COVID-19: कोरोना वायरस के संक्रमण का प्राइवेट लैब में कराना है टेस्ट तो ये हैं तरीके
कोरोना वायरस का संक्रमण भारत में लगातार बढ़ता जा रहा है। संक्रमित मरीजों की संख्या 500 के पार पहुंच चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एहतियातन पूरे देश को लॉकडाउन करने की घोषणा की। इसके अलावा केंद्र और राज्य सरकार इससे निपटने के लिए हर कोशिश कर रही है। संक्रमण के लक्षण पाए जाने पर लोगों को अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है। सरकारी के बाद अब देश में कई प्राइवेट लैब्स भी COVID-19 का टेस्ट करने में जुट गए हैं।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्स (ICMR) ने अभी तक देश में कुल 25 प्राइवेट लैब्स में कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच की मंजूरी दे दी है। सबसे ज्यादा प्राइवेट लैब्स की संख्या मुंबई में है।
प्राइवेट लैब में जांच कराने के तरीके
प्राइवेट लैब में कार्यरत एक डॉक्टर का कहना है कि कोई भी मरीज सीधे COVID-19 टेस्ट की जांच के लिए लैब नहीं आ सकता है। लक्षण पाए जाने पर भी सबसे पहले उसे किसी डॉक्टर के पास जाना होगा, जहां उसकी पूरी हिस्ट्री ली जाएगी। इसमें उसके ब्लड ग्रुप के साथ-साथ बीते दिनों की यात्रा की जानकारी देनी होती है।
सारी जानकारी लेने के बात अगर डॉक्टर को यह लगता है कि मरीज में कोरोना के संक्रमण की संभावना हो सकती है तो एक फॉर्म 44 भरना होता है। इस फॉर्म में मरीज की पूरी जानकारी होती है। मरीज को अपना कोई पहचान पत्र भी देना होता है। यह फॉर्म बिना डॉक्टर के हस्ताक्षर के मान्य नहीं होता है।
इस पूरी प्रक्रिया के बाद प्राइवेट लैब के कर्मचारी आइसोलेशन सेंटर जाते हैं, जहां मरीज को रखा जता है। इस दौरान वे संक्रमण से बचने के लिए मास्क और ग्लब्स पहने एक खास ड्रेस में होते हैं। लैबकर्मी ममरीज का स्वैब लेते हैं, जिसे वायरस ट्रांसपोर्ट के जरिए लैब लाकर और उसका टेस्ट किया जाता है। टेस्ट में तकरीबन 18 से 24 घंटे का समय लगता है।
रिपोर्ट निगेटिव आने पर मरीज को जरूरी दवाई देकर छोड़ दिया जाता है, लेकिन उसे आइशोलेशन में ही रहने के लिए कहा जाता है। पॉजिटिव आने पर डॉक्टर संक्रमित मरीज के इलाज में जुट जाते हैं।