कोरोना वायरस: 135 करोड़ की आबादी पर भारत में केवल 40 हजार वेंटिलेटर

कोरोना वायरस को लेकर देश भर में चिकित्सा सेवाएं तेज कर दी गई है। जगह जगह अस्पतालों में इसके लिए आइसोलेश  वार्ड बनाए गए हैं। इस बीच अस्पतालों में जरूरी उपकरणों की कमी देखने को मिल रही है।

दरअसल भारत में मात्र 40 हजार वेटिंलेटर है, जिन पर गंभीर मरीजों का उपचार किया जाता है। देश में वेंटिलेटर की उपलब्धता के बारे में यह अनुमान इंडियन सोसायटी ऑफ क्रिटिकल केयर का है। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि अस्पतालों में सघन जांच केंद्रों की इतनी संख्या कोरोना के गंभीर मरीजों को उपचार दिलाने के लिए अपर्याप्त हो सकती है।

अभी तक चीन समेत दुनियाभर में कोरोना के जो मरीज मिले हैं, उनमें से पांच प्रतिशत को सांस लेने से जुड़ी गंभीर समस्याएं होती हैं, जिस कारण उनका इलाज आईसीयू में ही किया जा सकता है। भारत में हर दिन कोरोना संक्रमित नए मामले मिलने की दर बढ़ रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह वृद्धि संकेत है कि देश में कोरोना का संक्रमण तीसरे चरण पर पहुंच रहा है, जहां संक्रमण समुदाय में फैलने लगता है। संक्रमण दर में ऐसी ही वृद्धि इटली व ईरान में देखने को मिली थी। इसके बाद वहां के अस्पतालों में वेंटिलेटर पर इलाज की जरुरत वाले मरीजों का भार बढ़ गया और स्थिति अनियंत्रित हो गई। गौरतलब है कि वेंटिलेटर बनाने के लिए सरकार को मोटा बजट खर्चना होगा क्योंकि एक वेंटिलेटर की कीमत आठ से दस लाख रुपये होती है।

बड़े शहरों में ही हैं आईसीयू

इंडियन सोसायटी ऑफ क्रिटिकल केयर के अध्यक्ष डॉ. ध्रुव चौधरी के मुताबिक, देश में लगभग 40 हजार एक्टिव वेंटिलेटर हैं, जो ज्यादातर सरकारी मेडिकल कालेज, मेट्रो शहरों के निजी अस्पतालों व सेमी मेट्रो शहर के अस्पतालों में ही उपलब्ध हैं।

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