क्या है इंटरपोल का “सिल्वर नोटिस”, सीमा पार छिपी अवैध संपत्तियों का कैसे लगाएगा पता?

 क्या है इंटरपोल का “सिल्वर नोटिस”, सीमा पार छिपी अवैध संपत्तियों का कैसे लगाएगा पता?

इंटरपोल के कई अलग अलग रंग-कोडेड नोटिस होते हैं, जिनका इस्तेमाल अपराधियों और महत्वपूर्ण जानकारी से जुड़ी घटनाओं के बारे में दुनिया भर में सूचनाएं साझा करने के लिए किया जाता है. 

नए साल से भारत सरकार ने भगोड़ों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की योजना बनाई है, खासकर उन अपराधियों के लिए जो देश में अपराध करके विदेश भाग जाते हैं या विदेशों में जाकर अपनी अवैध संपत्तियों को छिपा कर रखते हैं. 

दरअसल इंटरपोल ने 10 जनवरी को एक नया “सिल्वर नोटिस” जारी किया है, जिसका उद्देश्य उन अपराधियों का पता लगाना, और उन पर कार्रवाई करना है. जिसने विदेशों में अवैध संपत्तियां छिपा रखा है. यह कदम भारत सहित 52 देशों के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया है और इसका उद्देश्य अपराधियों द्वारा अर्जित धन से बनी संपत्तियों पर नकेल कसना है. आने वाले समय में यह नोटिस पूरी दुनिया के 195 देशों में लागू किया जाएगा.

ऐसे में इस रिपोर्ट में विस्तार से जानते हैं कि आखिर ये सिल्वर नोटिस क्या है और इसकी मदद से सरकार सीमा पार छिपी अवैध संपत्तियों का कैसे लगाएगी पता?

क्या है सिल्वर नोटिस 

सिल्वर नोटिस एक नया इंटरपोल का टूल है, जो देशों को यह मदद करने के लिए बनाया गया है कि वे अपराधियों से जुड़ी संपत्तियों का पता लगा सकें और उन्हें वापस हासिल कर सकें. इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपराध से जुड़े संपत्तियों की पहचान करना, उनका पता लगाना और उन्हें जब्त करना है, जैसे कि धोखाधड़ी, मादक पदार्थों की तस्करी, भ्रष्टाचार आदि से जुड़ी संपत्तियां.

इस नोटिस का खासतौर पर उन मामलों में इस्तेमाल होता है, जहां अपराधी अपनी अवैध संपत्तियों को विदेश में छिपाते हैं. इससे देशों को जानकारी मिलती है कि वे अपराधियों की संपत्तियों को ढूंढ़कर, जब्त करके या वापस लेकर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकें.

सिल्वर नोटिस का प्रयोग इस तरह किया जाता है कि अगर कोई देश या सरकार एक अपराधी की अवैध संपत्तियों के बारे में जानकारी चाहती है, तो वह इसे इंटरपोल के माध्यम से अन्य देशों से साझा कर सकती है. इसके बाद, उन देशों को जानकारी मिलती है और वे अपराधियों की संपत्तियों का पता लगाकर उन्हें जब्त करने में मदद कर सकते हैं.

क्या है इंटरपोल का

कई अलग अलग रंग के होते हैं नोटिस 

इंटरपोल के कई अलग अलग रंग-कोडेड नोटिस होते हैं, जिनका इस्तेमाल अपराधियों और महत्वपूर्ण जानकारी से जुड़ी घटनाओं के बारे में दुनिया भर में सूचनाएं साझा करने के लिए किया जाता है. 

  • रेड नोटिस: यह एक “पकड़ो” नोटिस है. अगर कोई व्यक्ति अपराध करने के बाद भाग जाता है, तो ये नोटिस दुनिया भर में पुलिस को बताता है कि उस व्यक्ति को पकड़ने के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि वह अपने देश में वापस लाया जा सके.
  • येलो नोटिस: यह नोटिस लापता व्यक्तियों, खासकर बच्चों, को ढूंढने में मदद करता है. यह उन लोगों के लिए जारी किया जाता है जिनकी पहचान नहीं हो पाई हो या जो गायब हो गए हों.
  • ब्लू नोटिस: यह एक “जानकारी इकट्ठा करो” नोटिस है. इसका इस्तेमाल तब होता है जब पुलिस को किसी व्यक्ति के बारे में और जानकारी चाहिए, जैसे कि उसकी पहचान, गतिविधियां या वह कहां है, ताकि जांच में मदद मिल सके.
  • ब्लैक नोटिस: यह एक “अज्ञात शव” नोटिस है. जब कोई शव पहचाना न जा सके, तो यह नोटिस जारी किया जाता है ताकि उसकी पहचान की जा सके.
  • ग्रीन नोटिस: यह किसी व्यक्ति के बारे में चेतावनी देने के लिए जारी किया जाता है, अगर वह व्यक्ति भविष्य में कोई अपराध करने की योजना बना रहा हो या वह सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरे का कारण बन सकता हो.
  • ऑरेंज नोटिस: यह एक “खतरे” की चेतावनी है. यह तब जारी होता है जब किसी घटना, व्यक्ति, वस्तु या प्रक्रिया से तुरंत कोई गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है, जैसे कि आतंकवादी हमला या किसी प्रकार का बड़ा खतरा.
  • पर्पल नोटिस: यह अपराधियों द्वारा इस्तेमाल किए गए तरीके, उपकरण, या वस्तुओं के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए होता है. अगर पुलिस को यह जानना हो कि अपराधी किस तरह से अपना अपराध करते हैं, तो यह नोटिस जारी किया जाता है.

सिल्वर नोटिस के प्रभाव और फायदा

1. अवैध संपत्तियों का पता लगाना: सिल्वर नोटिस के माध्यम से इंटरपोल यह सुनिश्चित करेगा कि अपराधी, जिनकी कमाई अवैध रूप से की गई है, विदेशों में अपनी संपत्तियां छिपाने में सक्षम न हो सकें. यह नोटिस विशेष रूप से उन अपराधियों के लिए है जो अपने काले धन को विदेशी बैंकों, रियल एस्टेट, और अन्य संपत्तियों में निवेश कर देते हैं ताकि अपने अपराधों को छिपा सकें और कानून से बच सकें.

2. सीमा पार अपराधों का पता लगाना: यह नोटिस देशों के बीच सहयोग बढ़ाने में मदद करेगा, जिससे सीमा पार अपराधों पर नकेल कसने में मदद मिलेगी. जब एक अपराधी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया जाता है, तो उसका उद्देश्य उस अपराधी को गिरफ्तार करना होता है. वहीं, सिल्वर नोटिस का उद्देश्य सीधे तौर पर उस अपराधी के विदेशी संपत्ति के स्रोत का पता लगाना और उसे जब्त करने का होता है.

3. संपत्तियों पर नियंत्रण: सिल्वर नोटिस के द्वारा सिर्फ संपत्तियों का पता नहीं लगाया जाएगा, बल्कि उन संपत्तियों पर नियंत्रण भी स्थापित किया जाएगा. यह नोटिस देशों के बीच समन्वय स्थापित करने का काम करेगा, ताकि किसी भी देश में अपराधी द्वारा छिपाई गई संपत्तियों पर त्वरित कार्रवाई की जा सके.

क्या है इंटरपोल का

भारत के लिए सिल्वर नोटिस का महत्व

भारत में पिछले कुछ सालों में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें भगोड़ों द्वारा अवैध संपत्तियों को विदेशों में छिपाया गया था. कई बड़े अपराधियों ने अपने अपराधों से कमाए गए धन को विदेशों में निवेश किया है. ऐसे अपराधियों के खिलाफ अब इंटरपोल का “सिल्वर नोटिस” एक प्रभावी उपाय साबित हो सकता है.

भारत सरकार और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने पिछले सालों में विदेशों में छिपे अपराधियों को पकड़ने के लिए कई प्रयास किए हैं. 2024 में, सीबीआई ने इंटरपोल के माध्यम से 170 नोटिस जारी किए थे, जिनमें से 100 रेड कॉर्नर नोटिस थे. इसके माध्यम से सीबीआई ने विदेशों से 30 भगोड़ों को भारत डिपोर्ट कराया. अब, सिल्वर नोटिस के साथ, इन प्रयासों को और मजबूती मिलेगी.

सीबीआई ने इस दिशा में और अधिक काम करने के लिए अपनी टीम को इंटरपोल के साथ जोड़ा है. इस साल सीबीआई के तीन वरिष्ठ अधिकारियों को इंटरपोल के साथ अटैच किया गया है, जिसमें दो अधिकारी फ्रांस के इंटरपोल मुख्यालय और एक अधिकारी सिंगापुर में तैनात हैं. इससे भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वांछित अपराधियों का पता लगाने में और तेजी से काम करने में मदद मिलेगी.

सीमा पार संपत्तियों की पहचान

सिल्वर नोटिस की मदद से, यह संभव हो पाएगा कि भारत के कानून प्रवर्तन अधिकारी सीमा पार अपराधियों की अवैध संपत्तियों की पहचान कर सकें. इंटरपोल का यह कदम देशों के बीच बेहतर सहयोग स्थापित करेगा, ताकि अपराधियों की संपत्तियों का पता लगाकर उन पर कार्रवाई की जा सके. इससे उन अपराधियों के खिलाफ आर्थिक और कानूनी दबाव बढ़ेगा, जो अपनी काली कमाई को विदेशों में छिपा कर बैठे हैं.

आने वाले समय में “सिल्वर नोटिस” की संभावना

अब तक सिल्वर नोटिस का परीक्षण 52 देशों में किया जा रहा है और यह पायलट प्रोजेक्ट नवंबर 2025 तक चलेगा. अगर यह प्रयास सफल रहता है, तो इसे 195 देशों में लागू किया जाएगा. इससे अपराधियों द्वारा विदेशों में छिपाई गई संपत्तियों के खिलाफ वैश्विक स्तर पर कार्रवाई की जा सकेगी. 

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