ग्वालियर : मिलीभगत या लापरवाही; खुलेआम बिक रहे हैं प्लॉट:जिम्मेदार कौन?

मिलीभगत या लापरवाही; खुलेआम बिक रहे हैं प्लॉट:जिम्मेदार कौन?
सरकारी जमीन बिकती रही तब चुप रहे अफसर, अब मकान बनाने वालों को दिए तोड़ने के नोटिस
  • नोटिस के बाद 150 परिवार संकट में, प्रकरण कोर्ट व राजस्व न्यायालयों में

शहर में सक्रिय भू-​माफिया सरकारी जमीन को खुलेआम बेचते रहे, तब तक राजस्व अमले को भनक नहीं लगी। मकान बन गए, लेकिन निगम के अमले को यह नहीं दिखता। अब जब माफिया और प्रशासन की साठगांठ से सरकारी जमीन पर कॉलोनी बस गई तब जिम्मेदारों को अहसास हुआ।

आनन-फानन में ऐसी कॉलोनियों में बने मकानों को अवैध निर्माण बताते हुए तोड़ने के नोटिस देना शुरू कर दिए हैं। इसकी सर्वाधिक शिकायतें, थाटीपुर, गोल पहाड़िया, बरा, नारायण विहार आदि में हैं। यहां लगभग 150 मकान बन चुके हैं। भू- माफिया आज भी प्लाट बेच रहे हैं, नए निर्माण धड़ल्ले से हो रहे हैं, लेकिन इस मामले में फिर से संबंधित विभागों ने चुप्पी साध ली है।

भू-माफिया से अधिकारियों की साठगांठ, खुले में लगाए बोर्ड और मकान निर्माण कार्य भी निरंतर जारी

माफिया ने नोटरी कर बेची जमीन, पकड़ से बाहर

कोटा लश्कर में सर्वे नंबर 1887 से 89 की दो बीघा सरकारी जमीन पर कालिका विहार बस रही है। यहां 45 मकान बन चुके हैं, इन्हें नोटिस देकर 5 दिसंबर को सुनवाई के लिए बुलाया था, जो रह गए हैं उन्हें नोटिस जारी होंगे। मोहनदास ने कहा 2015 में चंदन कुशवाह से मकान खरीदा था। नोटिस दूसरी बार मिला है। हरिसिंह के नाती ने बताया कि 4 साल पहले बाबा ने मकान खरीदा है। नोटरी के आधार पर दीपक यादव ने जमीन खरीदी है, उनका मकान रविवार को बनते मिला। जब उसे जमीन सरकारी होने की बात बताई तो उन्होंने काम बंद करने की बात कही।

निजी जमीन का नंबर डाल सरकारी जमीन पर दिया कब्जा

सरकारी रिकॉर्ड में सीलिंग के नाम पर दर्ज 6 सर्वे नंबरों की 3 बीघा जमीन पर बेलदार का पुरा में 58 मकान हैं। प्रशासन ने मुकेश कुशवाह को नोटिस दिया था। कुशवाह निजी जमीन का नंबर डालकर सरकारी जमीन पर कब्जा दे रहा था। यहां 800 वर्ग फीट का मकान 17 लाख में योगेश ने बैंक से लोन लेकर खरीदा है। मतलब साफ है कि माफिया ने पंजीयन, राजस्व सभी से साठगांठ है। यहां आज भी खुलेआम प्लॉट की बिक्री हो रही है।

मंदिर की 22 बीघा शासकीय जमीन, जनकपुरी बसाई

माफी मंदिर रामजानकी की 22 बीघा जमीन पर अवैध जनकपुरी कॉलोनी बस रही है। यहां अभी भी प्लॉट बिकाऊ हैं, जिसके बोर्ड जगह-जगह लगे हैं, लेकिन यह राजस्व और निगम अमले को नहीं दिखते। यहां अजय साहू से बात की तो उसने कहा कि 800 वर्ग फीट का प्लॉट 17 लाख में पड़ेगा। राजस्व अमले ने 3 सर्वे नंबरों पर बने सिर्फ 28 मकानों के मालिकों को नोटिस दिए हैं। इस जमीन पर ढाबा, बिल्डिंग मटेरियल का काम हो रहा है।

जांच में मिली नोटरी से माफियाओं के नाम हुए उजागर, लेकिन कार्रवाई किसी पर नहीं

  • सरकारी जमीन बेचने वालों के नाम नोटरी से उजागर हो चुके हैं। एसडीएम अतुल सिंह ने एफआईआर के लिए पत्र लिखा, लेकिन साडा ने अभी तक एफआईआर नहीं कराई है।
  • कालका विहार सहित कई क्षेत्रों में अतिक्रमण हटाने के लिए कोर्ट आदेश दे चुका है। इसके बाद ही नोटिस जारी हो चुके हैं, लेकिन अधिकांश लोगों नोटिस नहीं मिले हैं।
  • लश्कर एसडीएम डॉ.नरेश बाबू यादव ने कहा कि न्यू सुरेश नगर में भी 50 मकान सरकारी जमीन पर बने हैं। इन्हें हटाने के लिए नोटिस की कार्रवाई पूरी हो चुकी है।

पूर्व कलेक्टर

प्रशासन लचर, माफिया पर नहीं कर पा रहा कार्रवाई

सरकार ने अवैध कॉलोनी काटने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। ऐसी लगभग 1500 कॉलोनी अभी सूचीबद्ध कर ली गई हैं, लेकिन किसी भी माफिया को जेल भेजने में जिम्मेदार नाकाम रहे हैं। यही कारण है कि भू-माफिया के हौंसले बुलंद हैं। कुछ मामलों में एफआईआर हो भी गई, उसके बाद न तो संबंधित विभाग के अधिकारी-कर्मचारी कार्रवाई कराने पहुुुंचे और न पुलिस ने ऐसे मामलों में रुचि ली। सरकारी जमीन पर बने कुछ मकान तोड़ने से इस समस्या का समाधान नहीं होगा। सरकारी जमीन बेचने वालों के खिलाफ सख्ती से ही समस्या का समाधान होगा। ​फिलहाल लोगों के मकान तोड़ने के साथ ही उन्हें सरकारी योजनाओं में प्राथमिकता के आधार पर आवास देने चाहिए।

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