की जील कंपनी में किया गया था। 18 हजार सैलरी और अन्य सुविधाएं देने का वादा किया गया था। निखिल कहते हैं कि जब ज्वाइन करने के लिए अनूपपुर पहुंचे तो ट्रेनिंग के नाम पर दस हजार रुपए मांगे।

रायसेन जिले के ही सिलवानी में 24 सितंबर को आयोजित रोजगार मेले में 310 युवाओं का चयन किया गया। भास्कर ने सभी युवाओं को कॉल किए तो 42 ने फोन नहीं उठाए। जिन 269 युवाओं से बात हुई उनमें से 106 ने कहा कि चयन के बाद कॉल नहीं आया। जबकि चयन करते समय कहा था कि आपका सिलेक्शन हो गया, आपके पास कॉल आएगा। 54 ने कहा कि नौकरी के बजाय एजेंट बना रहे थे। 69 ने कहा कि जब जॉब के लिए कंपनी पहुंचे तो जो काम बताकर चयन किया गया था, उसके बजाय लेबर वाला काम दे रहे थे। 40 ने कहा कि ट्रेनिंग के नाम पर पैसा मांग रहे थे और सैलरी भी आधी बता रहे थे।

रायसेन के उदयपुरा के नीरज राजपूत बताते हैं कि सिलवानी जनपद में लगे रोजगार मेले में एलएंडटी कंपनी ने चयन किया था। 18 हजार का वेतन बताया। जब कंपनी ने ज्वाइनिंग के संबंध में फोन किया तो बताया कि सड़क बनाने का काम सीखने के लिए हैदराबाद जाना है। तीन माह की ट्रेनिंग के बाद आपको लेबर के तौर पर काम करना होगा। इसके बदले आपको 15 हजार का वेतन दिया जाएगा। इसे बढ़ाकर बाद में 18 हजार कर दिया जाएगा। जॉब के लिए ऑफर दिया था लेकिन बाद में लेबर का काम देने के बारे में बताया। इसलिए ज्वाइन नहीं किया।

मॉनीटरिंग का सिस्टम बनाऊंगा

मेलों में चयन और ऑफर मिलने के बाद की मॉनिटरिंग नहीं है। हम इसके लिए जल्द ही एक पूरा सिस्टम तैयार करने वाले हैं। ऑफर के बाद नौकरी मिलने के छह माह के बाद तक मॉनिटरिंग की जाएगी। इस सिस्टम को डेवलप करने में थोड़ा समय जरूर लगेगा। – गौतम टेटवाल, कौशल विकास एवं रोजगार राज्य मंत्री

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