सौरभ शर्मा की अग्रिम जमानत निरस्त, अभी भी दुबई में ही है RTO का पूर्व आरक्षक ?
मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग में आरक्षक रहते भोपाल के सौरभ शर्मा ने खूब भ्रष्टाचार किया, जिसके खुलासे पूरे देश को हैरान कर रहे हैं। अब पता चला है कि सौरभ शर्मा ने सरकारी नौकरी भी फर्जी तरीके से पाई थी। बड़ा भाई पहले से सरकारी नौकरी में है, यह बात सौरभ की मां ने छिपाई थी।
- फरार सौरभ शर्मा ने अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी
- अधिवक्ता के माध्यम से जिला कोर्ट में लगाई थी अर्जी
- अपराध की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने निरस्त की
ग्वालियर। मप्र परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा ने गुरुवार को अपने अधिवक्ता के माध्यम से जिला कोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी पेश की। जिसकी सुनवाई करते हुए विशेष न्यायाधीश (लोकायुक्त) राम प्रसाद मिश्र ने उनकी अग्रिम जमानत निरस्त कर दी।
सौरभ की ओर से ग्वालियर से उसके अधिवक्ता उपस्थित हुए। सौरभ के अधिवक्ता आरके पाराशर ने बताया कि आरोपित छापामारी के समय लोक सेवक नहीं था। न्यायालय में अपनी दलील में उन्होंने कहा कि सौरव पीसी एक्ट में लोक सेवक की परिभाषा के अंतर्गत ही नहीं आता है। उसने वर्ष 2023 में ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी और वह सरकार से किसी तरीके की पेंशन प्राप्त नहीं करता है।
चौंकाने वाली बात है कि पूर्व आरक्षक अनुकंपा नियुक्ति से नौकरी में आया था और मात्र छह से सात वर्ष नौकरी कर उसने पद से वीआरएस ले लिया था। अगर उसे जमानत का लाभ दिया जाता है तो वह लोकायुक्त जांच में उनका पूरा सहयोग करेगा।
जमानत निरस्त होने के लिए ये तर्कइस पर आपत्ति लेते हुए सरकारी अधिवक्ता विवेक गौर ने पक्ष रखा की पूर्व आरक्षक का मूल पद लोक सेवक का है। उसके घर से अकूत संपत्ति बरामद हुई है, जांच में किसी भी तरह का सहयोग नहीं कर रहा है।
अगर उसे जमानत का लाभ दिया जाता है तो गिरफ्त में नहीं आएगा और उसके द्वारा अर्जित की हुई अकूत संपत्ति किन साधनों से प्राप्त की। इस बात की जानकारी नहीं जुटाई जा सकेगी। इसलिए जमानत का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए।
मां ने झूठा शपथ पत्र देकर सौरभ शर्मा को दिलाई थी अनुकंपा नियुक्ति
नियुक्ति के लिए दिए गए शपथ पत्र में बड़े बेटे की सरकारी नौकरी का सच छिपाया। शपथ पत्र में लिखा था- बड़ा बेटा अपने परिवार के साथ छत्तीसगढ़ के रायपुर में रहता है, वह शासकीय सेवा में नहीं है।
इसी शपथ पत्र के आधार पर सौरभ को परिवहन विभाग में अनुकंपा नियुक्ति मिली और फिर वह परिवहन विभाग के दांव-पेंच सीखकर मंत्री और अफसरों के करीब पहुंच गया। परिवहन विभाग की काली कमाई का बड़ा हिस्सा मैनेज करने लगा।
लोकायुक्त पुलिस ने जब्त किए नियुक्ति के दस्तावेज
- लोकायुक्त भोपाल से ग्वालियर आई टीम उसके नियुक्ति संबंधी दस्तावेज परिवहन मुख्यालय से जब्त कर ले गई है। इसमें शपथ पत्र भी शामिल है। सौरभ के पिता डॉ. राकेश का निधन 20 नवंबर 2015 को हुआ था।
- उनके दो बेटे- सचिन और सौरभ हैं। बड़ा बेटा सचिन उस समय परिवार के साथ छत्तीसगढ़ के रायपुर में था, क्योंकि वह सरकारी नौकरी में है। वर्तमान में सचिन डिप्टी डायरेक्टर फाइनेंस है।
- 12 जुलाई 2016 को उमा द्वारा सौरभ की नियुक्ति के लिए शपथ पत्र दिया गया। इसमें लिखा गया कि उनके परिवार का कोई भी सदस्य शासकीय अथवा निगम मंडल, परिषद आयोग में नियमित या नियोजित नहीं है।
- छोटा बेटा सौरभ ही उनकी देखरेख करता है, उसी पर निर्भर हैं, इसलिए सौरभ को नियुक्ति दिए जाने की बात उमा द्वारा शपथ पत्र में लिखी गई। अब मां और सौरभ पर हो धोखाधड़ी की एफआईआर हो सकती है।
- एफआईआर के अतिरिक्त शासन को गुमराह कर नौकरी हासिल की गई तो उसने जितने समय विभाग में नौकरी की उसका पूरा वेतन और भत्तों की वसूली भी की जा सकती है।
अफसरों से लेकर मंत्री तक की हर बात की करता था रिकॉर्डिंगसौरभ के बारे में परिवहन विभाग के कर्मचारी और अधिकारी दबी जुबान में बताते हैं कि वह मामूली आरक्षक था, लेकिन उसका रहन-सहन अफसरों जैसा था। वह सूट-बूट में रहता था। परिवहन विभाग में बड़े पद पर रहे एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सौरभ पर एक मंत्री की कृपा रही। वह इतना शातिर था कि जो अफसर और नेता उसको अपना करीबी मानते थे, उनकी कॉल रिकॉर्डिंग करता था।
वह मोबाइल के अलावा ऐसी डिवाइस का इस्तेमाल करता था। एक माननीय जब बाहर जाते थे तो ड्राइवर तक साथ नहीं जाता था, लेकिन सौरभ साथ रहता था। जहां माननीय रुकते थे, वहीं सौरभ के रुकने का इंतजाम होता था। लेनदेन के सारे गोपनीय काम वह देखता था।
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सौरभ शर्मा के पास स्कूल बनाने में खर्च राशि कहां से आई, जांच में जुटा आयकर विभाग
मध्य प्रदेश परिवहन विभाग में रहे सौरभ शर्मा के खिलाफ आयकर विभाग ने जांच शुरू की है। अब जांच के घेरे में वो अधिकारी भी शामिल हैं, जिन्होंने सौरभ शर्मा की मदद की है। भोपाल में बन रहे स्कूल में भी अघोषित आय के उपयोग होने का संदेह जताया जा रहा है।
- सौरभ के खिलाफ दर्ज प्रकरण के आधार पर प्रवर्तन निदेशालयने भी जांच शुरू की है।
- डायरी के आधार पर 50 से भी अधिक अधिकारी-कर्मचारियों से हो सकती है पूछताछ।
- आयकर विभाग को सौरभ के पास बड़ी राशि की बेनामी संपत्तियों का भी पता चला है।
भोपाल(Bhopal IT Raid)। काली कमाई से करोड़ों रुपये इकट्ठा करने के आरोपित मध्य प्रदेश परिवहन विभाग में आरक्षक रहे सौरभ शर्मा की घेराबंदी बढ़ती जा रही है। सौरभ का सहयोग करने वाले परिवहन अधिकारी भी आयकर विभाग के निशाने पर हैं।
ऐसे में, आयकर विभाग यह पता करने की कोशिश करेगा कि स्कूल बनाने में कितनी राशि खर्च की जा रही थी। यह राशि कहां से आई। समिति की भूमिका क्या है। स्कूल के निर्माण के लिए यदि अधिकारियों ने नियम विरुद्ध अनुमति दी है तो उनसे भी पूछताछ की जाएगी।
इसके अतिरिक्त उन अधिकारियों से भी पूछताछ होगी, जिनका नाम बरामद डायरी में मिला है। यह डायरी उस कार मिली थी, जिसमें 54 किलो सोना और लगभग 10 करोड़ रुपये नकद रखे थे। आयकर अधिकारियों ने नकदी, सोना और कार में मौजूद अन्य सामग्री जब्त की थी।
डायरी में आरटीओ, परिवहन चेक पोस्ट के अधिकारियों और कुछ नेताओं के नाम भी बताए जा रहे हैं। इस आधार पर 50 से भी अधिक अधिकारी व कर्मचारियों को नोटिस देकर बयान देने के लिए बुलाया जा सकता है।
वहीं, सौरभ के कर्मचारी, ड्राइवर, पत्नी, मां, रिश्तेदार (जिनके नाम संपत्ति के दस्तावेज मिले हैं) और शरद जायसवाल सहित कुछ मित्रों से भी पूछताछ की तैयारी है। लोकायुक्त पुलिस द्वारा आय से अधिक संपत्ति के मामले में सौरभ के विरुद्ध दर्ज प्रकरण के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी जांच शुरू की है।
बीडीए ने वर्ष 2004 स्कूल निर्माण के लिए दी थी जमीन
स्कूल का निर्माण एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के माध्यम से किया जा रहा था। भोपाल विकास प्राधिकरण (बीडीए) ने वर्ष 2004 में राजमाता शिक्षा समिति को यह जमीन आवंटित की थी। शर्त यह थी कि तीन वर्ष में स्कूल का निर्माण कर लिया जाएगा, पर निर्माण वर्ष 2022 में प्रारंभ हुआ।
अनुमति के अनुसार, निर्माण नहीं होने पर फरवरी 2023 में तत्कालीन नगर निगम आयुक्त वीएस चौधरी कोलसानी ने निर्माण पर रोक लगा दी थी। कुछ दिन बाद निर्माण फिर शुरू हुआ तो शाहपुरा हाउस आनर्स एसोसिएशन ने हाई कोर्ट में निर्माण पर रोक के लिए याचिका लगाई।
समिति के पक्ष में निर्णय आने पर निर्माण फिर प्रारंभ हुआ, जो अभी तक जारी था। रहवासियों का तर्क यह भी था कि जहां स्कूल बन रहा है, वह ओपन स्पेस था।
लोकायुक्त पुलिस से सौरभ की संपत्ति की मांगी जानकारीआयकर विभाग को सौरभ के पास बड़ी राशि की बेनामी संपत्तियों का भी पता चला है। आयकर विभाग ने लोकायुक्त पुलिस को पत्र लिखकर बेनामी व अन्य संपत्तियों की जानकारी मांगी है। इसके अतिरिक्त विभाग यह भी पता कर रहा है कि सौरभ के नाम पर तो किस ने बेनामी संपत्ति बनाई थी।