ग्वालियर स्मार्ट सिटी के 38 प्रोजेक्टों की जांच भोपाल से ?
- बड़ा सवाल ये… निगम कमिश्नर ही अब सीईओ तो कौन रोक रहा जांच
स्मार्ट सिटी द्वारा 7 साल में 38 प्रोजेक्ट जांच के घेरे में हैं। नगर निगम कमिश्नर अमन वैष्णव ने इनकी जांच के लिए एक समिति बनाने के आदेश दिए तो अंदरखाते हंगामा मच गया। इसके दो कारण थे- पहला कमिश्नर खुद स्मार्ट सिटी के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं। दूसरा स्मार्ट सिटी सीईओ नीतू माथुर भी सीनियर आईएएस हैं।
निगम के अपर आयुक्तों की कमेटी को जांच दी गई। इनमें कोई भी आईएएस नहीं है। जांच शुरू करने से पहले ही सीईओ श्रीमती माथुर ने भोपाल से मार्गदर्शन मांगा और जांच अटक गई। इसी बीच उनका तबादला हो गया। अब खुद निगम कमिश्नर ही स्मार्ट सिटी सीईओ हैं। बड़ा सवाल यह है कि अब उन्हें जांच करने से कौन रोक रहा है।
स्मार्ट सिटी के कामों पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। पहले ईओडब्ल्यू में शिकायत हुई और फिर निगम परिषद ने भ्रष्टाचार की जांच ईडी से कराने का प्रस्ताव पास कर दिया था। हालांकि इसे निगम कमिश्नर अमन वैष्णव ने पुनर्विचार के लिए पुन: परिषद के पास भेज दिया है। इस मामले में भरत यादव आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।
9 अक्टूबर…जांच समिति का गठन

निगम परिषद के ठहराव क्रमांक 153 को नियमों के खिलाफ बताते हुए पुनर्विचार की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि विशेष बैठक में पारित ये ठहराव नियम 2005 के तहत वैध नहीं हैं, क्योंकि बैठक महापौर परिषद के बजाय निगम आयुक्त द्वारा बुलाई गई थी। आयुक्त ने इन ठहरावों को परिषद की बैठक में पुनः प्रस्तुत कर कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की आवश्यकता जताई।
जांच से पहले आया तबादला आदेश
9 अक्टूबर को कमिश्नर ने मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई। इसमें निगम के अपर आयुक्त और उपायुक्त शामिल रखे।
19 अक्टूबर तक जांच पूरी कर रिपोर्ट देनी थी, लेकिन जांच शुरू नहीं हुई।
21 अक्टूबर को नगर निगम परिषद ने स्मार्ट सिटी के कामों की जांच ईडी से कराने का प्रस्ताव पास कर दिया
23 अक्टूबर सीईओ ने दस्तावेज नहीं दिए। भोपाल मार्गदर्शन की चिट्ठी लिखी। इसके बाद मामले की जांच रुक गई।
8 दिसंबर को सीईओ नीतू माथुर का तबादला।
10 दिसंबर को निगम कमिश्नर अमन वैष्णव ने सीईओ का भी चार्ज ले लिया।
23 अक्टूबर… सीईओ ने मार्गदर्शन मांगा

ग्वालियर स्मार्ट सिटी सीईओ (अब तबादला) नीतू माथुर ने आयुक्त भरत यादव को पत्र लिखकर जांच समिति पर सवाल उठाए। उन्होंने लिखा कि बोर्ड आफ डायरेक्टर द्वारा अनुमोदित मामलों की जांच कनिष्ठ अधिकारियों (अपर आयुक्त-कार्यपालन स्तर) से कराना गाइड लाइन के खिलाफ है। ऐसे में पीडीएमसी कर्मचारियों के वेतन भुगतान और वेरिएशन से जुड़े मुद्दों पर मार्गदर्शन दें।
लापरवाही से प्रोजेक्टों की बढ़ी कीमत
- आईएसबीटी : पहले ~55 करोड़ में काम होना था। 10 करोड़ बढ़ाकर रिवाइज किया गया। इसपर सबसे बड़ा सवाल है।
- स्मार्ट स्कूल : शिक्षा नगर में 14 करोड़ रुपए की लागत से स्मार्ट स्कूल बनना था। लेकिन निर्माण कार्य में देरी होने के कारण इसकी लागत बढ़कर 15.50 करोड़ हो गई।
- सड़क : न्यू कलेक्ट्रेट से विवेकानंद नीडम तक की 6.50 करोड़ में बनना तय हुई थी। इसकी राशि में 9 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर दी गई है।
- इस तरह कुल मिलाकर 38 प्रोजेक्टों में से 20 प्रोजेक्ट में एक्सेस वेरिएशन है। इस पर आपत्ति ली गई है।
29 अक्टूबर…पुनर्विचार की सिफारिश

निगमायुक्त अमन वैष्णव ने 5 सदस्यीय समिति बनाई। इसमें अध्यक्ष विजय राज, सदस्य मुनीष सिकरवार दोनों अपर आयुक्त, अनिल दुबे उपायुक्त, श्रीकांत काटे व एपीएस जादौन दोनों प्रभारी कार्यपालन यंत्री को शामिल किया था। इन्हें 10 दिन में एक्सेस वेरिएशन, पीडीएमसी (आईपीएल ग्लोबल) की अनुबंध शर्तों सहित स्मार्ट सिटी के 38 प्रोजेक्ट की जांच करनी थी।
कुछ भी कहने से बचे जिम्मेदार
भोपाल से अभी इस संबंध में कोई मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है, इस बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। – अमन वैष्णव, ग्वालियर निगम कमिश्नर
अब मैं ग्वालियर स्मार्ट सिटी सीईओ नहीं हूं, मेरा तबादला हो गया है। अब मुझे इस मामले में कुछ भी नहीं कहना है। – नीतू माथुर, तत्कालीन सीईओ, स्मार्ट सिटी
ग्वालियर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के 38 प्रोजेक्ट की जांच शुरू हो चुकी है। अभी जांच पूरी नहीं हुई है। -मुनीष सिंह सिकरवार,अपर आयुक्त ननि